सवाल ये है कि जिस देश में 3 लाख से ज्यादा मस्जिदें हैं, वहां कुछ लोगों को मंदिर में नमाज पढ़ने की क्या जरूरत थी? जिन लोगों ने नंदबाबा मंदिर में नमाज पढ़ी उनका कहना है कि उन्होंने मंदिर प्रशासन से इसकी इजाजत ली थी और उनका मकसद दोनों समुदायों के बीच सद्भाव बढ़ाना था.
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नई दिल्ली: आज हम सबसे पहले आपसे सामान्य ज्ञान का एक सवाल पूछना चाहते हैं, सवाल ये है कि दुनिया में किस देश में सबसे ज्यादा मस्जिदें हैं? आपके पास चार विकल्प हैं- इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान या भारत.
भारत में मस्जिदों की संख्या पूरी दुनिया के मुकाबले सबसे ज्यादा
संभव है कि आप में से ज्यादातर लोगों ने पहले तीन विकल्पों के बारे में ही सोचा होगा, क्योंकि ये तीन देश मुसलमानों की आबादी के हिसाब से दुनिया के सबसे बड़े देशों में शामिल हैं. लेकिन आपका जवाब गलत है. सही जवाब है भारत. औपचारिक रूप से पूरी दुनिया के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा मस्जिदें हैं और ये आंकड़ा हमारा नहीं, बल्कि वर्ष 2011 की जनगणना का आंकड़ा है. इस जनगणना के मुताबिक भारत में 3 लाख से ज्यादा मस्जिदें हैं. हालांकि सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में भी वर्ष 2013 से मस्जिदों की गिनती का काम जारी है और कुछ लोगों का दावा है कि वहां 8 लाख से ज्यादा मस्जिदें हो सकती हैं, लेकिन औपचारिक रूप से अभी भारत में मस्जिदों की संख्या पूरी दुनिया के मुकाबले सबसे ज्यादा है.
हिंदुओं की भावनाओं को ठेस
भारत में इतनी मस्जिदें होने के बावजूद अगर कुछ लोग मंदिर में आकर नमाज पढ़ने लगें तो इसके सिर्फ दो ही कारण हो सकते हैं, पहला ये कि ये लोग धार्मिक सौहार्द का संदेश दे रहे हैं और दूसरा ये कि शायद ये लोग धार्मिक सद्भाव को चोट पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं. ऐसा ही कुछ पिछले महीने की 29 तारीख को मथुरा के नंद बाबा मंदिर में हुआ, जब वहां कुछ लोग पहुंचे और उन्होंने मंदिर में नमाज पढ़ना शुरू कर दिया. नमाज पढ़ने वालों के नाम फैजल खान और चांद मोहम्मद हैं. नंदबाबा मंदिर के पुजारियों का आरोप है कि इन लोगों ने मंदिर में नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं ली थी. इस महीने की 1 तारीख को इस मामले में मथुरा पुलिस ने एक FIR दर्ज की है. इस FIR में आरोपियों के तौर पर फैजल खान और चांद मोहम्मद के अलावा आलोक रतन और नीलेश गुप्ता नाम के व्यक्तियों के भी नाम दर्ज है और इन सबका संबंध दिल्ली से संचालित होनी वाली एक संस्था से है जिसका नाम है, खुदाई ख़िदमतग़ार.
FIR में आरोप लगाया गया है कि इन लोगों ने न सिर्फ बिना इजाजत के नंदबाबा मंदिर में नमाज पढ़ी, बल्कि इसकी तस्वीरों को वायरल भी कर दिया. FIR में ये भी कहा गया है कि पुलिस इसकी जांच करे कि कहीं ये हरकत सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए तो नहीं की गई है. पुलिस ने जिन धाराओं में FIR दर्ज की है, उनमें धार्मिक स्थल पर अपराध करने, जानबूझ कर दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने और दो समुदायों के बीच टकराव पैदा करने से संबंधित धाराएं हैं.
मंदिर में नमाज पढ़ने की क्या जरूरत थी?
