DNA ANALYSIS: क्या हम कभी 'लक्ष्मण रेखा' का असली अर्थ समझ पाएंगे?
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DNA ANALYSIS: क्या हम कभी 'लक्ष्मण रेखा' का असली अर्थ समझ पाएंगे?

हम Line Of Control यानी LOC और Line Of Actual Control यानी LAC पर तो बहुत जोर देते हैं लेकिन, लक्ष्मण द्वारा खींची गई जिस रेखा ने भारत के लोगों को सीमाओं में रहने का पाठ पढ़ाया, उसके बारे में हम सबकुछ भुला चुके हैं.

DNA ANALYSIS: क्या हम कभी 'लक्ष्मण रेखा' का असली अर्थ समझ पाएंगे?

नई दिल्ली: आज हम आपके साथ सिर्फ दिवाली पर नहीं, बल्कि लक्ष्मण रेखा पर भी चर्चा करना चाहते हैं. लक्ष्मण रेखा रामायण से निकला एक अकेला ऐसा शब्द और ऐसी घटना है, जिससे भारत में शायद ही कोई परिचित नहीं होगा. भारत में बात बात पर लक्ष्मण रेखा का जिक्र आता है, लेकिन भारत के ज्यादातर लोग शायद ही कभी लक्ष्मण रेखा का असली अर्थ समझ पाए हैं.

हम Line Of Control यानी LOC और Line Of Actual Control यानी LAC पर तो बहुत जोर देते हैं लेकिन, लक्ष्मण द्वारा खींची गई जिस रेखा ने भारत के लोगों को सीमाओं में रहने का पाठ पढ़ाया, उसके बारे में हम सबकुछ भुला चुके हैं. आज हम लोगों के मन से मिट चुकी इसी लक्ष्मण रेखा को फिर से स्थापित करने का प्रयास करेंगे.

उदाहरण के लिए दिवाली की खरीदारी के दौरान जिस तरह की भीड़ बाज़ारों में है वो सरासर उस लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन है जिसका ध्यान लोगों को कोरोना वायरस के दौर में रखना चाहिए. दिल्ली में हर रोज कोरोना वायरस के औसतन 7 हजार नए मामले दर्ज हो रहे हैं, ये पूरे देश में सबसे ज्यादा है जबकि पूरे देश में पिछले 24 घंटों में करीब 50 हजार लोगों में इस वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है. ऐसे में सोशल डिस्टेन्सिंग के नियमों को न मानना सामाजिक लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन है.

राष्ट्र के हित में खींची गईं लक्ष्मण रेखाओं का उल्लंघन
अपने ही देश के खिलाफ नारे लगाना, प्रधानमंत्री का अपमान करना, सुप्रीम कोर्ट का मजाक उड़ाना, राजनीतिक फायदे के लिए दंगे भड़काना, सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करना, चुनाव आयोग पर विश्वास न करना, ये सब राष्ट्र के हित में खींची गईं लक्ष्मण रेखाओं का उल्लंघन है.

प्रदूषण की परवाह न करना, पर्यावरण को दूषित करना, ध्वनि प्रदूषण फैलाना ये सब भी आधुनिक लक्ष्मण रेखाओं का उल्लंघन है. भारत में हर साल करीब 10 लाख लोगों की मौत प्रदूषण की वजह से होती है.

भारत में 40 प्रतिशत आत्महत्याओं के लिए रिश्ते जिम्मेदार हैं यानी लोग रिश्तों की लक्ष्मण रेखा भी तोड़ रहे हैं.

Fake News फैलाना, दुश्मन देशों का एजेंडा चलाना, अपने देश की छवि को नुकसान पहुंचाना, नकली TRP हासिल करना ये वो लक्ष्मण रेखाएं हैं जिनका उल्लंघन पिछले दिनों देश की मीडिया ने किया है. अब ऐसा लगता है कि भारत में कोई लक्ष्मण रेखा बची ही नहीं है. सिर्फ एक नियंत्रण रेखा बची है, जिसकी जिम्मेदारी सेना के पास है और सेना ने कभी इस रेखा को मिटने नहीं दिया, अगर नियंत्रण रेखा भी लोगों के हाथ में होती तो पता नहीं क्या होता?

