DNA ANALYSIS: Nandigram में बढ़ गए Suvendu Adhikari की जीत के आसार, ये है बड़ी वजह
Advertisement
trendingNow1876831

DNA ANALYSIS: Nandigram में बढ़ गए Suvendu Adhikari की जीत के आसार, ये है बड़ी वजह

West Bengal Assembly Election 2021: बंपर वोटिंग ने नंदीग्राम के चुनावी संग्राम को और भी दिलचस्प बना दिया है और बहुत सारे चुनावी एक्‍सपर्ट्स आज ये सवाल पूछे रहे हैं कि क्या ममता बनर्जी को अपनी हार का अंदाजा हो चुका है? आज हम ये समझने की भी कोशिश करेंगे कि जब इतनी बड़ी संख्या में लोग स्वेच्छा से वोट डालने के लिए अपने घरों से बाहर निकलते हैं तो ये भीड़ क्या संकेत देती है.

DNA ANALYSIS: Nandigram में बढ़ गए Suvendu Adhikari की जीत के आसार, ये है बड़ी वजह

नई दिल्‍ली: कल 1 अप्रैल को पश्चिम बंगाल की 30 और असम की 39 सीटों पर दूसरे चरण के लिए मतदान हो चुका है और दोनों ही राज्यों में बंपर वोटिंग हुई है. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम सीट पर कल 80 प्रतिशत से भी ज्‍यादा मतदान हुआ है.

  1. बूथ कैप्‍चरिंग के आरोपों के बीच नंदीग्राम में बंपर वोटिंग जारी रही.
  2. शाम चार बजे तक नंदीग्राम में 70 प्रतिशत से ज्‍यादा वोटिंग हो चुकी थी.
  3. शाम 5 बजे तक ये आंकड़ा 80 प्रतिशत से ज्‍यादा था.
  4.  
  5.  

ममता बनर्जी को अपनी हार का अंदाजा हो चुका है?

नंदीग्राम सीट पर कल 80 प्रतिशत से भी ज्‍यादा मतदान हुआ, लेकिन 2016 के चुनाव की तुलना में ये थोड़ा कम है क्योंकि, पिछली बार नंदीग्राम में 86.97 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. हालांकि उस समय शुवेंदु अधिकारी TMC की तरफ से चुनावी मैदान में थे और उन्होंने जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार शुवेंदु अधिकारी के सामने ममता बनर्जी खुद चुनाव लड़ रही हैं. ऐसे में बंपर वोटिंग ने नंदीग्राम के चुनावी संग्राम को और भी दिलचस्प बना दिया है और बहुत सारे चुनावी एक्‍सपर्ट्स आज ये सवाल पूछे रहे हैं कि क्या ममता बनर्जी को अपनी हार का अंदाजा हो चुका है?

कल वोटिंग के दौरान क्या क्या हुआ

इसके साथ ही आज हम ये समझने की भी कोशिश करेंगे कि जब इतनी बड़ी संख्या में लोग स्वेच्छा से वोट डालने के लिए अपने घरों से बाहर निकलते हैं तो ये भीड़ क्या संकेत देती है. लेकिन सबसे पहले आपको ये बताते हैं कि नंदीग्राम में कल 1 अप्रैल को वोटिंग के दौरान क्या क्या हुआ?

-कल सुबह से ही नंदीग्राम में अलग-अलग पोलिंग बूथ पर हिंसक टकराव देखने को मिला और इस दौरान नंदीग्राम से BJP उम्मीदवार शुवेंदु अधिकारी के काफिले पर भी हमला हुआ. जिस गाड़ी में वो बैठे थे, उस पर पत्थर भी बरसाए गए. हालांकि शुवेंदु अधिकारी इस हमले में बाल-बाल बच गए, लेकिन उनके काफिले में शामिल गाड़ियों को काफी नुकसान पहुंचा.

-शुवेंदु अधिकारी का आरोप है कि ये हमला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के समर्थकों ने कराया है.

-वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी भी दिनभर नंदीग्राम में अलग-अलग पोलिंग बूथ पर जाकर लोगों से बात करती नजर आईं. उन्होंने उस पोलिंग बूथ का भी जायजा लिया, जहां कुछ लोगों ने उनसे वोटरों को डराने और धमकाने का आरोप लगाया.

-ममता बनर्जी इस पोलिंग बूथ पर व्‍हील चेयर पर पहुंचीं और फिर वहां धरने पर बैठ गई. उन्होंने आरोप लगाया कि बाहरी लोग वोटरों को बूथ पर नहीं आने दे रहे हैं. उन्होंने वोटरों की 63 शिकायतें मिलने का दावा किया और चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए.

