कुछ देश जहां कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर का सामना कर रहे हैं, वहीं चीन के वुहान शहर में सबसे बड़ा म्यूजिक फेस्टिवल मनाया जा रहा है. सबसे बड़ी बात है कि दौरान किसी ने भी मास्क नहीं लगाया तो सोशल डिस्टेंसिंग दूर की बात है.
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नई दिल्ली: कहते हैं कि एक तस्वीर हजारों शब्द बयां करती है, उसी तरह से हम इन तस्वीरों के बहाने चीन के चरित्र का विश्लेषण करेंगे. एक तस्वीर चीन की है, और दूसरी हमारे देश की है. ये दोनों तस्वीरें एक साल पहले की हैं. उस समय भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण फैलना शुरू हुआ था, और देश में लॉकडाउन (Lockdown) लगाया गया था. जबकि दूसरी तस्वीर चीन के वुहान शहर की, वहां भी उस समय लॉकडाउन लगा हुआ था.
अब एक साल बाद की यानी कि इस समय की तस्वीरें देखिए. अभी भारत के कई राज्यों में लॉकडाउन लगा है, और वुहान में चीन का सबसे बड़ा म्यूजिक फेस्टिवल (Music Festival) चल रहा है, जिसे देखने के लिए हजारों लोग पार्क में इकट्ठा हुए हैं. यहां अब मास्क लगाना जरूरी नहीं है और लोग सोशल डिस्टेंसिंग भी भूल चुके हैं. तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि कैसे लोग सब कुछ भूलकर म्यूजिक फेस्टिवल कर रहे हैं.
हमें पता है कि ये तस्वीरें आपको गुस्से से भर देंगी. आप सोचेंगे कि कोई देश इतना कठोर कैसे हो सकता है? जब उसकी वजह से पूरी दुनिया परेशानी और दुख झेल रही है, तब वो अपने लोगों को मजे करने की छूट कैसे दे सकता है? इन तस्वीरों को दिखा कर हमारा मकसद आपको दुखी करना या परेशान करना नहीं है, बल्कि ये दिखाना है कि चीन कैसे पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैलाकर चुप है.
ये सब तब हो रहा है, जब भारत में लोग अभी भी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों को घरों में भी मास्क लगाने का सुझाव दिया है. हमारे यहां कोरोना वायरस का एक दो नहीं कई वैरिएंट और म्यूटेंट फैल चुका है, जो शुरूआती कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक है. आंकड़े पर गौर करें तो भारत में कोरोना वायरस से अब तक 2 करोड़ 10 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, और 2 लाख 30 हजार लोग असमय मौत का शिकार हो चुके हैं. इस समय दिल्ली सहित देश के 13 राज्यों में पूर्ण रूप से या फिर आंशिक रूप से लॉकडाउन लगा हुआ है. यही हालात देश के बाकी राज्यों की भी हैं, जहां नाइट कर्फ्यू की वजह से लोग अपने घरों में बंद हैं.
दूसरे देशों की स्थिति भी हमसे अलग नहीं है. इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रही है, और कुछ देश तो तीसरी और चौथी लहर को झेलने की तैयारी कर रहे हैं. जबकि, चीन के वुहान का ये कोरोना वायरस अब तक दुनिया के 15 करोड़ 39 लाख लोगों को संक्रमित कर चुका है, और इससे 32 लाख 21 हजार लोग असमय मौत के शिकार हो चुके हैं. इसके बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था को कोई खास नुकसान नहीं हुआ, जबकि दुनिया की अर्थव्यवस्था गिर गई और पूरी दुनिया की GDP को 4.5% का नुकसान झेलना पड़ा है. आप इसे ऐसे समझिए, 2019 में पूरी दुनिया की GDP 6,453 लाख करोड़ रुपये की थी, जो 2020 में 6,187 लाख करोड़ रुपये हो गई, यानी GDP को 296 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
पहली लहर से बचने के लिए दुनिया के सभी देशों ने लॉकडाउन लगाया, जिसके वजह से उनकी अर्थव्यवस्था चौपट हो गई और अभी भी इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, इटली जैसे देशों में आंशिक या पूरी तरह से लॉकडाउन लगा हुआ है. यहां स्कूल, कॉलेज और रेस्टोरेंट जैसी सार्वजनिक जगहें बंद हैं. जबकि कोरोना वारयस को जिस देश ने पूरी दुनिया में फैलाया, वो देश अब इससे पूरी तरह से उबर चुका है. अपनी आर्थिक स्थिति और सैन्य ताकत को मजबूत कर रहा है, और उस देश के लोग मौज मस्ती में डूबे हुए हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो दूसरे देशों के लोगों की चीन को कोई चिंता नहीं है. ना तो वो गरीब देशों को फ्री में वैक्सीन दे रहा है और ना ही उसे कोरोना वायरस फैलाने को लेकर कोई पछतावा है.
हम चीन की नीतियों को क्यों गलत कह रहे हैं, इसके पीछे भी कुछ ठोस वजहें हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने में चीन को भी समय लगा और हमें भी. लेकिन, दोनों देशों के स्वभाव में फर्क देखिए, हम पहली लहर से उबर कर वैक्सीन बनाने में जुट गए और जैसे ही वैक्सीन बन गई, हमने दुनिया के गरीब देशों को इसे देना शुरू कर दिया, अभी तक हम 95 देशों को वैक्सीन दे चुके हैं और कुछ देशों को तो हमने फ्री में भी वैक्सीन दिया. लेकिन चीन का स्वभाव देखिए, वो अपनी वैक्सीन दूसरे देशों को बेच रहा है, जबकि उसे सभी देशों को वैक्सीन फ्री में देनी चाहिए, क्योंकि चीन की वजह से ही भारत सहित दुनिया से सभी देश अभी भी कोरोना वायरस से खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं.
हांलाकि, हमारा स्वभाव ही है कि हम दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. लेकिन, चीन को ये जरूर सोचना चाहिए कि उसने इस महामारी के समय अपना धर्म नहीं निभाया? हमसे जो गलती हुए उसे हमें जरूर समझना चाहिए. हमने धैर्य और अनुशासन का साथ छोड़ दिया. जैसे ही लॉकडाउन समाप्त हुआ, मास्क लगाना भूल गए. ओवर कॉन्फिडेंस में हमने सरकार के निर्देशों को मानना भी बंद कर दिया. जबकि हमें पता था कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर जल्दी ही आएगी, फिर भी हम त्योहार मनाने लगे और शादी ब्याह के कार्यक्रमों में आने जाने लगे. Nutshell में कहें तो हमने सावधानी नहीं बरती और सिर्फ सरकार के भरोसे बैठे रहे. और धीरे-धीरे कोरोना वायरस का संक्रमण फैलता चला गया. मास्क पहनने और दो गज दूरी को अपनाने के लिए हमें किसी सरकार के आदेश का इंतजार नहीं करना चाहिए. ये सभी काम हमें खुद से करना होगा, तभी हम कोरोना से जीत सकते हैं.
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