लक्ष्मण रेखा महिला और पुरुष में भेद नहीं करती
बहुत सारे लोग लक्ष्मण रेखा की ये कहकर आलोचना करते हैं कि ये महिलाओं को बांधकर रखने की परिचायक है. लेकिन लक्ष्मण रेखा महिला और पुरुष में भेद नहीं करती, हिंदू और मुसलमान में भेद नहीं करती, राजा और रंक में भेद नहीं करती. लक्ष्मण रेखा एक State Of Mind है, जिसका पालन हर किसी के लिए जरूरी है. जो देश और समाज लक्ष्मण रेखा को मिटाने की कोशिश करता है, वो मुश्किल में पड़ जाता है.

अयोध्या से दिवाली की तस्वीरें
दिवाली खुशियों का त्योहार है, रोशनी का त्योहार है. रोशनी की कुछ ही ऐसी ही तस्वीरें अयोध्या से आई हैं.

- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल 13 नवंबर को राम जन्मभूमि पहुंचकर रामलला की पूजा की. ऐसी मान्यता है कि आज ही के दिन अयोध्या में भगवान राम का राज्याभिषेक किया गया था.

- कल पहली बार रामलला के मंदिर में 11 हजार दीये जलाए गए हैं. राम मंदिर के शिलान्यास के बाद पहली बार श्रीराम जन्मभूमि परिसर में ऐसी दिवाली मनाई गई है. इसी अस्थायी मंदिर में रामलला अभी विराजमान हैं
और यहीं पर श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है.

- अयोध्या में सरयू नदी के 24 घाटों पर 5 लाख 84 हजार से ज्यादा दीये जलाकर दीपोत्सव की शुरुआत की गई है. वर्ष 2019 के दीपोत्सव कार्यक्रम में 4 लाख से अधिक दीये जलाए गए थे और इस वर्ष एक नया रिकॉर्ड बन गया है.

ये दिवाली इस बार बिल्कुल अलग है, ये इसे लेकर नहीं है, आपका घर पड़ोसी के घर से ज्यादा जगमगा रहा है , इस बारे में भी नहीं है आपके पास कितने तरीके की मिठाइयां हैं, ये दिवाली इस बारे में भी नहीं है कि आपके पास पहनने के लिए कितने अच्छे और शानदार कपड़े हैं. ये दिवाली इसे लेकर नहीं है कि आपके पास कितना धन है. ये दिवाली इस बारे में भी नहीं है कि आप आतिशबाजी पर कितना पैसा खर्च कर सकते हैं. ये दिवाली किसी शानदार जगह पर छुट्टियां मनाने को लेकर भी नहीं है और ये दिवाली ये सोचने का भी अवसर नहीं है कि आपको प्रमोशमन मिला या नहीं और आपकी सैलरी बढ़ी या नहीं.

सीमाओं की जरूरत हर समाज और सभ्यता को
सीमाओं की जरूरत हर समाज और हर सभ्यता को होती है. सीमा के बगैर कोई सभ्यता राष्ट्र का रूप नहीं ले सकती और कोई राष्ट्र अमर्यादित होकर शक्तिशाली नहीं बन सकता. रेखाओं के पार जाना अमर्यादित होना है इसलिए हमेशा अपने जीवन में लक्ष्मण रेखा का सम्मान कीजिए. सीमा में रहना कमजोर होने की निशानी नहीं है, बल्कि ये संयम का प्रतीक है और संयम से बड़ा कोई अस्त्र कोई शस्त्र नहीं होता.

जब आप अपने आस पास लक्ष्मण रेखा का निर्माण करते हैं और किसी व्यक्ति को इससे परेशानी होने लगती है तो समझ जाइए कि जो सीमा आपने बनाई है वो बहुत जरूरी है क्योंकि, जो व्यक्ति दूसरे की सीमाओं का सम्मान करता है वही व्यक्ति असल में दूसरों की आजादी का पक्षधर होता है.

आज हमने महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण और तुलसीदास द्वारा लिखी गई श्री राम चरित मानस का भी अध्ययन किया. दिलचस्प बात ये है कि इन दोनों में ही कहीं भी लक्ष्मण रेखा शब्द का उल्लेख नहीं हैं.