-इसके विरोध में उन्होंने पोलिंग बूथ से ही पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भी फोन किया और उनसे चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत की.

-हालांकि ममता बनर्जी के जाने के बाद शुवेंदु अधिकारी भी इस पोलिंग बूथ पर पहुंचे और इस दौरान वहां वोटरों ने जय श्री राम के नारे भी लगाए और ममता बनर्जी के खिलाफ भी नारेबाजी की. उन्होंने ममता बनर्जी के बूथ कैप्‍चरिंग के आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया.

-जब तक नंदीग्राम में चुनाव सम्पन्न नहीं हुए. तब तक शुवेंदु अधिकारी और ममता बनर्जी इसी तरह एक दूसरे पर हमलावर दिखे. हालांकि इस सियासी रस्साकशी और बूथ कैप्‍चरिंग के आरोपों के बीच नंदीग्राम में बंपर वोटिंग जारी रही और शाम चार बजे तक नंदीग्राम में 70 प्रतिशत से ज्‍यादा वोटिंग हो चुकी थी और शाम 5 बजे तक ये आंकड़ा 80 प्रतिशत से ज्‍यादा था.

बढ़ गए शुवेंदु अधिकारी की जीत के आसार 

महत्वपूर्ण बात ये है कि नंदीग्राम से ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे हमारे रिपोर्टर्स का मानना है कि वहां इस बार के चुनाव में हिंदू और मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण हुआ है, जिससे शुवेंदु अधिकारी की जीत के आसार बढ़ गए हैं.

ममता बनर्जी कल रात 1 अप्रैल को नंदीग्राम में ही रुकीं. इससे पहले ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल की दूसरी सीटों पर प्रचार के लिए जाना था, लेकिन शाम होते होते ये कार्यक्रम बदल गया और अब उन्होंने नंदीग्राम में ही अपने आवास पर रुकने का फैसला किया. 

यहां समझने वाली बात ये है कि ममता बनर्जी को नंदीग्राम में काफी मेहनत करनी पड़ रही है क्योंकि, इस सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी के शुवेंदु अधिकारी से है, जो वर्ष 2016 में ममता बनर्जी की टीम का हिस्सा थे और उन्होंने इस सीट पर जीत भी दर्ज की थी. तब 2016 में नंदीग्राम की सीट पर 86.97 प्रतिशत वोटिंग हुई थी और शुवेंदु अधिकारी को कुल वोटों में से लगभग 67 प्रतिशत वोट मिले थे. यानी दो तिहाई वोट उन्हें मिल गए थे और जीत का अंतर 81 हजार वोटों का था. सीपीआई दूसरे स्थान पर रही थी.

2006 के बाद बदली तस्‍वीर 

असल में नंदीग्राम को पहले लेफ्ट पार्टियों का गढ़ माना जाता था, लेकिन वर्ष 2006 से यहां तस्वीर बदली और तभी से टीएमसी का इस सीट पर दबदबा है. वर्ष 2006 के विधान चुनाव में उसे 45 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2016 के चुनाव में बढ़ कर 67 प्रतिशत हो गए और 2019 के लोक सभा चुनाव में भी जब बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें जीत कर सबको चौंका दिया था. तब भी नंदीग्राम में टीएमसी को 63 प्रतिशत वोट मिले थे. यानी इस लिहाज से ये ममता बनर्जी के लिए एक अच्छी सीट है.

हालांकि इस बार की तस्वीर कुछ अलग है. इस बार शुवेंदु अधिकारी ममता बनर्जी की टीम से नहीं, बल्कि बीजेपी की टीम से खेल रहे हैं और ममता बनर्जी खुद उनके सामने हैं. ऐसे में इस सीट पर 80 प्रतिशत वोटिंग का सीधा सीधा एक मतलब ये है कि ये लड़ाई आसान बिल्कुल नहीं होने वाली है.

ममता बनर्जी का नंदीग्राम से सीधा कनेक्‍शन

चुनावी समीकरण भले कुछ कहें लेकिन एक दिलचस्प जानकारी ये भी है कि ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से ही अपनी राजनीतिक जड़ों को मजबूत करना शुरू किया था. वो भले इस सीट से पहले कभी चुनाव नहीं लड़ीं, लेकिन इस सीट से उनका सीधा कनेक्शन है.

-वर्ष 2007 में नंदीग्राम में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुआ था, जिसमें पुलिस की तरफ से हुई फायरिंग में 14 लोग मारे गए थे और तब ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में वामपंथी सरकार के तीन दशकों के शासन के खिलाफ नंदीग्राम को ही हथियार बना लिया था.

