बड़ी सफलता: UK-दुबई के डॉक्टर नहीं कर सके जो काम, भारतीय डॉक्टरों ने कर दिखाया; 30 साल बाद महिला ने खोला मुंह
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बड़ी सफलता: UK-दुबई के डॉक्टर नहीं कर सके जो काम, भारतीय डॉक्टरों ने कर दिखाया; 30 साल बाद महिला ने खोला मुंह

दिल्ली में सर गंगा राम अस्पताल (Sir Gangaram Hospital) के डॉक्टरों को बड़ी कामयाबी मिली है और उन्होंने 30 साल की महिला के जबड़े की हड्डी और खोपड़ी की हड्डी को ऑपरेशन से अलग किया है, जो जन्म से जुड़ी थीं.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों को बड़ी कामयाबी मिली है और उन्होंने 30 साल की महिला के जबड़े की हड्डी और खोपड़ी की हड्डी को ऑपरेशन से अलग किया है, जो जन्म से जुड़ी थीं. इस कारण उनका मुंह खुल नहीं पाता था. महिला का डेढ़ महीने पहले (फरवरी 2021) आस्था मोंगिया को सर गंगा राम अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में लाया गया था, जो दिल्ली के पंजाब नेशनल बैंक में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यस्थ हैं. ऑपरेशन के बाद आस्था पूरी तरह ठीक हैं और उनका मुंह करीब 3 सेंटीमीटर खुलने लगा है.

  1. जन्म से जुड़ी थी जबड़े और मुंह की हड्डी
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  3. यूके-दुबई के अस्पतालों ने कर दिया था सर्जरी से मना
  4. साढ़े तीन घंटे तक चला महिला का ऑपरेशन

जन्म से जुड़ी थी जबड़े और मुंह की हड्डी

आस्था मोंगिया जन्म से पीड़ित थीं और उसके जबड़े की हड्डी मुंह के दोनों तरफ से खोपड़ी की हड्डी से जुड़ी हुई थी. इस वजह से वह अपना मुंह नहीं खोल सकती थी. यहां तक की वह अपनी ऊंगली से अपनी जीभ को छू तक नहीं सकती थी और ना ही कुछ खा सकती थी. वह तरल पदार्थ पर जिंदा थी. मुंह न खुलने से दांतों में इंफेक्शन हो गया और अब कुछ ही दांत बचे हैं. महिला एक आंख से देख भी नहीं सकती हैं.

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यूके-दुबई के अस्पतालों ने कर दिया था सर्जरी से मना

सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि महिला का पूरा चेहरा ट्यूमर की खून भरी नसों से भरा हुआ था. इसकी वजह से कोई भी अस्पताल सर्जरी के लिए तैयार नहीं था. परिवार ने भारत के अलावा यूके और दुबई के बड़े अस्पतालों में महिला को दिखाया था, लेकिन सभी ने सर्जरी के लिए मना कर दिया.

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एक गलती से हो सकती थी मरीज की मौत

सर गंगा राम अस्पताल के सीनियर प्लास्टिक सर्जन डॉ. राजीव आहूजा ने बताया, 'जब हमने मरीज को देखा तो परिवार को बताया कि सर्जरी बहुत ही रिस्की (जटिल) है और अत्यधिक रक्तस्राव (Bleeding) से ऑपरेशन टेबल पर मौत भी हो सकती है. हमने प्लास्टिक सर्जरी, वैस्कुलर सर्जरी एवं रेडियोलॉजी विभाग की टीम बुलाई और बहुत चर्चा के बाद इस जटिल सर्जरी को अंजाम देने का फैसला किया. सर्जरी के लिए टीम का नेतृत्व डॉ. राजीव आहूजा ने किया. इस टीम में डॉ. रमन शर्मा और डॉ. इतिश्री गुप्ता (प्लास्टिक सर्जरी), डॉ. अंबरीश सात्विक (वैस्कुलर एंड एंडोवस्कुलर सर्जरी) और डॉ. जयश्री सूद और डॉ. अमिताभ (एनेस्थीसिया टीम) शामिल थे.

साढ़े तीन घंटे तक चला महिला का ऑपरेशन

ऑपरेशन से 3 हफ्ते पहले मरीज के चेहरे पर एक खास इंजेक्शन (स्क्लेरोसैंट) लगाया गया, जिससे खून से भरी नसें थोड़ी बहुत सिकुड़ जाती हैं. 20 मार्च 2021 को मरीज को ऑपेरशन थिएटर ले जाया गया और सबसे पहले धीरे-धीरे ट्यूमर की नसों को बचाते हुए डॉक्टर मुंह के दाहिने हिस्से में पहुंचे, जहां जबड़ा खोपड़ी से जुड़ गया था. फिर उसको काटकर अलग किया यगा. इसी तरह से बाएं हिस्से में भी जुड़े हुए जबड़े को अलग किया. यहां जरा सी गलती से अगर ट्यूमर की नस कट जाती तो मरीज की ऑपरेशन थिएटर में ही मौत हो सकती थी. पूरी तरह से सफल ऑपरेशन में साढ़े तीन घंटे का समय लगा.

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4-6 सेंटीमीटर खुलता है सामान्य व्यक्ति का मुंह

ऑपरेशन टेबल पर मरीज का मुंह करीब ढाई सेंटीमीटर खुल चुका था. 25 मार्च 2021 को जब आस्था मोंगिया को अस्पताल से छुट्टी दी गई तो उनका मुंह 3 सेंटीमीटर खुल चुका था. जबकि एक सामान्य व्यक्ति का मुंह करीब 4 से 6 सेंटीमीटर खुलता है. डॉ. राजीव आहूजा ने बताया कि अभी मुंह की फिजियोथेरेपी और व्यायाम से मरीज का मुंह और ज्यादा खुलेगा.

सामान्य तरीके से बात कर सकती है महिला

महिला के पिता हेमंत पुष्कर मोंगिया ने बताया, 'मेरी बेटी ने पिछले 30 सालों में बहुत कष्ट झेला है. उसका मुंह इतना भी नहीं खुलता था कि वह अपनी जीभ को हाथ से छू सके. सफल सर्जरी के बाद वह न केवल अपना मुंह खोल सकती है, बल्कि अपनी जीभ को भी छू सकती है और सामान्य तरीके से बातचीत कर सकती है.

महिला ने भगवान और डॉक्टरों का किया धन्यवाद

30 साल बाद अपना मुंह खोलने के बाद आस्था मोंगिया ने कहा, 'इस दूसरे जन्म के लिए मैं भगवान और डॉक्टरों का धन्यवाद करती हूं.' 

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