लेकिन दोनों में जिस अरण्य कांड का जिक्र है उसमें ये बताया गया है कि जब देवी सीता ने लक्ष्मण से कहा कि वो जंगल में जाकर अपने भाई राम को ढूंढें तो पहले लक्ष्मण इसके लिए तैयार नहीं हुए. लेकिन सीता के बार बार आग्रह करने पर वो इसके लिए तैयार हो गए और जाने से पहले उन्होंने मंत्रों के जरिए सीता की कुटिया के चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बना दिया और उनसे कहा कि वो इस घेरे से बाहर न निकलें. लेकिन रावण साधु का भेष बनाकर भिक्षा मांगने आया, सीता ने रावण को भिक्षा देने के लिए इस घेरे को पार किया और रावण ने उनका अपहरण कर लिया. देवी सीता की इसी गलती को आगे चलकर लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन कहा जाने लगा. लेकिन इस घटना से ये सबक मिलता है कि जब आप विचलित होकर और भावावेश में आकर लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन करते हैं तो इसका नुकसान उठाना पड़ता है.

कोरोना वायरस के दौर में 'लक्ष्मण रेखा' का पालन
कोरोना वायरस के दौर में लक्ष्मण रेखा का पालन करना और भी जरूरी हो जाता है. सोशल डिस्टेन्सिंग एक ऐसी ही लक्ष्मण रेखा है जिसका पालन न करके आप ना सिर्फ अपना बल्कि दूसरों का भी नुकसान करते हैं.

​मिनिमलिज्म को आप नए दौर की लक्ष्मण रेखा कह सकते हैं जिसका अर्थ है अपने आस पास उतनी ही भौतिक चीजों को जमा करना जितने की आपको जरूरत है. जब आप इस लक्ष्मण रेखा को लांघते हैं तो आप न सिर्फ गैर जरूरी चीजों से घिर जाते हैं बल्कि दूसरे की देखा देखी भौतिक वस्तुएं जमा करने की आपकी आदत आपको कर्ज में भी डुबा सकती है.

दूसरे की प्राइवेसी का सम्मान करना और अपनी प्राइवेसी की रक्षा करना भी लक्ष्मण रेखा का पालन करना ही है. अगर आप सोशल मीडिया और इंटरनेट पर अपने डेटा की सुरक्षा को लेकर सजग नहीं हैं और सही गलत की लक्ष्मण रेखाएं लांघते हैं तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं. इसी तरह अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की निजता को भंग ना करना भी जरूरी है.

हम आपसे यही कहना चाहते हैं कि जिस व्यक्ति के जीवन में लक्ष्मण रेखा नहीं होती, लोग उसका सम्मान भी नहीं करते, इसलिए इस रेखा को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी ताकत बनाइए.

लेकिन इसके विपरीत दिवाली को हमने अब सिर्फ खुशियों और एंजॉयमेंट का पर्व मान लिया है. इस दौरान आप अपने परिवार से और दोस्तों से मिलते जुलते हैं, आपस में मिठाइयां बांटते हैं, एक दूसरे को तोहफे देते हैं और दीवाली के बहाने लोग अपने व्यापारिक और पेशेवर संबंधों को भी मजबूत करते हैं लेकिन दीवाली क्यों मनाई जाती है और इसके पीछे का असली भाव क्या है, उसे लोग समझ नहीं पाते हैं. दिवाली के दिन ही भगवान राम—रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे, श्रीराम को आदर्श पुरुष माना जाता है और इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहते हैं. लेकिन आज जो हम पर्व मना रहे हैं और उसमें न तो श्री राम दिखाई देते हैं और न ही मर्यादा दिखाई देती है.

राम राज्य के केंद्र में रहा है मर्यादाओं का सम्मान
भगवान राम ने जिस राम राज्य की स्थापना की थी उसके केंद्र में मर्यादाओं का सम्मान था. भगवान राम जीवन भर मर्यादाओं का सम्मान करते रहे उनका पालन करते रहे और इस लिए वो मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए. लेकिन क्या अयोध्या में दिवाली और राम मंदिर बना लेने के बावजूद हम आज के परिप्रेक्ष्य में राम राज्य की स्थापना कर सकते हैं?