अब सवाल ये है कि जिस देश में 3 लाख से ज्यादा मस्जिदें हैं, वहां कुछ लोगों को मंदिर में नमाज पढ़ने की क्या जरूरत थी? जिन लोगों ने नंदबाबा मंदिर में नमाज पढ़ी उनका कहना है कि उन्होंने मंदिर प्रशासन से इसकी इजाजत ली थी और उनका मकसद दोनों समुदायों के बीच सद्भाव बढ़ाना था. लेकिन नंदबाबा मंदिर प्रशासन का कहना है कि आरोपियों ने नमाज पढ़ने को लेकर उनसे कोई बात नहीं की थी.
जिस दिन फैजल खान और चांद मोहम्मद ने नंद बाबा मंदिर में नमाज पढ़ी उस दिन का एक वीडियो हमारे पास है. ये नमाज पढ़े जाने से पहले का वीडियो है. इसमें जो बातचीत है, उसे सुनकर नहीं लगता कि ये लोग कहीं भी मंदिर में नमाज पढ़ने की बात कह रहे हैं.
अब इस मामले में फैजल खान की गिरफ्तारी हो चुकी है.
नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं मांगी
इस वीडियो में फैजल खान ने बहुत अच्छी-अच्छी बातें कहीं. सद्भावना की बातें कही. लेकिन कहीं भी मंदिर में नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं मांगी. पुजारियों ने भी इनकी बातों को बहुत ध्यान से सुना, इनकी प्रशंसा भी की, इन्हें प्रसाद भी दिया और भोजन करके जाने के लिए कहा, ये भारत की सभ्यता है और ये भारत की खूबसूरती है. लेकिन जैसे ही इन लोगों ने बिना अनुमति के मंदिर में नमाज पढ़ना शुरू किया. भारत की ये खूबसूरती सवालों के घेरे में आ गई.
पूरी दुनिया में करीब 40 लाख मस्जिदें
भारत में तीन लाख मस्जिदें हैं, बांग्लादेश में ढाई लाख मस्जिदें हैं. लेकिन पाकिस्तान में मस्जिदों की संख्या को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. इंडोनेशिया में भी 5 लाख से लेकर 8 लाख तक मस्जिदें होने का दावा किया जाता है. पूरी दुनिया में करीब 40 लाख मस्जिदें हैं. लेकिन आपने कई बार लोगों द्वारा सड़कों पर नमाज पढ़ने की तस्वीरें देखी होगीं. ऐसी तस्वीरें भारत ही नहीं पूरी दुनिया से आती रहती हैं.
खासकर शुक्रवार के दिन जब बड़ी संख्या में मुसलमान जुमे की नमाज पढ़ने के लिए मस्जिदों में पुहंचते हैं तो जगह की कमी की वजह से बहुत सारे लोग सड़कों पर ही नमाज पढ़ने लगते हैं. इस दौरान अक्सर ट्रैफिक को रोकना पड़ता है और कुछ देर के लिए उस सड़क पर लोगों का और वाहनों का आना जाना रुक जाता है.
फ्रांस जैसे देशों में तो सड़कों पर मुसलमानों द्वारा नमाज पढ़ना कई बार फ्रांस के गैर मुसलमानों और मुसलमानों के बीच विवाद का भी विषय बन जाता है. 3 वर्ष पहले जब कुछ मुसलमान पेरिस की सड़कों पर नमाज पढ़ रहे थे. तभी स्थानीय लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया, विरोध करने वाले जोर जोर से फ्रांस का राष्ट्रगान भी गा रहे थे.
भारत में भी कभी रेल की पटरियों पर नमाज पढ़ी जाती है, तो कभी फ्लाई ओवर के नीचे तो कभी सड़कों के बीचों बीच.
7वीं शताब्दी में बनी सबसे पहली मस्जिद
भारत में सबसे पहली मस्जिद 7वीं शताब्दी में केरल के त्रिशूर में बनाई गई थी. इस मस्जिद नाम है चेरमन जुमा मस्जिद. ये दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है. दुनिया की पहली मस्जिद का निर्माण भी सातवीं शताब्दी में हुआ था. सऊदी अरब के मदीना में मौजूद इस सबसे पुरानी मस्जिद का नाम कुबा मस्जिद है. यानी जब दुनिया में पहली मस्जिद का निर्माण हुआ था, लगभग तभी भारत में भी मस्जिदें बननी शुरू हो गई थीं.
आजादी के बाद से भारत में मुसलमानों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है और इसके साथ ही भारत में मस्जिदों की संख्या भी बढ़ी है. 1951 से लेकर वर्ष 2011 तक भारत में मुसलमानों की संख्या हर साल औसतन 10 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी है.
