DNA ANALYSIS: सिद्धांतों और विचारों के पक्के थे प्रणब दा, उनके जीवन से सीख सकते हैं ये 5 बातें
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DNA ANALYSIS: सिद्धांतों और विचारों के पक्के थे प्रणब दा, उनके जीवन से सीख सकते हैं ये 5 बातें

प्रणब मुखर्जी राजनीति की उस परंपरा के नेता थे जिन्होंने देश के आगे एक आदर्श स्थापित किया है. हम सभी उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं. आइए आपको बताते हैं वो 5 बड़ी बातें जो हमें प्रणब मुखर्जी से सीखनी चाहिए.

DNA ANALYSIS: सिद्धांतों और विचारों के पक्के थे प्रणब दा, उनके जीवन से सीख सकते हैं ये 5 बातें

नई दिल्ली: देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कल 31 अगस्त को निधन हो गया. प्रणब मुखर्जी 84 साल के थे. पूर्व राष्ट्रपति के बेटे अभि‍जीत मुखर्जी ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी. प्रणब मुखर्जी दिल्ली में सेना के अस्पताल में भर्ती थे. यहां उन्हें 10 अगस्त को भर्ती कराया गया था. सोमवार 31 अगस्त को दिन में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. उन्हें लगातार वेंटिलेटर पर रखा गया था. 

देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है. केंद्र सरकार ने उनके निधन पर 7 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जाना एक युग की समाप्ति है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि प्रणब मुखर्जी का जाना मेरे लिए निजी क्षति है. प्रधानमंत्री ने प्रणब मुखर्जी के साथ अपनी कई तस्वीरें भी ट्वीट की हैं.

40 सालों से भी ज्यादा लंबा राजनीतिक जीवन
प्रणब मुखर्जी 2012 से 2017 तक भारत के राष्ट्रपति थे. उनका राजनीतिक जीवन 40 सालों से भी ज्यादा लंबा रहा. कांग्रेस पार्टी में रहते हुए उन्होंने विदेश से लेकर रक्षा, वित्त और वाणिज्य मंत्री तक की भूमिका निभाई. इसके अलावा वो ढेरों संसदीय समितियों की जिम्मेदारी भी निभाते रहे. मनमोहन सिंह सरकार में उनकी भूमिका संकटमोचक की थी.

इस दौरान वो कांग्रेस पार्टी, उसकी सरकार और गांधी परिवार के सबसे बड़े राजदारों में से एक थे. राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने अपनी गरिमा को बरकरार रखा. जुलाई 2012 में जब वो राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित किए गए थे, तब मैंने उनसे बातचीत की थी. वो इंटरव्यू आज आपको सुनना चाहिए.

पीएम मोदी के साथ केमिस्ट्री
प्रणब मुखर्जी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केमिस्ट्री हमेशा से चर्चा का विषय रही है. दो अलग-अलग विरोधी दलों और विचारधाराओं से जुड़े होने के बावजूद प्रणब मुखर्जी और नरेंद्र मोदी के बीच जैसा तालमेल देश ने देखा वो बेमिसाल था. खुद प्रधानमंत्री मोदी कई बार कह चुके हैं कि प्रणब मुखर्जी ने उन्हें पिता और गुरु की तरह हमेशा सही रास्ता दिखाया. आज भी अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री के तौर पर पहले दिन से प्रणब मुखर्जी का मार्गदर्शन पाकर मैं खुद को धन्य महसूस करता हूं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणब मुखर्जी के साथ कई यादगार तस्वीरें भी ट्वीट की हैं. एक तस्वीर वो भी है जिसमें वो प्रणब मुखर्जी के पैर छू रहे हैं.

प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के वफादार नेता रहे और उन्हें सभी पार्टियों के सभी राजनेताओं से सम्मान मिलता रहा और वो खुद भी विपक्षी नेताओं की तारीफ करते रहे. 

देश के आगे एक आदर्श स्थापित किया
प्रणब मुखर्जी राजनीति की उस परंपरा के नेता थे जिन्होंने देश के आगे एक आदर्श स्थापित किया है. हम सभी उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं. आइए आपको बताते हैं वो 5 बड़ी बातें जो हमें प्रणब मुखर्जी से सीखनी चाहिए.

-प्रणब मुखर्जी के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खूबी थी, राजनीतिक संतुलन बनाकर चलना. वो कांग्रेस सरकार में मंत्री थे, लेकिन बीजेपी और दूसरे विपक्षी नेताओं से उनके रिश्ते बहुत अच्छे रहते थे. प्रणब मुखर्जी से ये कला हमें जरूर सीखनी चाहिए.

- उनकी दूसरी बड़ी खूबी थी, विरोधी के साथ संवाद स्थापित करना. वो आरएसएस के कार्यक्रम में भी गए. राजनीति में कोई उनका दुश्मन या अछूत नहीं था.

- प्रणब मुखर्जी से तीसरी बात जो हमें सीखनी चाहिए वो है उनकी निष्ठा. वो हमेशा कांग्रेस के समर्पित सदस्य रहे. 2004 में प्रधानमंत्री पद का सबसे बड़ा दावेदार होने के बावजूद उन्हें नहीं चुना गया तब भी प्रणब मुखर्जी ने बगावत नहीं की और पूरी निष्ठा से सरकार और पार्टी के कामों को संभालते रहे.

- चौथी बात जो हमें प्रणब मुखर्जी से सीखनी चाहिए वो है उनका ऑलराउंडर होना. प्रणब मुखर्जी हर रोल में फिट थे. चाहे वित्त मंत्रालय हो, रक्षा मंत्रालय हो, विदेश मंत्रालय हो या कोई दूसरी जिम्मेदारी.

-प्रणब मुखर्जी की पांचवीं सबसे बड़ी बात जो हमें सीखनी चाहिए, वो है उनका अपने सिद्धांतों पर अडिग रहना. प्रणब मुखर्जी के उद्योगपतियों से बहुत अच्छे संबंध थे, इसके बावजूद उन पर कभी भ्रष्टाचार या भेदभाव जैसा कोई आरोप नहीं लगा.

इमरजेंसी पर खुलकर अपनी बात रखी
आज से 20 वर्ष पहले यानी वर्ष 2000 में प्रणब मुखर्जी Zee News के स्टूडियो में आए थे. तब हमने उनसे आपातकाल यानी इमरजेंसी को लेकर सवाल पूछे थे. वो एक कांग्रेसी नेता थे लेकिन फिर भी इमरजेंसी पर उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी. सुनिए उन्होंने क्या कहा था-

Zee परिवार के साथ भी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अटूट रिश्ता रहा. युवा नेता से लेकर राष्ट्रपति तक के उनके सफर में वो कई बार ZEE ग्रुप के कार्यक्रमों में शामिल हुए. कभी कांग्रेस नेता, कभी वित्त मंत्री, कभी राष्ट्रपति उम्मीदवार, तो कभी राष्ट्रपति रहते हुए वो Zee Media के कई कार्यक्रमों में आए. वर्ष 2012 में प्रणब मुखर्जी जब देश के वित्त मंत्री थे. तब वो ZEE मीडिया के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. वर्ष 2017 में प्रणब मुखर्जी Zee Media की प्रमोटर कंपनी Essel Group के 90 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक कार्यक्रम में आए थे.

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