DNA ANALYSIS: मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहा Work from Home? Google के सर्वे में सामने आई ये बात
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DNA ANALYSIS: मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहा Work from Home? Google के सर्वे में सामने आई ये बात

Work from home culture: ग्लोबल सर्च इंजन गूगल ने मैनेजमेंट फर्म क्वाल्ट्रिक्स के साथ मिलकर वर्क फ्रॉम करने वाले कर्मचारियों पर एक शोध किया है. इसमें सामने आया कि लोग अपने व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन के बीच संतुलन नहीं बना पा रहे हैं.

DNA ANALYSIS: मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहा Work from Home? Google के सर्वे में सामने आई ये बात

नई दिल्ली: हम वर्क फ्रॉम होम वाले नए कल्चर के बारे में आपको बताना चाहते हैं. ग्लोबल सर्च इंजन गूगल की एक स्टडी कहती है कि वर्क फ्रॉम होम करने वाले कर्मचारी अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल जिंदगी में संतुलन नहीं बिठा पा रहे हैं. जिसकी वजह से कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ रहा है.

कोरोना संक्रमण काल में कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की सेहत का ख्याल करते हुए उन्हें घर पर रहकर काम करने की सुविधा दी. महामारी के दौर में लोगों ने भी कंपनियों के इस कदम को सराहा और घर पर सुरक्षित रहकर काम करने के आदेश उत्साह के साथ अपनाया. लेकिन समय के साथ दिन हफ्तों में बदल गए, हफ्ते महीनों में बदल गए, अब साल भर से ज्यादा का समय हो गया है और लोग आज भी अपने घर में रहकर दफ़्तर का काम कर रहे हैं.

मानसिक स्वास्थ्य पर असर 

अब यहां चुनौती ये आ गई है कि लोगों ने अपने व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन में संतुलन खो दिया है. घर में रहकर ऑफिस का काम लगातार करने की वजह से वो परिवार को समय नहीं दे पा रहे हैं. ऑफिस के काम से लौटकर घर में सुकून के पल बिताने वाले लोग अब घर पर ही ऑफिस वाला दबाव महसूस कर रहे हैं, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है.

ग्लोबल सर्च इंजन गूगल ने मैनेजमेंट फर्म क्वाल्ट्रिक्स के साथ मिलकर वर्क फ्रॉम करने वाले कर्मचारियों पर एक शोध किया है. अपने शोध में उन्होंने पाया कि दुनियाभर में 68 प्रतिशत कर्मचारियों के पास व्यक्तिगत और कामकाजी इस्तेमाल के लिए एक ही स्मार्टफोन है. वर्क फ्रॉम होम की वजह से उनको फोन पर व्यक्तिगत जीवन से कॉल्स कम, ऑफिस से जुड़े कॉल ज्यादा आने लगे हैं. इस वजह से लोग अपने व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन के बीच संतुलन नहीं बना पा रहे हैं.

गूगल की स्टडी में ये भी पाया गया कि 32 प्रतिशत ऐसे हैं जिन्होंने ऑफिस के काम के लिए अलग फोन रखा है और व्यक्तिगत फोन अलग रखा है. ऐसे लोग अपने व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन में संतुलन बनाए रखने में कुछ हद तक कामयाब रहे हैं क्योंकि, उनके पास कॉल्स उठाने के चयन का अधिकार रहता है.

गूगल की स्टडी बताती है कि लैपटॉप के बाद मोबाइल फोन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल वर्क फ्रॉम हो में किया जा रहा है. इसके मुताबिक, 70 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो अपने फोन के लिए ऐसा यूजर इंटरफेस पसंद करते हैं, जो उनके व्यक्तिगत और ऑफिस से जुड़े एप्स और डेटा को अलग-अलग रखता हो.

असल में वर्क फ्रॉम होम की वजह से लोगों का घर, उनका ऑफिस बन गया है और ये एक ऐसा ऑफिस बन गया है जहां से वो ऑफिस के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं. यही वजह है कि लोगों के ऊपर मानसिक दबाव काफी ज्यादा है. 

अमेरिका में हुए सर्वे में सामने आई ये बात

हालांकि ये सिर्फ इस सर्वे का एक पहलू है. दरअसल, इसी से जुड़ा एक और सर्वे अमेरिका में भी हुआ. अमेरिका समेत कई देशों में कंपनियां अब अपने कर्मचारियों की Work From Home की सुविधा खत्म कर रही हैं और वापस ऑफिस आने के लिए कहने लगी हैं. लेकिन अमेरिका के कामकाजी लोगों पर किए गए सर्वे में ये सामने आया है कि वर्क फ्रॉम होम न मिलने की वजह से कई कर्मचारी अब नौकरी छोड़ने का विचार बना रहे हैं.

युवा वर्ग अब भी वर्क फ्रॉम होम चाहता है...

अमेरिका में ब्लूमबर्ग न्यूज की ओर से मॉर्निंग कंसल्ट के जरिए एक सर्वे में ये सामने आया कि अगर कंपनियां रिमोट वर्क यानी वर्क फ्रॉम होम की सुविधा को लेकर लचीलापन नहीं अपनाएंगी तो 39 प्रतिशत कर्मचारी नौकरी छोड़ने पर विचार करेंगे.

1000 लोगों को पर किए गए इस सर्वे में मिलेनियल्स और Gen Z के बीच ये आंकड़ा 49 प्रतिशत था. यानी युवा वर्ग अब भी वर्क फ्रॉम होम चाहता है.

कोरोना वायरस से बचाव के लिए कई देशों में वैक्सीनेशन अभियान भी चलाया जा रहा है. दुनिया के कई देश बहुत तेजी से अपने लोगों को वैक्सीन लगा रहे हैं, जिससे कई देशों में कोरोना संक्रमण के मामलों में काफी कमी आई है. इसी वजह से अब कंपनियां अपने कर्मचारियों को वापस ऑफिस बुला रही हैं. हालांकि इससे उन कर्मचारियों को परेशानी हो रही है जिनको वर्क फ्रॉम होम आसान और सुविधाजनक लग रहा था.

दरअसल, अप्रैल में 2100 लोगों के फ्लेक्सजॉब्स सर्वेक्षण के मुताबिक, वर्क फ्रॉम होम की वजह से ऑफिस आने जाने का खर्चा बच रहा है. सर्वे में शामिल एक तिहाई से ज्यादा लोगों ने माना कि वो वर्क फ्रॉम होम करके प्रति वर्ष कम से कम साढ़े 3 लाख रुपये बचा रहे हैं.

वर्क फ्रॉम होम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि साल 2020 ने दिखाया है कि बिना किसी यात्रा के किसी भी जगह से ऑफिस का बहुत सारा काम किया जा सकता है और वहीं दूसरी ओर कंपनियों को भी अपने कर्मचारियों के लिए व्यवस्था बनाने में जो खर्च करना पड़ता था, उसमें  भी भारी कमी आई है. 

किसी कंपनी में कर्मचारी को मिलने बुनियादी सुविधाओं पर जो खर्च करना पड़ता था, वो अब नहीं हो रहा है. ऐसे में वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोग मान रहे हैं कि ये व्यवस्था दोनों के लिए Win Win Situation है.

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