DNA ANALYSIS: कंगना के ऑफिस पर बुलडोजर चलाना उद्धव सरकार को क्यों पड़ेगा महंगा?
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DNA ANALYSIS: कंगना के ऑफिस पर बुलडोजर चलाना उद्धव सरकार को क्यों पड़ेगा महंगा?

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद जो राजनीति शुरू हुई थी, वो आज एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गई, जहां से इसका असर महाराष्ट्र की राजनीति पर पड़ना तय है. कंगना रनौत ने मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार पर सुशांत की मौत के दोषियों को बचाने का आरोप लगाया था. 

DNA ANALYSIS: कंगना के ऑफिस पर बुलडोजर चलाना उद्धव सरकार को क्यों पड़ेगा महंगा?

नई दिल्ली: सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के बाद जो राजनीति शुरू हुई थी, वो आज एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गई, जहां से इसका असर महाराष्ट्र की राजनीति पर पड़ना तय है. कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने मुंबई पुलिस (Mumbai Police) और महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) पर सुशांत की मौत के दोषियों को बचाने का आरोप लगाया था. इसके बाद शिवसेना के नेताओं ने उनके खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी थी. कल सुबह बृहन्मुंबई महानगर पालिका यानी बीएमसी (BMC) का एक दस्ता मुंबई में कंगना रनौत के दफ्तर पर पहुंचा और दफ्तर के एक हिस्से पर तोड़फोड़ शुरू कर दी.

बीएमसी के अधिकारियों का कहना है कि ये अवैध निर्माण है. इसका नोटिस कंगना को एक दिन पहले ही भेजा गया था. जिसका उन्होंने जवाब भी दे दिया था. लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ. कंगना रनौत कल सुबह चंडीगढ़ से मुंबई के लिए रवाना हुईं थीं, ठीक उसी समय उनके दफ्तर पर बीएमसी के हथौड़े बरस रहे थे. विमान में बैठी कंगना ट्वीट पर ट्वीट कर रही थीं, लेकिन बीएमसी का बुलडोजर चलता रहा.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या कहा...
इस दौरान कंगना रनौत के वकील रिजवान सिद्दीकी भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने बीएमसी के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई असर नहीं हुआ. तोड़फोड़ की कार्रवाई के खिलाफ कंगना के वकील ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की. दोपहर होते-होते कोर्ट ने बीएमसी की कार्रवाई पर रोक लगा दी. लेकिन इससे पहले ही कंगना का दफ्तर पूरी तरह तहस-नहस किया जा चुका था और एक ट्रक में उसका मलबा उठाया जा रहा था. इसके बाद महाराष्ट्र से जिस तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, उसे देखकर हम कह सकते हैं कि उद्धव ठाकरे को यह मलबा राजनीतिक तौर पर बहुत भारी पड़ सकता है. हमारे देश में राजनीति का स्तर चाहे जो हो, लेकिन जनता इस तरह के राजनीतिक बदले को कभी पसंद नहीं करती.

कंगना के दफ्तर पर बीएमसी की कार्रवाई पर स्टे लगाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने जो बातें कहीं हैं वो आपको जाननी चाहिए. कोर्ट ने कहा है कि बीएमसी अगर इतनी फुर्ती अतिक्रमण के दूसरे मामलों में दिखाती तो शहर की ये हालत नहीं होती. कोर्ट ने कहा कि लगता है कि ये कार्रवाई बदनीयती के साथ की गई है.

जानिए कंगना के दफ्तर के बारे में खास बातें
- कंगना रनौत के जिस दफ्तर में आज तोड़फोड़ की गई, उसका नाम मणिकर्णिका है.

- ये बिल्डिंग मुंबई के सबसे पॉश इलाके पाली हिल्स में है, जो मुंबई उपनगर जिले में है.

- मुंबई उपनगर जिले के गार्जियन मिनिस्टर आदित्य ठाकरे हैं. यानी ये इलाका सीधे आदित्य ठाकरे के तहत आता है.

- कंगना रनौत ने तीन साल पहले इसे लगभग 20 करोड़ रुपये में खरीदा था.

- बिल्डिंग में ग्राउंड और उस पर बने दो फ्लोर बने हैं.

