DNA ANALYSIS: विरोध के 'वायरस' को करारा जवाब, इतने लाख छात्रों ने दी JEE की परीक्षा
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DNA ANALYSIS: विरोध के 'वायरस' को करारा जवाब, इतने लाख छात्रों ने दी JEE की परीक्षा

देशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए JEE की परीक्षा कल यानी 1 सितंबर को शुरू हो गई. 660 जगहों पर इसके लिए केंद्र बनाए गए हैं.जिनमें साढ़े आठ लाख से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा दी. ये वही JEE का Exam है, जिसे लेकर कुछ दिन से काफी राजनीति हो रही है.

DNA ANALYSIS: विरोध के 'वायरस' को करारा जवाब, इतने लाख छात्रों ने दी JEE की परीक्षा

नई दिल्ली: देशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए JEE की परीक्षा कल यानी 1 सितंबर को शुरू हो गई. 660 जगहों पर इसके लिए केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें साढ़े आठ लाख से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा दी. ये वही JEE का Exam है, जिसे लेकर कुछ दिन से काफी राजनीति हो रही है. सोशल मीडिया पर परीक्षा को रद्द कराने के लिए जोरदार अभियान चलाए गए. सोनिया गांधी ने इसे लेकर सर्वदलीय बैठक भी की थी. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई. कहा जा रहा था कि इस समय परीक्षा कराने से छात्रों को कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा होगा. लेकिन परीक्षा केंद्रों पर बिल्कुल अलग ही माहौल नजर आया. हर जगह सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का कड़ाई से पालन हुआ. छात्रों को दूर-दूर बिठाया गया. हमने कुछ छात्रों से बात की, उनमें से ज्यादातर का कहना था कि इम्तिहान जरूरी थे, वरना एक साल खराब हो जाता. कुछ छात्रों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने में परेशानी जरूर हुई. लेकिन परीक्षा केंद्रों पर इंतजाम से छात्र और उनके अभिभावक खुश दिखे.

कौन लोग विरोध कर रहे थे?
अब सवाल उठता है कि वो कौन लोग थे जो इस परीक्षा का विरोध कर रहे थे? क्या वो छात्र ही थे, या कोई और थे? निश्चित रूप से उनमें कई छात्र भी रहे होंगे. इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना वायरस के कारण कई छात्रों की तैयारियों पर खराब असर पड़ा है. लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि परीक्षा ही न कराई जाए. कहीं ऐसा तो नहीं कि विपक्ष सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध कर रहा है? मामला चाहे जो हो उन्हें तो बस विरोध करना है.

परीक्षाओं के लिए दोहरा मानदंड
अब हम आपको विरोध की इसी राजनीति का एक दूसरा पहलू दिखाते हैं. कांग्रेस एक तरफ मांग कर रही है कि JEE और NEET की परीक्षा न कराई जाए दूसरी तरफ उसने नौकरियों में भर्ती के लिए होने वाली परीक्षाओं को मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है. दरअसल कोरोना वायरस और कुछ दूसरे कारणों से सरकारी नौकरियों के लिये भर्ती परीक्षाओं और नतीजों में देरी हो रही है. जो कांग्रेस इंजीनियरिंग और मेडिकल के एडमिशन की परीक्षा पर पाबंदी चाहती है, वही चाहती है कि सरकारी नौकरियों की परीक्षाएं फटाफट कराई जाएं. आज राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस मुद्दे पर ट्वीट भी किए.

हमारा मानना है कि JEE और NEET की परीक्षा जितनी जरूरी है, उतनी ही सरकारी नौकरियों की परीक्षाएं भी जरूरी हैं. SSC की परीक्षाओं और नतीजों में देरी से लाखों छात्रों को परेशानी हो रही है. इसलिए सरकार को भर्ती परीक्षाओं में भी तेजी दिखानी चाहिए. किसी भी छात्र के जीवन में उसकी पढ़ाई-लिखाई और उसके बाद रोजगार पाने से बढ़कर कुछ नहीं होता.

कोरोना संकट का बहाना
भर्ती परीक्षाओं में ढिलाई पर नौजवानों की शिकायत बिल्कुल वाजिब है. लेकिन राजनेताओं की दिलचस्पी उनके भविष्य में कम और अपनी सियासत चमकाने में अधिक है. वरना दो अलग-अलग परीक्षाओं पर ऐसा दोहरा मानदंड नहीं अपनाया जाता. SSC और रेलवे भर्ती बोर्ड सरकारी नौकरियों के लिए दो सबसे बड़ी एजेंसियां हैं. उनके काम में ढिलाई को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं. अभी कोरोना संकट का बहाना है, लेकिन पहले भी इन एजेंसियों का काम कोई बहुत अच्छा नहीं रहा है. SSC और रेलवे भर्ती के पेपर लीक होना पुरानी समस्या रही है. इसी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पिछले महीने ही नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी बनाई गई है. अब हम उम्मीद करते हैं कि देश की युवा पीढ़ी के भविष्य के साथ खिलवाड़ बंद होगा. साथ ही वो राजनीति भी बंद होगी जो छात्रों और नौजवानों की आड़ में चल रही है.

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