रावण को युद्ध में हराने के बाद श्रीराम सीता और अपने भाई लक्ष्मण के पुष्पक विमान से अयोध्या पहुंचे और उनका विमान सरयू नदी के किनारे उतरा. भगवान राम के अयोध्या आगमन की खुशी में ही दीवाली मनाई जाती है और दीये जलाए जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज उसी अयोध्या का Air Quality Index क्या है? आज अयोध्या का AQI 150 के आस पास है. ये साफ हवा के पैमानों से चार गुना ज्यादा दूषित है.

अगर आज भगवान राम होते...
अगर आज भगवान राम होते और प्रशासनिक दृष्टि से दिल्ली को अपनी राजधानी बना लेते लेकिन शायद वो अपने पुत्रों लव और कुश से कहते कि बेटा तुम अयोध्या में ही रहो क्योंकि, दिल्ली का AQI अयोध्या से भी ज्यादा खराब है. पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में हवा की गुणवत्ता तय पैमानों से 6 से 10 गुना ज्यादा दूषित बनी हुई है.

ये भी हो सकता था कि भगवान राम लव और कुश को किसी पहाड़ी इलाके के बोर्डिंग स्कूल में डाल देते ताकि उन्हें प्रदूषण का सामना नहीं करना पड़े.

भगवान राम आज के दौर में अगर अपने परिवार के साथ दीवाली मनाने सड़क मार्ग से अयोध्या जाते तो शायद ट्रैफिक जाम की वजह से वो भाई दूज तक भी अयोध्या नहीं पहुंच पाते. इसलिए सबसे पहले राम राज्य की परिभाषा समझ लीजिए.

राम राज्य एक ऐसी राज्य व्यवस्था का नाम है जहां हर व्यक्ति धर्म का पालन करता है. यहां धर्म का अर्थ पूजा पद्धति से नहीं है, बल्कि कर्म से है जो व्यक्ति अपने कर्म को पूरी निष्ठा के साथ पूरा करता है वही सच में धार्मिक व्यक्ति होता है.

राम राज्य ऐसी कल्पना है. जहां हर व्यक्ति पूरा जीवन आनंद के साथ बिताता है, राम राज्य में लोगों को रोग और बीमारियां परेशान नहीं करतीं, और किसी को भी दीन हीन स्थिति में नहीं रहना पड़ता, रामायण के किरदारों को आप देखें तो आपको सारे किरदार बिल्कुल स्वस्थ और बलशाली नजर आएंगे. लेकिन आज के भारत की स्थिति ये है कि भारत में करीब 8 करोड़ लोग डायबिटीज का शिकार हैं और 24 प्रतिशत लोगों को ये बीमारी होने का खतरा है. दीवाली जैसे त्योहारों पर हम मीठा खाना नहीं भूलते. लेकिन रिश्तों की मधुरता भूल जाते हैं.

राम राज्य की एक महत्वपूर्ण बातें
राम राज्य की एक महत्वपूर्ण बात ये है कि राम राज्य में रहने वाले लोग चरित्रवान होते हैं और वो अपने चरित्र को कभी दूषित नहीं होने देते. लेकिन आज के भारत के लोगों को भ्रष्टाचार और झूठ से कोई समस्या नहीं होती. पिछले साल एक सर्वे में भारत के 51 प्रतिशत लोगों ने रिश्वत देने की बात मानी थी और एक सर्वे के मुताबिक भारत में नौकरी ढूंढ रहे 15 प्रतिशत लोग अपने रेज्यूमे में झूठी और गलत जानकारियां देते हैं.

राम राज्य में कोई भी व्यक्ति खाली नहीं बैठता, यानी इसमें आलस्य के लिए कोई जगह नहीं है और सभी को पुरुषार्थ करना होता है और इसमें महिलाओं की भी पूरी भागीदारी होती है. लॉकडाउन के दौरान हुए एक सर्वे के मुताबिक Work From Home कर रहे 40 प्रतिशत कर्मचारी अब काम पर लौटना ही नहीं चाहते.

राम राज्य में पर्यावरण की बात करें तो पर्यावरण हरा भरा होता है,आज की तरह प्रकृति का शोषण और दोहन नहीं किया जाता, पशु पक्षियों को भी पूरा सम्मान मिलता है और वो बिना किसी डर के विचरण कर पाते हैं. लेकिन भारत में लॉकडाउन हटने के बाद से प्रदूषण 80 से 100 प्रतिशत तक बढ़ चुका है.

