DNA ANALYSIS: Lockdown के साइड इफेक्ट, पिछले 5 महीने में घरेलू हिंसा के मामले इतने ज्यादा बढ़े
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DNA ANALYSIS: Lockdown के साइड इफेक्ट, पिछले 5 महीने में घरेलू हिंसा के मामले इतने ज्यादा बढ़े

भारत करीब 4 महीनों तक पूरी तरह से लॉकडाउन में था और इस दौरान ज्यादातर लोगों ने अपना समय अपने घर में अपने परिवार के साथ बिताया.

DNA ANALYSIS:  Lockdown के साइड इफेक्ट, पिछले 5 महीने में घरेलू हिंसा के मामले इतने ज्यादा बढ़े

नई दिल्ली: भारत करीब 4 महीनों तक पूरी तरह से लॉकडाउन में था और इस दौरान ज्यादातर लोगों ने अपना समय अपने घर में अपने परिवार के साथ बिताया. आपको लगता होगा कि भागदौड़ भरे इस जीवन में जब लोग करीब आए होंगे तो उनके रिश्ते पहले से भी ज्यादा मधुर और मजबूत हो गए होंगे. लेकिन ज्यादातर मामलों में इसका ठीक उल्टा हुआ है.

राष्ट्रीय महिला आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के मामले 50 प्रतिशत तक बढ़ गए.

अकेले मई महीने में घरेलू हिंसा की 392 शिकायतें दर्ज की गईं
इस रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान अकेले मई महीने में घरेलू हिंसा की 392 शिकायतें दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल मई में 266 शिकायतें दर्ज हुई थीं. इस साल जनवरी में महिला आयोग में दर्ज होने वाली शिकायतों में 18 प्रतिशत मामले घरेलू हिंसा के थे जो मार्च में बढ़कर 24 प्रतिशत तक पहुंच गए.

ये रिपोर्ट ये भी बताती है कि गूगल पर घरेलू झगड़े या घरेलू हिंसा से जुड़ी हेल्पलाइन को खोजने वालों की संख्या पिछले साल के मुताबिक इस साल काफी बढ़ गई है. अप्रैल और मई में सबसे ज्यादा लोग गूगल पर ऐसे हेल्पलाइन नंबर तलाश रहे थे.

23 मार्च से 16 अप्रैल के बीच घरेलू हिंसा की सबसे ज्यादा शिकायतें आईं. इस दौरान तीन महीनों में 239 महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराई.

2500 महिलाओं ने इमरजेंसी हेल्पलाइन पर फोन कर मांगी मदद
दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल के दूसरे हफ्ते में 2500 महिलाओं ने इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके मदद मांगी थी. इसमें से 600 महिलाओं ने हिंसा की रिपोर्ट की थी. 23 महिलाओं ने रेप की शिकायत की थी, जबकि 1 हजार 612 महिलाओं ने घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी.

बिहार महिला आयोग की एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले 5 महीने में 1 हजार 400 मामले दर्ज किए गए हैं। जिसमें से 70 प्रतिशत मामले घरेलू हिंसा के हैं.

घरेलू हिंसा के पीछे की वजह बहुत छोटी-छोटी सी है. कहीं पत्नी द्वारा खाना न पकाने की वजह से झगड़ा हुआ है तो कहीं पति का देर से सोकर उठना झगड़े की वजह बना है. कहीं खाने में नमक तेज होने की वजह लड़ाई हुई तो कहीं मोबाइल फोन पर ज्यादा देर तक बात करते रहने की वजह से विवाद शुरू हो गया.

पति-पत्नी एक दूसरे के साथ कम समय बिताएं तो दोनों को शिकायतें रहती हैं, लेकिन अगर 24 घंटे साथ रहने लगें तो बड़ी समस्याएं हो जाती हैं. लॉकडाउन का एक साइड इफेक्ट ये है कि घरेलू झगड़े बढ़ गए हैं. 24 घंटे एक दूसरे के साथ रहने की वजह से कई तरह की दूसरी परेशानियां सामने आ रही हैं.

घरेलू हिंसा के मामलों में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी
लगातार घर में बने रहने की वजह से लोगों की मानसिक स्थिति बिगड़ रही है. पिछले 5 महीनों में घरेलू हिंसा के मामलों में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. पति पत्नी की केमेस्ट्री लॉकडाउन ने बिगाड़ दी है.

ये हाल केवल देश के एक इलाके का नहीं है. हैदराबाद में भी लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के मामले काफी बढ़े हैं.

छोटी-छोटी बातों पर विवाद हो रहे हैं. कहीं खाना न बनाने या अच्छा न बनाने की वजह से झगड़ा हो रहा है, तो कहीं देर से जागने या टीवी देखने की वजह से लड़ाईयां हो रही हैं. वजह भले ही छोटी है लेकिन उसका बड़ा असर रिश्तों पर पड़ रहा है.

अस्पतालों में पिछले 5 महीनों में सेल्फ इंजरी यानी खुद को चोट पहुंचाने के मामले काफी बढ़ गए हैं. अस्पतालों में जहां पहले सालभर में 8 से 10 केस आते थे, लेकिन पिछले 5 महीनों में 50 से ज्यादा मामले आ रहे हैं.

मानसिक तनाव बढ़ा 
घरेलू हिंसा के पीछे कारण ज्यादातर यही हैं कि लोगों में तनाव बहुत है. यही तनाव लोग अब संभाल नहीं पा रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान लोगों में कई वजहों से मानसिक तनाव बढ़ा है. किसी का रोजगार चला गया तो किसी को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा. कई लोग कोरोना वायरस का बहुत ज्यादा डर लेकर बैठे हैं. स्ट्रेस कम करने के तरीकों पर भी लोग विचार नहीं कर पा रहे हैं. मानसिक तनाव उन्हें जल्दी गुस्सा दिला रहा है और गुस्सा ही घरेलू हिंसा का कारण बन रहा है.

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