न्यूजीलैंड में पिछले वर्ष एक व्यक्ति ने दो मस्जिदों में गोलीबारी करके 51 लोगों की जान ले ली थी. न्यूजीलैंड की एक अदालत ने इस हत्यारे को उम्र कैद की सजा सुनाई है.
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नई दिल्ली: न्यूजीलैंड में पिछले वर्ष एक व्यक्ति ने दो मस्जिदों में गोलीबारी करके 51 लोगों की जान ले ली थी. न्यूजीलैंड की एक अदालत ने इस हत्यारे को उम्र कैद की सजा सुनाई है क्योंकि न्यूजीलैंड में मौत की सजा का प्रावधान नहीं है.
भारत में जब कोई आतंकवादी हमला होता है तो दोषियों को सजा मिलने में वर्षों लग जाते हैं. वर्ष 1993 के Bombay Bomb Blast के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा मिलने में 22 साल लग गए. मुंबई के 26/11 हमलों के गुनहगार अजमल कसाब को फांसी की सजा में 4 साल गए और संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को 12 साल बाद उसके गुनाहों की सजा मिली.
भारत में सजा रुकवाने के लिए खटखटाया गया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
हमारे देश में आतंकवादियों को सजा मिलने में कई बार देर इसलिए भी हो जाती है क्योंकि हमारे ही देश का एक गैंग, इन आतंकवादियों की फांसी रुकवाने के लिए आधी रात को सुप्रीम कोर्ट खुलवा देता है और ये गैंग नहीं चाहता कि देश के किसी भी गुनहगार को कभी कोई सजा हो.
लेकिन पिछले वर्ष मार्च में न्यूजीलैंड के क्राइस्ट चर्च में जिस आतंकवादी ने दो मस्जिदों में गोलीबारी करके 51 लोगों की जान ले ली थी. उसे सिर्फ डेढ़ साल बाद ही उम्र कैद की सजा सुना दी गई है. इस सजा के दौरान उसे कभी पैरोल भी नहीं मिलेगी यानी वो किसी भी स्थिति में जेल से बाहर नहीं आ सकता. न्यूजीलैंड दुनिया के उन देशों में शामिल हैं. जहां फांसी की सजा नहीं दी जाती है. इसलिए वहां बड़े से बड़े अपराध की अधिकतम सजा उम्र कैद ही है.
गोलीबारी का लाइव टेलीकास्ट फेसबुक पर किया
न्यूजीलैंड में 51 लोगों की जान लेने वाले इस आतंकवादी का नाम है ब्रेंटन टैरेंट (Brenton Tarrant).ऑस्ट्रेलिया के नागरिक ब्रेंटन ने पिछले साल 15 मार्च को क्राइस्टचर्च की अल नूर मस्जिद और लिनवुड मस्जिद में गोलीबारी की थी. मरने वालों में भारतीय मूल के 8 लोग भी शामिल थे. इस हत्यारे ने इस पूरी गोलीबारी का लाइव टेलीकास्ट फेसबुक पर भी किया था.
जब इस आतंकवादी को सजा सुनाई जा रही थी उस समय अदालत में मारे गए लोगों के परिवार और रिश्तेदार भी मौजूद थे. इन लोगों ने इस आतंकवादी से पूछा कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया? इस दौरान ज्यादातर लोग भावुक हो गए और उनकी आंखों में आंसू भी आ गए. लेकिन ब्रेंटन के चेहरे पर पश्चाताप या दुख का कोई भाव नहीं था. वो बड़े आराम से इन लोगों की बातें सुनता रहा.
इस हमले में किसी ने अपना पति खोया, किसी ने अपनी पत्नी, किसी ने बेटा, तो किसी ने अपने पिता को खो दिया. अदालत में मौजूद कुछ पीड़ित गुस्से में थे तो कुछ भावुक हो गए थे. हमले में मारे गए एक व्यक्ति की बेटी अपने पिता को याद करते हुए रो पड़ी. एक माता-पिता ने बताया कि वो अपने बेटे से कितना प्यार करते थे, लेकिन इस हमलावर ने उनके जीने का सहारा छीन लिया. एक मृतक के भाई ने कहा कि उस दिन मैं वहां होता तो हमलावर की गर्दन मरोड़ देता.
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