पेड़ों और गाय जैसे पशुओं का विशेष ख्याल रखा जाता है, क्योंकि इनसे जो चीजे हमें मिलती है वो ना सिर्फ हमारी भूख मिटाने के काम आती हैं बल्कि हमें स्वस्थ भी बनाती हैं. आज के दौर में कोरोना वायरस जैसे खतरे इसलिए हर दिन बड़े होते जा रहे हैं क्योंकि इंसानों ने प्रकृति और जीवों का सम्मान करना छोड़ दिया है.

राम राज्य में पर्वतों का भी सम्मान किया जाता है, क्योंकि इनसे हमें खनिज पदार्थ मिलते हैं. राम राज्य में समुद्र का जलस्तर कभी सीमा से ज्यादा नहीं बढ़ता, जबकि आज ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हर साल समुद्रों का जलस्तर बढ़ने लगता है, क्योंकि ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगे हैं. वर्ष 1993 से लेकर अब तक दुनिया भर के समुद्रों का जलस्तर 2.6 इंच तक बढ़ चुका है और इससे प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है. यानी राम राज्य में Global Warming का हल भी छिपा है.

राम राज्य में नदियां और घाट साफ सुथरे होते हैं और नदियों का पानी सीधे पीने लायक होता है. श्री राम के समय में सरयू नदी के किनारे कई घाट बने थे और यहां बहुत हरियाली हुआ करती थी. जहां साधु संत बैठकर ध्यान लगाते थे. आज मन को शांति देने के लिए आपको अपने घर से सैंकड़ों किलोमीटर दूर किसी पहाड़ पर जाना पड़ता है क्योंकि हमारे आस पास का पर्यावरण इस लायक रहा ही नहीं की कोई व्यक्ति शांति से बैठकर ध्यान कर पाए.

राम राज्य में श्रमिकों के हक का भी ख्याल
राम राज्य में श्रमिकों का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. उनकी तनख़्वाह कभी देर से नहीं दी जाती और उनकी सेवा के लिए हमेशा उनका सम्मान किया जाता है. श्री राम कहते थे कि अगर श्रमिकों को उनका मेहनताना देरी से मिलता है या ये समय के साथ बढ़ता नहीं या इसमें कटौती कर दी जाती है तो श्रमिकों को राजा के प्रति क्रोधित होने का पूरा अधिकार है. श्रमिकों का हक मारना पूरे राज्य को नुकसान पहुंचाना है. कोरोना वायरस के दौरान भारत में हर 5 में से 2 कर्मचारियों को सैलरी कट का सामना करना पड़ा, और तीसरे व्यक्ति को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी.

कोरोना ने बदल दी परंपराएं
कोरोना वायरस ने जीवन से लेकर मृत्यु तक की परंपराओं को बदलकर रख दिया है और त्योहार भी इससे अछूते नहीं हैं. कोरोना वायरस को ध्यान में रखकर आपको अपना दिवाली मनाने का तरीका भी बदल देना चाहिए आप इसे नए दौर की दिवाली या दिवाली 2.O भी कह सकते हैं. इस दीवाली को मनाते हुए आपको अपने साथ साथ दूसरों के स्वास्थ्य का ख्याल भी रखना है. इसकी शुरुआत आप अपने घर आने वाले मेहमानों की इम्युनिटी बढ़ाकर सकते हैं. इसके लिए आप उन्हें हल्दी वाला दूध पीने के लिए दे सकते हैं. 

- आप मेहमानों को मीठे शरबत की जगह काढ़ा, ग्रीन टी, मसालेदार चाय और ताजे फलों का जूस भी दे सकते हैं.

- जितना हो सके मेहमानों को गर्म और ताजा खाना ही परोसें.

दिवाली के मौके पर गले लग कर एक दूसरे को शुभकामनाएं देने और बड़े बुज़ुर्गों के चरण छू कर उनका आशीर्वाद लेने का चलन रहा है, लेकिन कोरोना मुक्त दीवाली मनानी है तो आपको भारत की नमस्ते वाली संस्कृति को अपनाकर खुद को और दूसरों को सुरक्षित रख सकते हैं.