- आज इस बिल्डिंग की कीमत 48 करोड़ रुपये के आसपास आंकी जा रही है.

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बीएमसी ने कंगना रनौत के दफ्तर में सिर्फ 150 स्क्वायर फीट इलाके को अवैध निर्माण माना था. इतनी छोटी जगह पर आम तौर पर ऐसी कार्रवाई नहीं की जाती. मुंबई के जिस पाली हिल इलाके में कंगना रनौत का ये दफ्तर है, वहां देश के कई सबसे रसूखदार लोग रहते हैं. उस इलाके में बीएमसी की ऐसी कार्रवाई की तस्वीरें पहले कभी नहीं देखी गईं.

कंगना का राम मंदिर
अपना दफ्तर तोड़े जाने से कंगना रनौत बेहद नाराज हैं. उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा कि "मणिकर्णिका फिल्म्स में पहली फिल्म अयोध्या की घोषणा हुई थी. यह मेरे लिए एक इमारत नहीं, राम मंदिर ही है." 

कंगना ने लिखा कि जैसे राम मंदिर दोबारा बन रहा है वैसे ही उनका दफ्तर भी दोबारा बनेगा. उन्होंने अपना एक वीडियो भी ट्वीट किया, जिसमें सीधे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को संबोधित किया. कंगना का गुस्सा उनकी भाषा से आप समझ सकते हैं.

कहां से कहां पहुंची बात
ये सारा विवाद सुशांत की मौत से शुरू हुआ था. पूरी फिल्म इंडस्ट्री में अकेली कंगना रनौत ही ऐसी बड़ी कलाकार हैं जो खुलकर बोल रही हैं. उन्होंने ही इस मामले को पहले नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद से जोड़ा था. लेकिन बात बढ़ते-बढ़ते यहां तक आ पहुंची. अब ये मामला फिल्म इंडस्ट्री से निकलकर महाराष्ट्र की राजनीति पर छा चुका है.

बीएमसी ने क्यों की कार्रवाई
मुंबई की नगरपालिका बीएमसी ने एक्टर कंगना रनौत के दफ्तर के कंस्ट्रक्शन में कई तरह के बदलाव करने के आरोप लगाए हैं.

- ग्राउंड फ्लोर पर शौचालय को ऑफिस केबिन में बदल दिया गया.

- स्टोर रूम में किचन बनाया गया.

- सीढ़ियों के पास और पार्किंग एरिया में टॉयलेट बनाए गए.

- ग्राउंड फ्लोर पर अवैध तरीके से पैंट्री बनाई गई.

- फर्स्ट फ्लोर पर लिविंग रूम में लकड़ी से अलग कमरा बनाया गया.

- फर्स्ट फ्लोर पर पूजा रूम में मीटिंग रूम बनाया गया.

- पहले फ्लोर पर ढाई फीट चौड़ा छज्जा बनाया गया.

- दूसरे फ्लोर पर सीढ़ियों की जगह में बदलाव किया गया.

- तीसरे फ्लोर पर छज्जा बनाया गया.

- दूसरे फ्लोर पर बालकनी बनाई गई.

- दूसरे फ्लोर पर बंगला नंबर 4 और बंगला नंबर 5 के पार्टिशन को तोड़कर जोड़ दिया गया.

- बंगला नंबर 4 और बंगला नंबर 5 के बीच टॉयलेट को तोड़ दिया गया.

- मेन गेट एंट्रेंस के पोजिशन में बदलाव किया गया.

कोरोना संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र देश में पहले नंबर पर
महाराष्ट्र सरकार के लिए क्या जरूरी है, कोरोना से निपटना या कंगना से? महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 10 लाख होने को है. देश में कोरोना संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र देश में पहले नंबर पर है. आज जब हम ये बात कर रहे हैं, उस समय लगभग ढाई लाख मरीज या तो अस्पतालों में हैं या अपने घरों में पड़े हैं. महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े शहर पुणे में कोरोना वायरस के लगभग 2 लाख केस सामने आ चुके हैं. मुंबई में भी मरीजों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक हो चुकी है. ऊपर से बारिश के सीजन में मुंबई की सड़कों का बुरा हाल है.

