DNA Analysis: कश्मीर में घर-घर तिरंगा अभियान से फारुख-महबूबा नाराज, आखिर किस बात से डर रहे दोनों नेता?
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DNA Analysis: कश्मीर में घर-घर तिरंगा अभियान से फारुख-महबूबा नाराज, आखिर किस बात से डर रहे दोनों नेता?

Farooq Abdullah and Mehbooba Mufti on Ghar Ghar Tiranga Campaign: देश के लोगों में राष्ट्रभक्ति की भावना बढ़ाने के लिए सरकार ने घर-घर तिरंगा अभियान शुरू किया है. जम्मू कश्मीर में भी ऐसा ही अभियान शुरू होने पर पूर्व सीएम फारूख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने आपत्ति जताई है. 

DNA Analysis: कश्मीर में घर-घर तिरंगा अभियान से फारुख-महबूबा नाराज, आखिर किस बात से डर रहे दोनों नेता?

DNA on Ghar Ghar Tiranga Campaign in Jammu Kashmir: कोई भी व्यक्ति आसानी से बीजेपी (BJP) के झंडे और तिरंगे में फर्क बता सकता है. लेकिन दुर्भाग्य ये है कि हमारे देश के विपक्षी दल इस अंतर को नहीं समझ पा रहे. वे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को बीजेपी का झंडा समझ कर उसका विरोध करने लगते हैं. इस समय जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में ऐसा ही हो रहा है. 29 जून को जम्मू कश्मीर के ग्रामीण विकास विभाग ने एक सर्कुलर जारी किया था, जिसके तहत प्रदेश में हर घर तिरंगा मुहिम (Ghar Ghar Tiranga Campaign) को सफल बनाने के निर्देश दिए गए थे. ये मुहिम भारत सरकार के उस अभियान का हिस्सा है, जिसमें आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव का कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसमें हर घर तिरंगा के तहत.. घर घर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा दिया जा रहा है, ताकि देश के लोगों को आज़ादी के गौरव से जोड़ा जा सके.

घर-घर तिरंगा अभियान से फारुख-महबूबा नाराज

हालांकि जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के नेताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और National Conference पार्टी के नेता फारुख अब्दुल्ला और पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि कश्मीर में घर घर तिरंगा (Ghar Ghar Tiranga Campaign) दिया जा रहा है. सोचिए.. देश के राष्ट्रीय ध्वज से किसी को क्या आपत्ति हो सकती है. आज अगर आपके घर में आपको कोई तिरंगा देकर जाता है तो क्या आप उसे ये कहेंगे कि इस तिरंगे से आपका कोई लेना देना नहीं है और आप इसे अपने घर में नहीं रखना चाहते. हमारे देश में ज्यादातर लोग ऐसा कभी नहीं करेंगे.

तिरंगा (Tiranga) भारत की शान है. लेकिन दुख की बात ये है कि हमारे विपक्षी दलों ने इसे भी बीजेपी का झंडा समझ लिया है और वो अब इसके ख़िलाफ़ भी अपनी आपत्ति जता रहे हैं. इस मानसिकता की वजह से ही दशकों तक कश्मीर को भारत से अलग रखने की कोशिश की गई. कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा दिया गया और ये बताया गया कि कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है. जबकि कश्मीर भारत के ओजस्वी मुकुट की तरह है. अनुच्छेद 370 हटने से जम्मू कश्मीर में पूरी व्यवस्था बदली है. कुछ Points में आपको बताते हैं.

अनुच्छेद 370 हटने से दोहरी नागरिकता हुई खत्म

पहले जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के पास विशेष राज्य का दर्जा था. लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद ये समाप्त हो गया. पहले वहां लोगों के पास दोहरी नागरिकता थी. वो जम्मू कश्मीर के भी नागरिक थे और भारत के भी नागरिक थे. लेकिन अब देश के बाकी लोगों की तरह वहां भी एक ही नागरिकता है. इसके अलावा पहले ये क़ानून था कि जम्मू कश्मीर की कोई लड़की भारत के किसी राज्य के लड़के से शादी करती है तो उसका उसके परिवार की सम्पत्ति में अधिकार ख़त्म हो जाता था. उसके बच्चों की भी जम्मू कश्मीर की नागरिकता ख़त्म हो जाती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है.

पहले जम्मू कश्मीर का अलग झंडा था. लेकिन अब तिरंगा (Tiranga) ही पूरे जम्मू कश्मीर में लहरा रहा है. पहले जम्मू कश्मीर अनुच्छेद 360 के दायरे में भी नहीं आता था, जिसके तहत राष्ट्रपति आर्थिक आपातकाल लागू करते हैं. लेकिन इस फ़ैसले के बाद ये व्यवस्था भी वहां आ गई. अलग विधान यानी कानून होने की वजह से अल्पसंख्यकों को आरक्षण नहीं मिलता था लेकिन अब वहां अल्पसंख्यकों को आरक्षण की व्यवस्था है. 

अब दूसरे राज्यों के लोग भी खरीद सकते हैं जमीन

दूसरे राज्य के लोग जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते थे लेकिन अब ये क़ानून नहीं है. Right to Information Act यानी सूचना का अधिकार नहीं था. लेकिन अब दूसरे राज्यों की तरह वहां भी लोगों के पास ये क़ानून है. पहले जम्मू कश्मीर में सरकार का कार्यकाल 6 साल का होता था. लेकिन अब वहां भी 5 साल के बाद चुनाव कराने का प्रावधान है. सबसे अहम, पहले लद्दाख जम्मू कश्मीर का हिस्सा था. लेकिन अब लद्दाख को भी अलग से केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया है.

कुछ लोगों की अब भी नहीं बदली मानसिकता

ये वो बदलाव हैं, जिसने जम्मू कश्मीर के भाग्य को बदला है. कश्मीर में आज घर घर तिरंगा (Tiranga) दिया जा रहा है तो इसका एक कारण अनुच्छेद 370 का ही हटना है. लेकिन दुर्भाग्य ये है कि आज भी कुछ नेता इसका विरोध करते हैं और तिरंगे और बीजेपी के झंडे में फर्क ही नहीं कर पाते.

आज हम आपसे एक Extra विचार भी शेयर करना चाहते हैं. हमारे देश में जब अल्पसंख्यक वर्ग की बात होती है तो आपके ज़हन में एक विशेष धर्म ज़रूर आता होगा. लेकिन आज हम आपको ये बताना चाहते हैं कि 140 करोड़ के भारत में असली अल्पसंख्यक वर्ग भारतीयों का है. हमारे देश में आज आपको अलग अलग धर्म और जाति के लोग तो मिल जाएंगे. लेकिन ऐसे लोग बड़ी मुश्किल से मिलेंगे, जो खुद को भारतीय कहते हैं. इसलिए आज आपको भारत के इस नए अल्पसंख्य वर्ग के बारे में भी जान लेना चाहिए. ये अल्पसंख्यक वर्ग भारतीयों का है.

(ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर)

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