DNA ANALYSIS: भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के गौरवशाली 193 साल, जानिए इसकी कहानी
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DNA ANALYSIS: भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के गौरवशाली 193 साल, जानिए इसकी कहानी

एक पुरानी कहावत है कि युद्ध के मैदान में ताकतवर तोप जीत की गारंटी होती है. 28 सितंबर का भारतीय सेना के आर्टिलरी रेजिमेंट यानी तोपखाने से गहरा संबंध है. इसी दिन वर्ष 1827 में तत्कालीन भारतीय सेना की पहली आर्टिलरी रेजिमेंट की स्थापना हुई थी. 

DNA ANALYSIS: भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के गौरवशाली 193 साल, जानिए इसकी कहानी

नई दिल्ली: एक पुरानी कहावत है कि युद्ध के मैदान में ताकतवर तोप जीत की गारंटी होती है. 28 सितंबर का भारतीय सेना के आर्टिलरी यानी तोपखाने से गहरा संबंध है. इसी दिन वर्ष 1827 में तत्कालीन भारतीय सेना की पहली आर्टिलरी रेजिमेंट की स्थापना हुई थी. वर्ष 1827 में इस रेजिमेंट का नाम फाइव माउंटेन बैटरी था. अब इसका नाम 57 फील्ड  रेजिमेंट है. इस रेजिमेंट का सिद्धांत है - सर्वत्र इज्जत-ओ-इकबाल. हर वर्ष इस रेजिमेंट के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए गनर्स डे मनाया जाता है.

जब भी तोपखाने की बात होती है, तो आपको कारगिल युद्ध में बोफोर्स तोप की तस्वीरें जरूर याद होंगी. सैन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि कारगिल युद्ध में भारत की जीत की एक बड़ी वजह बोफोर्स तोप थी.

पहली बार बोफोर्स तोप का इस्तेमाल
करीब 60 दिनों से ज्यादा चले कारगिल युद्ध में बोफोर्स तोपों ने ढाई लाख राउंड फायर किए. इन तोपों की मदद से लगभग 30 किलोमीटर दूर तक निशाना लगाया जा सकता है. सिर्फ टाइगर हिल के ऑपरेशन में ही बोफोर्स ने 9 हजा गोले फायर किए थे. कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार किसी युद्ध में इतने अधिक राउंड फायर किए गए थे. कारगिल की लड़ाई में ही पहली बार बोफोर्स तोप का इस्तेमाल हुआ था और इस युद्ध में भारत की जीत में आर्टिलेरी का महत्वपूर्ण योगदान था.

पहले तोपखाने का मतलब सिर्फ लंबी दूरी तक हमला करनेवाली तोपें होती थीं. लेकिन अब आर्टिलरी रेजिमेंट में आधुनिक ब्रह्मोस मिसाइल, मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर्स, रडार और ड्रोन्स भी शामिल होते हैं और ये सब मिलकर एक टीम की तरह दुश्मनों पर हमला करते हैं.

चीन की सेना को कड़ी चुनौती
पिछले कुछ महीनों से लद्दाख में भारतीय सेना लगातार चीन की सेना को कड़ी चुनौती दे रही है. भारतीय सेना दुनिया की सबसे ऊंची रणभूमि यानी सियाचिन से लेकर लद्दाख तक तैनात है. पूर्वी लद्दाख में टी-90 भीष्म टैंक और टी-72 Tanks तैनात हैं. ये टैंक माइनस 40 डिग्री के तापमान में भी ऑपरेट कर सकते हैं. ये इलाका 14 हजार फीट की ऊंचाई पर है और टैंकों के लिहाज से इसे दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र कहा जाता है. आपको भी लद्दाख में भारतीय सेना के पराक्रम की खबरें देख और सुनकर बहुत अच्छा लगता होगा. लेकिन लद्दाख में मौजूद हर एक सैनिक को जो कड़ी तपस्या करनी पड़ती है, वो किसी साधारण इंसान के बस की बात नहीं है.

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पोस्ट ​सर्जिकल स्ट्राइक वाले भारत के 5 बड़े सिद्धांत
कई घटनाएं ऐसी होती हैं जिनका असर वर्षों बाद तक दिखाई देता है. ऐसी ही एक घटना है वर्ष 2016 की पहली सर्जिकल स्ट्राइक.

28 और 29 सितंबर की रात, भारतीय सुरक्षाबलों ने लाइन ऑफ कंट्रोल पार करके पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में हमला किया था. इस हमले में भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों के कई कैंपों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था और भारतीय सुरक्षाबलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था. अब आपको पोस्ट ​सर्जिकल स्ट्राइक वाले भारत के 5 बड़े सिद्धांत बताते हैं-

- अब चीन के मिलिट्री एक्सपर्ट चीन की सेना को ही भारतीय सेना के हमले की चेतावनी दे रहे हैं. उन्हें डर है कि भारतीय सेना में इतनी क्षमता है कि वो कुछ ही समय में LAC पार कर सकती है.

- यानी नए भारत के पराक्रम से अब चीन और पाकिस्तान दोनों डरते हैं. पिछले 4 वर्षों में भारत ने पाकिस्तान पर 2 बार सर्जिकल स्ट्राइक की है. भारत ने वर्ष 2019 में बालाकोट पर हवाई हमला किया था और इसे आप नए भारत का न्यू नॉर्मल कह सकते हैं.

- पहले ये माना जाता था कि पाकिस्तान और चीन के खिलाफ भारत की जवाबी कार्रवाई अलग-अलग होती है. लेकिन गलवान घाटी के संघर्ष से चीन को भी नए भारत का संदेश मिल चुका है.

- नया भारत, आर्थिक और डिजिटल स्ट्राइक भी करता है. भारत ने 200 से ज्यादा चाइनीज मोबाइल एप्स को बैन करके चीन पर नए तरीके का प्रतिबंध लगाया.

- अब चीन के खिलाफ, भारत के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन तैयार हो गया है. अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के कई देश विस्तारवाद के खिलाफ भारत के साथ हैं.

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