दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादी है. लेकिन वो भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादी बना कैसे?
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नई दिल्ली: दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादी है. लेकिन वो भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादी बना कैसे? इसकी शुरुआत होती है वर्ष 1993 में Bombay में हुए सीरियल बम धमाकों से जिन्हें दाऊद इब्राहिम ने ही अंजाम दिया था. ये 12 बम धमाके 12 मार्च 1993 को हुए थे और इनमें 257 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 1400 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
ये भारत का पहला सबसे बड़ा सीरियल बम धमाका था. इस अपराध को अंजाम देने के बाद ही दाऊद दुबई से पाकिस्तान भाग गया था और कराची को उसने अपना नया ठिकाना बना लिया था. इन बम धमाकों की वजह से ही आज भारत का बच्चा बच्चा दाऊद इब्राहिम को जानता है.
पहली बार आतंकवाद से इतने बड़े पैमाने पर भारत का परिचय
भारत ने वैसे तो कई आतंकवादी हमले देखे हैं. लेकिन साल 1993 में Bombay में हुए ये सीरियल ब्लास्ट उस समय की बहुत बड़ी आतंकवादी घटना थी और भारत इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं था. भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने कल्पना भी नहीं की थी कि मुंबई जैसे शहर में ऐसा कुछ हो सकता है. लेकिन ऐसा हुआ और इसे अंजाम देने वाला और कोई नहीं बल्कि दाऊद इब्राहिम था. इस घटना ने पहली बार आतंकवाद से इतने बड़े पैमाने पर भारत का परिचय कराया था. दाऊद ने ये धमाके पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के साथ मिलकर किए थे. लेकिन इसके लिए पाकिस्तान ने दाऊद इब्राहिम को ही क्यों चुना ?
इसकी वजह ये थी कि दाऊद के पास धार्मिक नफरत, आतंकवाद, सिनेमा, क्रिकेट, पैसों और अंडरवर्ल्ड का ऐसा कॉम्बिनेशन था जिसकी वजह से कोई आसानी से उस पर हाथ नहीं डाल सकता था.
धर्म, क्रिकेट, सिनेमा और पैसों का कॉम्बिनेशन
दाऊद ने चोरी चकारी के साथ अपने आपराधिक करियर की शुरुआत की थी और कहा जाता है कि वो कभी खुद किसी विवाद में नहीं उलझता था, बल्कि वो अपने सारे काम अपने गैंग से करवाता था. यानी दाऊद एक डरपोक किस्म का अपराधी था. लेकिन फिर भी उसके पास धर्म, क्रिकेट, सिनेमा और पैसों का जो कॉम्बिनेशन था. उसने उसे एक सॉफ्ट पावर में बदल दिया था. दाऊद की इसी छवि को फिल्मों में भी ग्लैमराइज किया गया. दाऊद के इशारे पर कई फिल्में बनाई गईं और इन फिल्मों में दाऊद इब्राहिम जैसे किरदारों को महान बनाकर दिखाया गया.
1980 के दशक में दाऊद फिल्मों में पैसे लगाने लगा और बड़े बड़े फिल्म स्टार्स उसके एक इशारे पर उसकी पार्टियों का हिस्सा बनने लगे. राजनेताओं से तो उसके संबंध थे ही लेकिन उसने क्रिकेट को भी नहीं छोड़ा और बहुत सारे क्रिकेटर्स दाऊद के नाम से कांपने लगते थे. यानी 5 फिट 6 इंच का दाऊद इब्राहिम बहुत पहले ही भारत में क्रिकेट और सिनेमा की ताकत को पहचान गया था और उसने इसी को अपनी सॉफ्ट पावर में बदल दिया.
लेकिन इस सारी कहानी ने वर्ष 1993 में एक अलग मोड़ ले लिया. 1993 में Bombay में जो सीरियल ब्लास्ट हुए. उसने अपराध की दुनिया को भी धर्म के आधार पर बांट दिया. यानी अंडरवर्ल्ड में भी धर्म की एंट्री हो गई. दाऊद इब्राहिम ने ये धमाके बाबरी मस्जिद का बदला लेने के लिए किए थे और इसी वजह से 1993 के बम ब्लास्ट भारत में ध्रुवीकरण का केंद्र बन गए और भारतीय समाज के इस ध्रुवीकरण में दाऊद इब्राहिम का बहुत बड़ा हाथ था. इन धमाकों के बाद वो देश के कई कट्टर मुसलमानों के लिए मसीहा बन गया. बावजूद इसके कि वो खुद एक डरपोक और बुज़दिल किस्म का अंडरवर्ल्ड डॉन था. 1993 के बाद भी भारत के मीडिया का एक हिस्सा उसे किसी रॉबिन हुड से कम नहीं समझता था. जो पत्रकार आज फेक न्यूज फैलाते हैं. वो पत्रकार उस जमाने में दाऊद की तारीफ में कसीदे पढ़ा करते थे और कहते थे कि Bombay बम धमाकों में दाऊद को फंसाया जा रहा है और ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि वो एक मुसलमान है.
भारत की आत्मा को चोट पहुंचाई
लेकिन सच ये है कि दाऊद एक आतंकवादी है और उसने भारत की आत्मा को जो चोट पहुंचाई है. उसका बदला लिया जाना अभी बाकी है. हालांकि भारत में बैठा पाकिस्तानी और दाऊद प्रेमी गैंग नहीं चाहता कि दाऊद को कभी जिंदा भारत लाया जाए. क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो बहुत सारे लोगों के राज़ खुल जाएंगे. इनमें फिल्मी दुनिया के लोगों से लेकर, राजनेता और क्रिकेटर्स तक शामिल हैं. लेकिन एक कमज़ोर और डरपोक अपराधी को पकड़ना बहुत मुश्किल नहीं है. इसलिए हम लगातार दाऊद से जुड़े खुलासे कर रहे हैं और देश की जनता के साथ साथ हमें भी उस दिन का इंतज़ार रहेगा जब दाऊद को उसके गुनाहों की सज़ा मिलेगी.
हमने 1993 के Bombay Bomb Blast के पीड़ितों से भी बात की है. इन लोगों का कहना है कि अदालतों ने भले ही न्याय दे दिया हो. लेकिन जब तक दाऊद को नहीं पकड़ा जाता. तब तक इन्हें सुकून नहीं मिलेगा.
Bomb Blast के बाद दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान भाग गया
Bombay में हुए Bomb Blast के बाद दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान भाग गया था और उसने कराची को अपना नया ठिकाना बना लिया. अब 64 साल का दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में भी वही सब कर रहा है जो वो कभी भारत में किया करता था. वहां की राजनीतिक पार्टियों में न सिर्फ उसका दखल है, बल्कि पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री भी दाऊद के ही इशारे पर चलती है और यही वजह है कि पाकिस्तान की एक साधारण सी अभिनेत्री उसका साथ पाकर देखते ही देखते एक बड़ी स्टार बन जाती है और उसे बड़े बड़े सम्मान मिलने लगते हैं. दाऊद अब पाकिस्तान के क्रिकेट, सिनेमा और राजनीति को अपनी सॉफ्ट पावर बना रहा है.
हमने दाऊद इब्राहिम के खिलाफ जो जंग शुरू की है उसे हम अंजाम तक पहुंचाकर रहेंगे और अब हमें इसमें देश की जनता का भी साथ मिल रहा है. देश का बच्चा बच्चा दाऊद को भारत लाए जाने का इंतजार बेसब्री से क्यों कर रहा है.
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