मेहमान नवाजी के दौरान घर आए मेहमानों के हाथों को Sanitize कराएं और अपनी खुद की स्वच्छता का भी ध्यान रखें. के सदस्यों और घर में आने वाले मेहमानों के लिए मास्क अनिवार्य कर दें और Social Distancing का पालन जरूर करें.

दिवाली के तोहफों में आप अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को मास्क, सैनिटाइजर और पल्स ऑ​क्सीमीटर भी दे सकते हैं. मिठाइयों की जगह आप लोगों को काजू, बादाम और पिस्ता जैसी गुणकारी चीजें भी गिफ्ट कर सकते हैं.

भगवान राम का पूरा जीवन बदलाव का संदेश
भगवान राम का पूरा जीवन बदलाव का संदेश देता है कि उन्होंने खुद को एक पति, भाई, योद्धा और पिता के रूप में बार बार बदला लेकिन, वो इस बदलाव से कभी विचलित नहीं हुए. इसलिए आपको भी बिना विचलित हुए अब त्योहार मनाने के तरीकों को बदल देना चाहिए.

दुनियाभर में मनाई जा रही दिवाली
दिवाली का त्योहार कितना बड़ा है, ये आप दुनिया के कई देशों से आई कुछ तस्वीरों से समझ सकते हैं. ये तस्वीरें हमें गर्व का अनुभव कराती हैं. हमें बताती हैं कि भारतीय संस्कृति कितनी बड़ी और महान है.

ताइवान की राजधानी ताइपे में दिवाली के त्योहार पर पहली बार मेगा सेलिब्रेशन हुआ. दिवाली पर ताइवान में हुआ ये सेलिब्रेशन इसलिए भी महत्वपूर्ण समझा जा रहा है क्योंकि चीन ने इस पर नाराजगी जताई थी. लेकिन चीन की गीदड़भभकियों को नजरअंदाज करते हुए ताइवान सरकार के सौजन्य से ये कार्यक्रम हुआ, जिसमें ताइवान के विदेश मंत्री भी मौजूद रहे.

ताइवान के कुछ सांसदों ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेकर दिवाली मनाई. ये कार्यक्रम ताइवान सरकार के गेस्ट हाउस में हुआ, जहां लक्ष्मीजी की प्रतिमा भी स्थापित की गई. ताइवान के विदेश मंत्री ने इस मौके पर भारत के साथ रिश्तों पर भी बात की और उन्होंने लक्ष्मीजी की प्रतिमा के आगे हाथ जोड़ कर उनमें अपना विश्वास जताया.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी दिवाली की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने एक वर्चुअल कार्यक्रम में हिस्सा लिया और कनाडा में रहने वाले भारतीयों को दिवाली की बधाई दी. जस्टिन ट्रूडो ने इस मौके पर अपने ऑफिस में दीये भी जलाए.

वेल्स के राजकुमार प्रिंस चार्ल्स ने भी दिवाली पर एक वीडियो मैसेज जारी किया. उन्होंने कोरोना की वजह से दीवाली पर लोगों से नहीं मिल पाने पर दुख जताया और रोशनी के पर्व दिवाली की शुभकामनाएं दीं.

भगवान राम बने कोरोना से जंग जीतने की प्रेरणा
भगवान राम और दिवाली के त्योहार का दुनियाभर में क्या महत्व है, ये आप इसी से समझ सकते हैं कि इन देशों के राष्ट्राध्यक्ष रामायण और भगवान राम को कोरोना से जंग जीतने की प्रेरणा मान रहे हैं. अब आप सोचिए कि भगवान राम का महत्व कितना बड़ा और गहरा है.

कोरोना वायरस के खिलाफ संजीवनी बूटी कब?
रामायण में संजीवनी बूटी का भी जिक्र आता है. युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं और उनके प्राण संकट में आ जाते हैं तब संजीवनी बूटी की तलाश करने हनुमान सुमेरू पर्वत पर जाते हैं और फिर संजीवनी बूटी की वजह से लक्ष्मण के प्राण बच जाते हैं. आज दुनियाभर के देश भी कोरोना वायरस के खिलाफ ऐसी ही संजीवनी बूटी की तलाश कर रहे हैं. जिसे विज्ञान की भाषा में कोरोना वायरस की वैक्सीन कहा जा रहा है.

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