जबकि पिछले एक दशक में हिंदुओं की जनसंख्या की वृद्धि की दर 2 प्रतिशत से भी कम रही है. भारत में हिंदुओं की जनसंख्या करीब 96 करोड़ है और मंदिरों की संख्या 20 लाख है.
क्या मस्जिद में भी पूजा अर्चना और मूर्ति पूजा की जा सकती है?
मथुरा के नंदबाबा मंदिर में जो हुआ, उसने ये सवाल पूछने पर मजबूर कर दिया है कि अगर मंदिर में नमाज पढ़कर सद्भाव का संदेश दिया जा सकता है तो क्या मस्जिद में भी पूजा अर्चना और मूर्ति पूजा की जा सकती है? इस सवाल का जवाब हम तलाशेंगे, हमने इस बारे में हिंदू और इस्लाम धर्म के जानकारों से भी बात की है. लेकिन पहले आप मथुरा से हमारी वो ग्राउंड रिपोर्ट पढ़िए जिससे ये साफ हो जाता है कि आखिर मथुरा के नंद बाबा मंदिर में 29 अक्टबूर के दिन हुआ क्या था?
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का बचपन नंदगांव में बीता था
नंदगांव के बारे में ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का बचपन यहीं पर बीता था. नंदगांव के लोग भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और भावों में हजारों वर्ष से रचे बसे हुए हैं.
नंदगांव की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है नंदबाबा का मंदिर. 29 अक्टूबर की दोपहर दो मुस्लिम युवकों ने इसी मंदिर परिसर में नमाज पढ़ी और तस्वीरों को सोशल मीडिया में वायरल कर दिया. इसके बाद से ये गांव चर्चा का विषय बना हुआ है.
फैजल खान और चांद मोहम्मद ने सोशल मीडिया में नमाज पढ़ने के पीछे समाज में सद्भावना बढ़ाने का तर्क दिया था, लेकिन जब हमने मथुरा जाकर सच जानने की कोशिश की तो कहानी निकलकर सामने कुछ और ही आई है.
नमाज पढ़ना किसी बड़ी सजिश का हिस्सा?
मंदिर के पुजारी की बातों से साफ है कि फैजल खान और चांद मोहम्मद ने मंदिर के पुजारियों को धोखा देकर नमाज पढ़ी. जब सफाईकर्मी ने उन्हें नमाज पढ़ते देखा तो पहले फैजल और चांद मोहम्मद ने पुजारी से इजाजत मिलने का बहाना किया और जब सफाईकर्मी मंदिर के पुजारी को बुलाने गया तब दोनों वहां से भाग निकले. अब नंदबाबा मंदिर के पुजारी आशंका जता रहे हैं कि इस तरह से नमाज पढ़ना किसी बड़ी सजिश का हिस्सा हो सकता है.
ये सच है कि मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह मस्जिद का विवाद अदालत तक पहुंच चुका है. लेकिन हम यहां किसी विवाद को तूल नहीं देना चाहते. मंदिर में पढ़ने के पीछे कोई साजिश है या फिर सर्वधर्म समभाव इसका पता पुलिस लगाएगी लेकिन नंदगांव के लोग मंदिर में नमाज पढ़े जाने की घटना से बहुत गुस्से में हैं.
मस्जिदों में भी हनुमान चालीसा पढ़े जाने की खबरें
इस बीच कुछ मस्जिदों में भी हनुमान चालीसा पढ़े जाने की खबरें भी आई हैं. तीन दिन पहले मथुरा की एक ईदगाह में कुछ लोगों ने हनुमान चालीसा पढ़ी. इस मामले में 4 लोगों को हिरासत में लिया गया है. आज उत्तर प्रदेश के बागपत से भी ऐसी ही खबर आई जहां कुछ लोगों ने एक मस्जिद में हनुमान चालीसा पढ़ी. मस्जिद में हनुमान चालीसा पढ़ने की इजाजत देने वाले मौलवी को 5 लाख रुपये का बॉन्ड भरने के लिए कहा गया है.
