देश के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली मानसिकता कब खत्म होगी, जानिए क्यों उठा ये सवाल
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देश के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली मानसिकता कब खत्म होगी, जानिए क्यों उठा ये सवाल

कोई भी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र अगर महान बनना चाहता है तो उसके लिए सम्मान को ढूंढना बहुत ज़रूरी है. शरीर की भूख रोटी से मिटती है और आत्मा की भूख सम्मान से मिटती है, अगर आप दूसरे लोगों के मन में अपने देश को लेकर सम्मान का भाव नहीं जगा पाते तो सब बेकार है.

देश के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली मानसिकता कब खत्म होगी, जानिए क्यों उठा ये सवाल

पॉडकास्ट:

  1. निजी फायदे के लिए देश का अपमान क्यों?
  2. अमेरिका में हुए कार्यक्रम में हुआ दुस्साहस
  3. विवाद बढ़ने पर आरोपी ने पेश की सफाई

नई दिल्ली: किसी भी देश के लिए उसकी असली पूंजी उसका इतिहास होता है. कोई भी देश अपने इतिहास को भूलता नहीं है. ऐसा लगता है कि भारत (India) अकेला ऐसा देश है, जिसने अपने इतिहास से ना कुछ सीखा और ना ही उस पर गर्व किया. क्योंकि हमारे देश का सही इतिहास लोगों को कभी बताया ही नहीं गया. लेकिन फ्रांस (France) में ऐसा नहीं है, फ्रांस ने अपने राष्ट्रीय ध्वज का रंग बदल दिया है.

उसमें दिख रहे हल्के नीले रंग को गहरा नीला रंग यानी नेवी ब्लू (Navy Blue) कर दिया गया है. क्योंकि इसे वर्ष 1789 में हुई फ्रांस की क्रांति (French Revolution) का प्रतीक माना जाता है.

दरअसल फ्रांस की क्रांति के दौरान क्रान्तिकारी जिन झंडों का इस्तेमाल करते थे, उनका रंग Navy Blue यानी गहरा नीला होता था. बाद में जब फ्रांस का राष्ट्रीय ध्वज अस्तित्व में आया तो इसका रंग भी Navy Blue रखा गया. लेकिन वर्ष 1976 में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति ने इसमें इसलिए बदलाव कर दिया क्योंकि European Union के झंडे का रंग हल्का नीला था. इससे उन्हें लगा कि अगर फ्रांस के राष्ट्रीय ध्वज का रंग भी ऐसा ही कर दिया जाए तो यूरोपियन यूनियन (European Union) की बिल्डिंग पर उसके झंडे के साथ फ्रांस का राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए बहुत सुंदर लगेगा.

वर्तमान राष्ट्रपति ने सुधारी भूल

फ्रांस में तब इस फैसले को ऐतिहासिक भूल माना गया था, लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति Emmanuel Macron ने इसे सुधार लिया है. किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज उसकी पहचान होता है. और इस पहचान में अगर उस देश का सम्मान नहीं छिपा हो तो राष्ट्रीय ध्वज का कोई महत्व नहीं रह जाता। इसलिए हमें लगता है कि फ्रांस ने बहुत साहसिक फैसला लिया है.

'भारत में ऐसा होना मुश्किल'

लेकिन अब आप ये कल्पना कीजिए कि अगर भारत में राष्ट्रीय ध्वज का रंग या चिन्ह बदलना हो तो क्या ये सम्भव है? जरा सोचिए आज अगर आपसे ये कहा जाए कि 1857 की क्रान्ति के नाम पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज में कोई रंग या कोई चिन्ह इसलिए बदला या जोड़ा जा रहा है ताकि उस समय के क्रान्तिकारों का सम्मान किया जा सके तो क्या हमारे देश के लोग इसका स्वागत करेंगे. हमारे देश में इसका विरोध शुरू हो जाएगा. और यह भी सम्भव है कि कुछ लोग 1857 की क्रान्ति पर ही सवाल खड़े कर देंगे.

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'देश से बड़ा कुछ भी नहीं'

कोई भी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र अगर महान बनना चाहता है तो उसके लिए सम्मान को ढूंढना बहुत ज़रूरी है. शरीर की भूख रोटी से मिटती है और आत्मा की भूख सम्मान से मिटती है, अगर आप दूसरे लोगों के मन में अपने देश को लेकर सम्मान का भाव नहीं जगा पाते तो सब बेकार है.

लेकिन देश के लिए ये भाव संकीर्ण मानसिकता से जन्म नहीं लेता. उदाहरण के लिए हमारे देश में बहुत सारे लोग Youtube के Views और अपने Followers बढ़ाने के लिए, पैसा कमाने के लिए और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए अपने देश तक को गिरवी रख देते हैं और विदेश में जाकर अपने देश की बुराई करने लगते हैं.

कॉमेडियन और एक्टर वीर दास ने भी ठीक यही किया. वीर दास अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी के केनेडी सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, इस दौरान उन्होंने कहा कि वो जिस भारत से आते हैं वह दो तरह का है, एक भारत जहां दिन में हम महिलाओं की पूजा करते हैं और दूसरा जहां रात में उनके साथ गैंगरेप करते हैं. वीर दास ने ऐसी कई बातें कही जो देश के सम्मान को ठेस पहुंचाती है, इसलिए आप को भी भारत के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला वीडियो देखना चाहिए.

विवाद पर सफाई 

ये वीडियो कुल सात मिनट का है और ये भारत के खिलाफ ऐसी ही बातों से भरा हुआ है. इसमें इतने अपशब्द और इतनी अभद्र भाषा का इस्तेमाल हुआ है कि हम आपको ये पूरा वीडियो न दिखा सकते हैं या पढ़ा सकते हैं. हालांकि जबरदस्त आलोचना के बाद सोशल मीडिया पर ही वीर दास की सफाई भी आई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वो सिर्फ भारत के विरोधाभासों को सामने रख रहे थे. उन्होंने ये भी कहा कि भारत एक महान देश है और हमें अपनी महानता को याद रखना चाहिए, उन्होन इस बात पर ज़ोर दिया कि वीडियो के आखिर में बजी तालियां भारत के प्रति लोगों की देशभक्ति का सबूत है.

लेकिन सवाल ये है कि देश भक्ति का ये सबूत हासिल करने लिए वीर दास को अपने ही देश के बारे में इतनी सारी भद्दी बातें करने की क्या ज़रूरत थी? हम मांग करते हैं वीरदास के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और उन्हें गिरफ्तार किया जाए ताकि कभी कोई और व्यक्ति भारत के सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश ना करे.

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