बीएमसी का ध्यान दूसरी समस्याओं पर क्यों नहीं जाता
मुंबई में जरा सी बारिश होते ही सड़कों पर पानी भर जाता है और लोगों को घंटों-घंटों रास्ते में फंसे रहना पड़ता है. जब सवाल पूछे गए तो बीएमसी ने सफाई दी कि कोरोना वायरस के कारण नालों की सफाई नहीं हो पाई. जिसके कारण इस साल जल जमाव की समस्या अधिक हो रही है. मुंबई एक ऐसा शहर है जहां फुटपाथ से लेकर पार्क तक की सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हैं. जिन्हें खाली कराने की कोशिश नहीं की जाती है. अकेले मुंबई एयरपोर्ट की लगभग कई एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है और वहां पर झुग्गियां बनी हुई हैं. मुंबई की ज्यादातर समस्याओं के लिए इन दिनों बीएमसी का एक ही जवाब है कि लॉकडाउन के कारण काम बंद है. ये हालत तब है जब बीएमसी इस देश की सबसे पैसे वाली नगर महापालिका है. इसका बजट लगभग 34 हजार करोड़ रुपये का है. ये देश के कई छोटे राज्यों से अधिक है.

लेकिन जब कंगना रनौत का मामला आया पूरी महाराष्ट्र सरकार और BMC सक्रिय हो गई. कंगना के दफ्तर में अवैध निर्माण का नोटिस देने के 24 घंटे होते ही BMC का पूरा दस्ता बुलडोजर लेकर पहुंच गया. इस कार्रवाई पर महाराष्ट्र सरकार के बड़े नेताओं की नजर थी. ऐसे में बड़ा सवाल है कि महाराष्ट्र सरकार की लड़ाई किससे है? कोरोना से या कंगना से? कंगना रनौत से महाराष्ट्र सरकार की लड़ाई राजनीतिक थी, जिसे राजनीतिक तरीके से लड़ा जा सकता था. लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने शुरू से ही इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया. शुरुआत शिवसेना के नेताओं ने की. पहले उन्हें मुंबई न आने की धमकी दी गई और आज उनके दफ्तर पर बुलडोजर भेजकर हिसाब चुकता किया गया.

शिवसेना का पॉलिटिकल स्टाइल
दरअसल, ये शिवसेना के पॉलिटिकल स्टाइल का हिस्सा बन चुका है. शिवसेना अपने विरोधियों या अपने खिलाफ बोलने वालों पर ऐसी कार्रवाई के लिए अक्सर विवादों में रहती है. लेकिन इस बार ये मामला राजनीति से ज्यादा प्राथमिकता का है. महाराष्ट्र में अब शिवसेना की सरकार है. खुद शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं. महाराष्ट्र और मुंबई के लोगों की सारी समस्याओं के लिए सीधी जवाबदेही शिवसेना और उसकी सरकार पर है. यह ऐसा समय है जब 24 घंटे जागने वाली मुंबई ठप पड़ी है.

- मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनें बंद हैं. इनके दिवाली से पहले शुरू होने के आसार नहीं हैं.

- लोकल ट्रेनें बंद होने से लाखों लोगों को दिक्कत हो रही है. इसका लोगों के कारोबार और कमाई पर बहुत बुरा असर पड़ा है.

- मुंबई के अस्पताल कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों से भरे पड़े हैं. हर रोज लगभग 50 से 60 लोगों की जान इस महामारी के कारण जा रही है.

बॉलीवुड की खास लॉबी पर संकट
ऐसी मानवीय त्रासदी के समय में महाराष्ट्र सरकार अगर कंगना रनौत के दफ्तर में किसी अवैध निर्माण को तोड़ने पर ताकत लगाती है तो इससे पता चलता है कि उसकी प्राथमिकता क्या है. लगता है महाराष्ट्र सरकार का ध्यान कोरोना संकट से ज्यादा बॉलीवुड की एक खास लॉबी के संकट पर है. बॉलीवुड की ये वो लॉबी है जिसकी रंगारंग पार्टियों महाराष्ट्र सरकार के कई मंत्री और नेता भी जाते हैं. लेकिन महाराष्ट्र की सरकार चला रहे नेताओं को यह समझना होगा कि यह राजनीति बहुत लंबे समय तक नहीं चलती है. भारत की जनता ऐसी राजनीति को कतई पसंद नहीं करती.

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