-2011 के विधान सभा चुनाव में ममता बनर्जी के दो चुनावी नारे थे, पहला था- मां, माटी, मानुष और दूसरा था- परिवर्तन. इन दोनों नारों का रिश्ता नंदीग्राम के खूनी संघर्ष से ही था और इसी की बदौलत ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में 34 वर्षों से सरकार चला रही लेफ्ट पार्टियों को सत्ता से बाहर करने में सफल रही थीं. हालांकि ममता बनर्जी कभी नंदीग्राम से चुनाव नहीं लड़ीं, वो पिछले 10 वर्षों से कोलकाता की भवानीपुर सीट से ही विधायक हैं.

-2011 के उप चुनाव में उन्हें इस सीट पर लगभग 77 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि 2016 के विधान सभा चुनाव में उन्हें 48 प्रतिशत वोट मिले थे. हालांकि यहां समझने वाली बात ये है कि पिछली बार के चुनाव में उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार से सिर्फ 25 हजार ज्‍यादा वोट ही मिले थे जबकि शुवेंदु अधिकारी नंदीग्राम सीट पर 81 हजार वोटों के अंतर से जीते थे.

शुवेंदु अधिकारी का गढ़ नंदीग्राम

नंदीग्राम को शुवेंदु अधिकारी का गढ़ इसलिए भी माना जाता है क्योंकि, जब ममता बनर्जी ने इस सीट को वामपंथी सरकार के खिलाफ एक बड़ा हथियार बनाया, तो शुवेंदु अधिकारी ही उनके फील्‍ड कमांडर थे. शुवेंदु अधिकारी के भाई दिब्येंदु अधिकारी भी राजनीति में हैं और पश्चिम बंगाल की तामलुक लोक सभा सीट से टीएमसी सांसद हैं. नंदीग्राम इसी सीट का हिस्सा है, जबकि उनके पिता शिशिर अधिकारी भी टीएमसी के सांसद हैं.

अब आप समझ होंगे कि क्यों नंदीग्राम का महासंग्राम ममता बनर्जी और बीजेपी दोनों के लिए इतना महत्वपूर्ण है. 

पश्चिम बंगाल की दूसरी सीट केशपुर

अब आपको पश्चिम बंगाल की दूसरी सीट पर लेकर चलते हैं जिसका नाम है, केशपुर. यहां पर भी आज बीजेपी उम्मीदवार प्रीतीश रंजन के काफिले पर हमला किया गया. प्रीतीश रंजन के काफिले पर अचानक भीड़ ने हमला कर दिया और कई लोगों ने उन पर पत्थर भी फेंके. हालांकि शुवेंदु अधिकारी की तरह वो भी इस हमले में बाल-बाल बच गए.

ज़ी मीडिया की रिपोर्टर पर हमला 

केशपुर में ही 100 से 150 लोगों की भीड़ ने ज़ी मीडिया की रिपोर्टर मैत्रेयी भट्टाचार्य पर हमला कर दिया और इस हमले में हमारी गाड़ी के सभी शीशे भी तोड़ दिए गए. इसके अलावा भीड़ ने ज़ी मीडिया के ड्राइवर और कैमरा पर्सन तरुण बिस्वास के साथ भी मारपीट की.

इन लोगों ने हमला करते हुए हमारी टीम से ये भी पूछा कि क्या हम बीजेपी की तरफ से आए हैं. इस बात से ही आप समझ सकते हैं कि ये लोग किसकी तरफ से आए थे. ममता बनर्जी कहती हैं कि खेला होबे. क्या यही वो खेला है, जिसमें मीडिया को मारा जाता है?

विपक्षी नेताओं को ममता बनर्जी की चिट्ठी

हमने आपको ममता बनर्जी द्वारा लिखी गई एक चिट्ठी के बारे में बताया था, जो उन्होंने देशभर के बड़े विपक्षी नेताओं को लिखी है. इसमें उन्होंने इन नेताओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है. कल 1 अप्रैल को इस पर पश्चिम बंगाल की एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन पर पलटवार किया और नंदीग्राम को लेकर भी ममता बनर्जी को चुनौती दी. प्रधानमंत्री ने ममता बनर्जी के उन हमलों का भी जवाब दिया, जिनमें वो बीजेपी को बाहरी पार्टी बता रही हैं. यही नहीं उन्होंने जय श्री राम, तिलक और चोटी से ममता बनर्जी को जो परेशानी है, उस पर भी सवाल उठाए.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news