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DNA With Sudhir Chaudhary: आपने अब तक हनुमान जयंती पर दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों के बारे में सुन लिया होगा. लेकिन हम आपको वो तस्वीर दिखाएंगे, जिससे आप ये समझ जाएंगे कि दंगा फैलाने वाले लोगों को इसका कोई पछतावा नहीं है. वो अपनी गिरफ्तारी के बाद भी भारत के कानून और अदालतों को चुनौती दे रहे हैं. इस दंगे के मुख्य आरोपी मोहम्मद अंसार को जब गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली की एक कोर्ट में पेश किया गया तो उसने कैमरों के सामने बेशर्मी से हंसते हुए पुष्पा फिल्म का एक ऐक्ट किया. जिसमें फिल्म का नायक कहता है, वो झुकेगा नहीं. यानी ये आरोपी देश की एक अदालत में खड़ा होकर, भारत के 140 करोड़ लोगों को ये बता रहा था कि वो ना तो इस देश की संवैधानिक व्यवस्था के आगे झुकेगा, ना ही इस देश की अदालतों के आगे झुकेगा और ना ही इस देश के लोकतंत्र को मानेगा. यानी.. दिल्ली के दंगाई अब ‘पुष्पा’ बनना चाहते हैं जो किसी के सामने नहीं झुकता.
इस आरोपी ने 30 से ज्यादा पुलिसवालों के बीच खुद को एक नायक के तौर पर पेश किया. इस दौरान इसके चेहरे पर मुस्कान साफ दिख रही थी. वो ये बताने की कोशिश कर रहा था, जैसे वो एक अपराधी नहीं बल्कि एक क्रान्तिकारी है और उसने शोभायात्रा पर पत्थर बरसा कर बहुत ही बहादुरी का काम किया है. आप कह सकते हैं कि ये आरोपी भारत के संविधान और उसके लोकतंत्र पर हंस रहा था और उसका मजाक उड़ा रहा था.
हम इस आरोपी को एक नया नाम देना चाहते हैं और वो नाम है पत्थरबाज पुष्पा. क्योंकि इस पर आरोप है कि उसने हनुमान जयंती की शोभायात्रा पर पथराव कराने के लिए 200 से ज्यादा लोगों की भीड़ इकट्ठा की और इस दौरान कुछ गाड़ियों को भी आग लगा दी गई. पुष्पा फिल्म का एक डायलॉग आपको ज़रूर याद होगा. ये डायलॉग था.. पुष्पा नाम सुनके फ्लावर समझे क्या, फायर है मैं, मैं झुकेगा नहीं. लेकिन इस मामले में ये डायलॉग थोड़ा बदल गया है. अब मोहम्मद अंसार नाम का ये आरोपी कह रहा है कि.. तुमने फूल बरसाने वाले समझे थे क्या, मैं पत्थर बरसाने वाला है. मैं झुकुंगा नहीं. असल में एक लोकतांत्रिक देश में संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ जो विद्रोह होता है, ये उसी की निशानी है. ये विद्रोह देश के संविधान के खिलाफ है. इस देश की लोकतंत्र के खिलाफ है. भारत के संघीय ढांचे के खिलाफ है. जब हमारी टीम इस व्यक्ति के बारे में तहकीकात कर रही थी तो हमें कई चौंकाने वाली बातें पता चलीं.
हमें पता चला कि इसका पूरा नाम मोहम्मद अंसार है और ये वर्ष 2009 में Arms Act में भी गिरफ्तार हो चुका है. इसके अलावा मारपीट के एक मामले में भी पुलिस इसे गिरफ्तार कर चुकी है और ये दिल्ली के जिस इलाके में रहता है, वहां इस पर अवैध शराब बेचने और सट्टेबाजी का रैकेट चलाने के भी आरोप लग चुके हैं. सोचिए.. ऐसा व्यक्ति दंगे कराता है और जब उसे कोर्ट में पेश करने के लिए लाया जाता है तो वो पुष्पा Style में भारत की संवैधानिक व्यवस्था का मजाक उड़ाता है. खुद को एक अपराधी नहीं बल्कि क्रान्तिकारी बताने की कोशिश करता है. ये खुद को क्रान्तिकारी इसलिए समझता है क्योंकि ये जानता है कि हमारे ही देश का टुकड़े-टुकड़े गैंग, बुद्धिजीवी और Urban Naxals इसके पीछे खड़े हुए हैं.
ये यह भी जानता है कि हमारे ही देश के कुछ न्यूज़ चैनल और मीडिया में इसके बेकसूर होने की ख़बरें छपने लगी हैं. ये यह भी जानता है कि जो पत्रकार आज इसके बेकसूर होने की ख़बरें छाप रहे हैं, उन्हें अगले साल बड़े बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा. ये यह भी जानता है कि आज नहीं तो कल इसे अदालत से बेल मिल जाएगी और जब ये जेल से बाहर आ जाएगा तो इस बेल को इसकी बेगुनाही का सबूत मान लिया जाएगा. कहा जाएगा कि कोर्ट ने तो इसे क्लीन चिट दे दी है. ये यह भी जानता है कि.. इस धर्मनिरपेक्ष देश में साम्प्रदायिक दंगे भड़काने के लिए इसका कुछ नहीं होगा. यही वजह है कि जब इसे कोर्ट ले जाया गया तो ये हंस रहा था. इससे बड़ा दुर्भाग्य इस देश का कुछ नहीं हो सकता.
इस मामले में अब तक पुलिस 25 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें से 3 आरोपी ऐसे हैं, जिनकी उम्र 18 साल से कम है. इसके अलावा 18 आरोपी ऐसे हैं, जिनकी उम्र 18 से 35 साल के बीच है. 6 आरोपी ऐसे हैं, जो 18 से 22 साल के हैं. भारत को युवाओं का देश कहा जाता है. लेकिन भारत के युवा क्या कर रहे हैं, ये आप खुद समझ सकते हैं. हैरानी की बात ये है कि इन दंगों की साजिश का आरोप जिन दो लोगों पर लगा है, उनमें एक नाबालिग है. सोचिए एक नाबालिग ने शोभायात्रा पर पत्थर बरसाने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठा कर दी. इस मामले को लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे हैं और इनमें से बहुत सारी जानकारियां ऐसी हैं, जो गलत हैं.
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