देश की राज्य सरकारें अब अपने प्रदेशों की ओबीसी की लिस्ट खुद ही तैयार कर सकेंगी. इस संबंध में लोक सभा में पेश बिल मंगलवार को आम सहमति से पास हो गया.
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नई दिल्ली: जो संसद अलग-अलग मुद्दों की वजह से पिछले कई दिनों से ठप थी. वो OBC Bill के मुद्दे पर मंगलवार को नियमित रूप से चली. लंबी बहस के बाद लोकसभा में आखिरकार ये बिल पास भी हो गया. इस बिल का नाम 105वां संविधान संशोधन बिल है.
इस बिल के पास हो जाने के बाद अब राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में OBC यानी सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों की लिस्ट तैयार कर पाएंगी. यानी अब राज्य सरकारों को किसी जाति को OBC में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार नहीं करना होगा. हैरानी की बात ये है कि लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 385 वोट पड़े और इसके विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा.
इस बिल को 14 विपक्षी पार्टियों का समर्थन हासिल था. यानी जब बात आरक्षण और जातियों की आती है तो विपक्षी पार्टियां सारे मतभेद भुलाकर एक हो जाती है.
इससे पहले सरकार ने वर्ष 2018 में भी OBC को लेकर एक संविधान संशोधन बिल पास किया था. उस बिल के जरिए सरकार ने संविधान में तीन नई धाराएं जोड़ी थी. जिसके तहत पिछड़े वर्ग के लिए एक आयोग का गठन किया गया था. पिछड़े वर्ग में कौन कौन शामिल होगा. इस पर निर्णय लेने का अधिकार केंद्र सरकार को दिया गया था. इसी के तहत ये परिभाषा तय की गई थी कि कौन पिछड़े वर्ग में आएगा और कौन नहीं.
इसी आधार पर इस साल सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस बिल के पास होने के बाद राज्यों के पास पिछड़े वर्ग (OBC Reservation Bil) की लिस्ट बनाने का अधिकार नहीं है और इस पर फैसला सिर्फ केंद्र सरकार ही ले सकती है.
इसके बाद से ही 2018 में बने कानून का लगातार विरोध हो रहा था. आखिरकार सरकार ने आखिर में इसमें संशोधन करने का फैसला किया. अब इस बिल के कानून बन जाने के बाद 671 जातियों को फायदा मिलेगा. राज्य सरकारें इन्हें OBC में शामिल करके नौकरी और शिक्षा में आरक्षण दे पाएंगी.
उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही 39 ऐसी जातियों की लिस्ट तैयार की हुई है. जिन्हें OBC में शामिल करने की योजना है. बाकी राज्यों की सरकारें भी आने वाले दिनों में ऐसा ही कर सकती हैं. अगले वर्ष उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब समेत पांच राज्यों में चुनाव हैं. उससे पहले अलग अलग जातियों को OBC में शामिल करने की नई दौड़ शुरू हो सकती है.
मंडल कमिशन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में OBC की जनसंख्या 52 प्रतिशत है. आम तौर पर इनकी आबादी 54 प्रतिशत मानी जाती है. इस बिल के कानून बन जाने के बाद जनसंख्या के एक बहुत बड़े हिस्से को फायदा होगा. सवाल ये है कि अभी भारत में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत है. जबकि OBC समुदाय की संख्या इससे ज्यादा मानी जाती है.
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कुछ राज्यों की आबादी में तो OBC की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है. ऐसे में OBC की सूची लंबी होने जाने के बाद भी सबको आरक्षण कैसे मिल पाएगा. ये एक बड़ा सवाल है और इसका जवाब सभी पार्टियों को मिलकर देना होगा.
अब बहुत सारी पार्टियां ये मांग कर रही हैं कि आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा हटाने के लिए केंद्र सरकार एक नया बिल लेकर आए. सरकार ने भी मंगलवार को संसद में ये कहा है कि वो इस पर विचार कर सकती है.
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