बिहार चुनाव के नतीजों से साफ है कि कोरोना के मुद्दे पर लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का कामकाज पसंद आया है. बिहार चुनाव के बाद अब देश में एक अलग ही माहौल बन गया है. नया माहौल ये है कि अब विपक्ष के नेता अपने भाषणों में प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करने से डर रहे हैं.
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नई दिल्ली: कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बीजेपी के मुख्यालय में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया है. उन्होंने ये भाषण ऐसे दिन दिया जिस दिन से देश का माहौल हमेशा के लिए बदल गया है और राजनीति के एक नए युग की शुरुआत हो गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शायद दुनिया के अकेले ऐसे नेता हैं जिनकी कोरोना वायरस के दौर में लोकप्रियता बढ़ी है, जबकि दुनिया के हर देश में वहां के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की इसे लेकर आलोचना हो रही है. कोरोना वायरस के खिलाफ असफल रहने की वजह से अमेरिका में तो डोनाल्ड ट्रंप की कुर्सी तक चली गई. बिहार चुनाव के नतीजों से भी साफ है कि कोरोना के मुद्दे पर लोगों को प्रधानमंत्री मोदी का कामकाज पसंद आया है. बिहार चुनाव के बाद अब देश में एक अलग ही माहौल बन गया है. नया माहौल ये है कि अब विपक्ष के नेता अपने भाषणों में प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करने से डर रहे हैं. इन नेताओं को डर है कि अगर वो मोदी की आलोचना करेंगे तो देश की जनता उनके खिलाफ हो जाएगी ऐसा देश के इतिहास में पहली बार हो रहा है. ये नए युग की शुरुआत है. इसलिए आज हम इसका विश्लेषण करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में साइलेंट वोटर्स का भी जिक्र किया उन्होंने कहा कि वो कुछ दिनों से साइलेंट वोटर्स की चर्चा सुन रहे हैं और इन्हीं साइलेंट वोटर्स ने बिहार में NDA के काम पर मुहर लगाई है.
RJD ने पिछली बार के मुकाबले 5 सीटें कम जीतीं
बिहार चुनाव में NDA को 125 सीटें मिली हैं. बिहार में बहुमत का आंकड़ा 122 है. यानी नीतीश कुमार लगातार चौथी बार बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे. 110 सीटों के साथ महागठबंधन दूसरे नंबर पर है. बहुत सारे लोग दावा कर रहे हैं कि इन चुनावों में सबसे शानदार प्रदर्शन तेजस्वी यादव की पार्टी RJD ने किया है. लेकिन ये सच नहीं है. वर्ष 2015 में RJD ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 80 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन इस बार RJD ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे सिर्फ़ 75 सीटों पर जीत मिली है. यानी इस बार RJD का स्ट्राइक रेट पिछली बार के मुकाबले बहुत कम है. पिछली बार RJD का स्ट्राइक रेट करीब 80 प्रतिशत था और इस बार ये सिर्फ़ 52 प्रतिशत है. यानी RJD के पास इस बार लड़ने के लिए पिछली बार की तुलना में 43 सीटें ज्यादा थीं लेकिन RJD ने पिछली बार के मुकाबले 5 सीटें कम जीतीं.
बीजेपी का स्ट्राइक रेट 67 प्रतिशत
कुछ लोग कह रहे हैं कि RJD ने बीजेपी के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया है क्योंकि, बीजेपी ने 74 सीटें जीती हैं जबकि RJD के पास 75 सीटें हैं. लेकिन बीजेपी इस बार सिर्फ 110 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसे 74 पर जीत मिली. इस हिसाब से बीजेपी का स्ट्राइक रेट 67 प्रतिशत है, जबकि RJD का स्ट्राइक रेट सिर्फ 52 प्रतिशत है.