मंदिर में नमाज पढ़ना और मस्जिद में पूजा-अर्चना करना जायज है या नहीं. इस पर हमने आज इस्लाम और हिंदू धर्म के जानकारों से भी बात की है. इस्लाम के जानकारों का कहना है कि कुरान में साफ लिखा है कि मस्जिद में कोई भी गैर मुसलमान नहीं आ सकता जबकि हिंदू धर्म के जानकारों का भी मानना है कि मंदिर में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है. हालांकि भारत गंगा जमुनी तहजीब का गवाह रहा है, बहुत सारे मुसलमान हिंदू देवी देवताओं का सम्मान करते हैं तो बहुत सारे हिंदू भी मजारों और दरगाहों पर जाते हैं.
जो लोग ये कह रहे हैं मंदिर में नमाज पढ़कर सद्भावना का संदेश देने की बात कर रहे उन्हें हम बताना चाहते हैं कि अयोध्या जन्म भूमि विवाद की सुनवाई जब सुप्रीम कोर्ट में हो रही थी, तब दो बड़ी बातें हुई थी, एक ये कि सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है, जबकि विवादित ढांचे को मस्जिद बताते हुए मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि एक बार जो जगह मस्जिद बन जाती है. वो हमेशा मस्जिद ही रहती है और इसी तर्क के आधार पर मुस्लिम पक्ष ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कहीं और करने से इनकार कर दिया था.
नमाज पढ़े जाने का संबंध श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से भी हो सकता है?
ऐसा दावा किया जा रहा है कि नंद बाबा मंदिर में नमाज पढ़े जाने का संबंध श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से भी हो सकता इसलिए आज आपको संक्षिप्त में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद के बारे में भी जान लेना चाहिए.
- उत्तर प्रदेश के मथुरा में कटरा केशवदेव इलाके में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है.
- यहां 13 दशमलव 37 एकड़ जमीन है जिसका मालिकाना हक श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के पास है. इसी जमीन के लगभग 2 दशमलव 5 एकड़ हिस्से में एक मस्जिद बनी हुई है.
- हिंदू पक्ष की मांग है कि श्रीकृष्ण के गर्भगृह के ऊपर मस्जिद बनी हुई है। और इस मस्जिद को यहां से हटा दिया जाए.
- अब मथुरा की जिला अदालत ने इस मामले में याचिका स्वीकार कर ली है. इसी महीने की 18 तारीख को इस मामले पर अगली सुनवाई होगी.
- हिंदू पक्ष ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 1669 में तत्कालीन मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर श्रीकृष्ण मंदिर को तोड़कर, उसकी जगह पर एक हिस्से में ईदगाह मस्जिद बनाई गई.
मंदिर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को समर्पित
नंदबाबा मंदिर मथुरा के नंदगांव में है और कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने अपना बचपन यहीं बिताया था और सारी बाल लीलाएं यहीं की थी. ये जगह भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. जिस नंदबाबा मंदिर में नमाज पढ़ी गई वो मंदिर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को ही समर्पित है.
मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की नगरी है. यहां पर कई ऐसे स्थान हैं जहां से भगवान श्रीकृष्ण का सीधा संबंध रहा है. उन्हीं में से एक स्थान है नंदगांव. ये गांव मथुरा से 50 किलोमीटर दूर है. हजारों वर्ष तक नंदबाबा के गुरु शांडिल्य ने यहां तपस्या की थी. उन्होंने राक्षसों को श्राप दिया था कि पहाड़ी के पास आते ही राक्षस पत्थर बन जाएंगे. ऐसा माना जाता है कि कंस और उसके राक्षसों से बचने के लिए नंदबाबा भगवान कृष्ण को दो वर्ष की उम्र में ही गोकुल से लेकर यहां आ गए थे.
भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के लिए जाना जाता है नंदगांव
नंदगांव भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के लिए जाना जाता है. नंदगांव से बरसाना की दूरी 8 किलोमीटर है. कृष्ण की प्रेमिका राधा बरसाने की थीं. आज भी भगवान कृष्ण और राधा के अटूट प्रेम को यहां याद किया जाता है.
इन्हीं गलियों में श्री कृष्ण का बचपन बीता है. 2 साल 3 दिन की आयु में श्रीकृष्ण गोकुल से नंदगांव आए. 9 साल 49 दिन नंदगांव में रहे और 11 साल 52 दिन की आयु में श्री कृष्ण ने कंस का वध किया.
मथुरा के नंदबाबा मंदिर में होली के समय अनेक रंग देखने को मिलते हैं. इस दौरान यहां देश दुनिया से हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं.