पिछले 7 वर्षों से कांग्रेस का लोक सभा में इतिहास रहा है कि वो पहले किसी मुद्दे पर जोरदार हंगामा करती है. संसद को ठप कर देती है. लेकिन जब सरकार इस पर चर्चा करती है, तो जवाब सुनने की जगह वो या तो हंगामा करती है या फिर सदन छोड़कर बाहर चली जाती है.
Trending Photos
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन आंदोलनजीवियों का अपने भाषण में जिक्र किया था, 9 फरवरी को उनकी पोल संसद में भी खुल गई. ये बात हम आपसे लगातार कह रहे हैं कि किसान आंदोलन की आड़ में सरकार का विरोध कर रहे आंदोलनजीवियों को केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कनूनों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इन लोगों ने कानूनों के बारे में पढ़ा ही नहीं है और ये बात संसद में भी खुल कर सामने आ गई.
9 फरवरी को संसद में कांग्रेस नेता रवनीत बिट्टू ने कहा कि ये तीनों कृषि कानून अंसवैधानिक हैं और इन कानूनों की वजह से राज्यों में सरकारी मंडिया खत्म हो जाएंगी. रवनीत बिट्टू की इस टिप्पणी पर वित्त राज्य मंत्री ठाकुर ने विरोध जताया और उनसे पूछा कि कृषि कानूनों में ये सब कहां लिखा है? अनुराग ठाकुर के इस सवाल का जवाब कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू के पास नहीं था और इससे पता चलता है कि इन कानूनों का विरोध कर रहे लोगों और नेताओं ने कृषि कानून के बारे में पढ़ा ही नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 फरवरी को भावुक होकर देश को सकारात्मक राजनीति का रास्ता दिखाया था. राज्य सभा के नेता विपक्ष गुलाम नबी आज़ाद के लिए फेयरवेल स्पीच के दौरान प्रधानमंत्री ने बताया था कि राजनीतिक कड़वाहट के बावजूद विपक्षी नेताओं से सीखने का मौका नहीं खोना चाहिए. लेकिन गांधी परिवार को प्रधानमंत्री का ये संदेश बिल्कुल अच्छा नहीं लगा. सबको साथ लेकर चलने वाली राजनीति के पाठ का मतलब शायद गांधी परिवार को समझ में नहीं आया.
10 फरवरी को प्रधानमंत्री जब लोक सभा में बोल रहे थे, तो कांग्रेस को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा. पहले कांग्रेस के सांसदों ने हंगामा किया, कई बार प्रधानमंत्री को टोका और फिर सदन का बायकॉट कर दिया.
आपको याद होगा 2 दिन पहले जब प्रधानमंत्री ने राज्य सभा में भाषण दिया था, तब हंगामा या नारेबाजी नहीं हुई थी. लेकिन आज लोकसभा में कांग्रेस के सांसदों ने कई बार हंगामा किया. सोचिए, एक ही पार्टी है, लेकिन अलग-अलग सदनों में उसका व्यवहार अलग-अलग है. कभी वो चर्चा में हिस्सा लेती है और कभी वो सहूलियत के हिसाब से वॉक आउट भी कर जाती है. आप भी सोच रहे होंगे कि ऐसी कौन सी राजनीति है, जिसके कारण कांग्रेस पार्टी अलग-अलग समय पर अलग-अलग नजर आती है. प्रधानमंत्री ने कल 10 फरवरी को संसद में इसका कारण देश को बताया. पिछले 7 वर्षों से कांग्रेस का लोक सभा में इतिहास रहा है कि वो पहले किसी मुद्दे पर जोरदार हंगामा करती है. संसद को ठप कर देती है. लेकिन जब सरकार इस पर चर्चा करती है, तो जवाब सुनने की जगह वो या तो हंगामा करती है या फिर सदन छोड़कर बाहर चली जाती है.
प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान कांग्रेस के सदस्यों ने पहले हंगामा किया, लेकिन जब उन्हें लगा कि कानून के विरोध पर उनकी पोल खुल रही है और खुद प्रधानमंत्री सीधे एक-एक मुद्दों का जवाब दे रहे हैं, तो उनके सांसदों ने वॉक आउट कर दिया. प्रधानमंत्री ने देश को कांग्रेस के इस वॉक आउट का कारण भी बताया.
कांग्रेस पार्टी कृषि कानूनों पर किसानों में लगातार भ्रम फैला रही है. आंदोलनजीवियों की तरह वो भी किसानों में ये झूठ फैला रही है कि नए कानून से MSP खत्म हो जाएगा, मंडियां बंद हो जाएंगी. लेकिन कांग्रेस पार्टी को न तो वास्तविक स्थिति का पता है और न ही वो इसे समझना चाहती है. 10 फरवरी को संसद में प्रधानमंत्री ने किसानों से कहा कि वो उनकी हर बात सुनने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने विपक्षी पार्टियों की हंगामे की राजनीति से किसानों को सावधान भी किया.