LJP का वोट शेयर करीब 6 प्रतिशत
चिराग पासवान की पार्टी LJP ने इस बार बिहार में NDA से अलग हो कर चुनाव लड़ा और LJP का वोट शेयर करीब 6 प्रतिशत रहा. LJP को एक सीट पर जीत मिली है और NDA के हिस्से का 6 प्रतिशत वोट कट जाने की वजह से RJD को 23 सीटों पर फायदा हुआ यानी अगर चिराग पासवान NDA से अलग होकर चुनाव नहीं लड़ते तो RJD का फाइनल स्कोर 50 सीटों के आसपास होता और स्ट्राइक रेट होता 35 प्रतिशत.
कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सिर्फ 27 प्रतिशत
बिहार चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन कांग्रेस ने किया है. जिसने इस बार 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और कांग्रेस को इनमें से सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली. इसका मतलब ये है कि कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सिर्फ 27 प्रतिशत रहा जबकि पिछली बार 41 सीटों पर चुनाव लड़कर कांग्रेस ने 27 सीटें जीती थीं और राहुल गांधी का स्ट्राइक रेट 66 प्रतिशत था.
नीतीश कुमार का स्ट्राइक रेट 37 प्रतिशत
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने इस बार 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था और जेडीयू को जीत मिली सिर्फ 43 सीटों पर यानी नीतीश कुमार का स्ट्राइक रेट सिर्फ 37 प्रतिशत रहा, जबकि पिछली बार 101 सीटों पर चुनाव लड़कर 71 सीटें जीतने वाले नीतीश कुमार 70 प्रतिशत स्टाइक रेट के साथ बिहार के मुख्यमंत्री बने थे.
यानी लड़ी गई सीटों और जीती गई सीटों के हिसाब से बीजेपी परफॉर्मेंस के मामले में नंबर वन है. बीजेपी इन चुनावों में बड़ा भाई बनकर उभरी है. लेकिन चुनाव से पहले किए गए तय वायदे के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे.
पूरे भारत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा
अब हम 19 फरवरी की उस तस्वीर की बात करते हैं जब दिल्ली के हुनर हाट में प्रधानमंत्री मोदी लिट्टी चोखा खाने पहुंचे थे. आप कह सकते हैं कि जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी की ये तस्वीरें आई थीं, एक तरह से उसी दिन बीजेपी ने बिहार चुनाव जीत लिया था.
बिहार चुनाव के साथ 11 राज्यों की 59 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी था. बीजेपी ने 59 में से 40 सीटों पर जीत दर्ज की है. ये 40 सीटें 6 अलग-अलग राज्यों में हैं.
जिन राज्यों में बीजेपी ने उपचुनावों में जीत हासिल की है वो हैं, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक और मणिपुर. यहां बीजेपी की जीत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पूरे भारत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा है.
बीजेपी के लिए चुनौती
दक्षिण भारत में पार्टी का विस्तार करना बीजेपी के लिए हमेशा से चुनौती रहा है. यदि कर्नाटक को छोड़ दिया जाए तो दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में बीजेपी सफल नहीं रही है. ऐसे में तेलंगाना की एक विधानसभा सीट पर बीजेपी को मिली जीत की सबसे अधिक चर्चा है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तेलंगाना में अच्छा प्रदर्शन किया था और चार लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी.
4 दशकों से बिहार में कांग्रेस का बुरा हाल
RJD बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा कर रही है. सीटों की संख्या के हिसाब से ये दावा ठीक भी है. लेकिन कांग्रेस इन चुनावों में सिंगल लार्जेस्ट लूजर पार्टी साबित हुई है. बिहार में आजादी के बाद से अब तक कुल 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. जिनमें से 7 बार कांग्रेस सबसे बड़ी विजेता रही है. लेकिन पिछले 4 दशकों से बिहार में कांग्रेस का बुरा हाल है और कांग्रेस के साथ लगभग यही स्थिति पूरे देश में है. कांग्रेस की स्थिति किसी कमजोर और बीमार हो चुकी कंपनी की तरह हो गई है, जिसका शायद अब किसी और पार्टी द्वारा अधिग्रहण कर लिया जाना चाहिए या फिर गांधी परिवार चाहे तो कांग्रेस पार्टी को किसी को किराए पर भी दे सकता है, ताकि कांग्रेस को एक बेहतर पार्टी में बदला जा सके.