असम और त्र‍िपुरा में कम होने लगे कुत्‍ते, पड़ोसी राज्‍यों में 5000 रुपए में ब‍िक रहा एक कुत्‍ता
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असम और त्र‍िपुरा में कम होने लगे कुत्‍ते, पड़ोसी राज्‍यों में 5000 रुपए में ब‍िक रहा एक कुत्‍ता

नॉर्थ ईस्‍ट में प‍िछले दिनों दो तस्‍कर ग‍िरफ्तार क‍िए. ये कुत्‍तों के मुंह में कपड़े भरकर ले जा रहे थे.

असम और त्र‍िपुरा में कम होने लगे कुत्‍ते, पड़ोसी राज्‍यों में 5000 रुपए में ब‍िक रहा एक कुत्‍ता

गुवाहाटी: आजकल असम और त्रिपुरा में सड़कों पर  कुत्तों की संख्‍या बहुत कम हो गई है. इस कमी के पीछे नगर नि‍गम नहीं बल्कि तस्करों का हाथ है. त्रिपुरा से कुत्तों की तस्‍करी पड़ोसी राज्य मिजोरम में धड़ल्ले से की जा रही है. पिछले दिनों त्रिपुरा के मिजोरम से सटे धर्मनगर, पानीसागर और कंचनपुर से पुलिस ने कुत्तों के 2 तस्करों को दबोचा. ये दोनों तस्कर कई दर्जन कुत्ते बोरो में भर कर ले जा रहे थे. कुत्ते भौंक न सकें, इसलिए मुंह में कपड़ें ठूंसकर मिजोरम में तस्करी करने के फि‍राक में थे.

मिजोरम में एक स्वस्थ कुत्ते की कीमत 5 हज़ार मूल्य बताई जाती है. ख़ास बात ये है कि मिजोरम में राज्य के बाहर से कुत्ते लाने पर पाबन्दी है. मिजोरम में सड़क के कुत्तों की काफी कमी होने के कारण पड़ोसी राज्य त्रिपुरा से तस्करी आम हो गई है. असम के सीमावर्ती क्षेत्रों से भी कुत्तों की तस्करी नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में धड़ल्ले से हो रही है. मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश में प्रति किलो कुत्ते की मीट 150 रुपए बताया जाता है. असम और त्रिपुरा से तस्करी के जरिए मंगवाए कुत्‍तों का मीट प्रति किलो 500/600 रुपए तक बिकता है.   

असम के तिनसुकिया तिराप पशु चिकित्सालय के पशुचिकित्सक  डॉ. नयनजीत बोरदोलोई बताते हैं कि नॉर्थ ईस्ट के इन चार प्रदेशों के जनजाति लोगो के अच्छे स्वास्थ को लेकर आम धारणा और परंपरा के कारण कुत्तों का मीट खाना माना जाता है.  मणिपुर में ये माना जाता हैं की कुत्ते के मीट खाने से शरीर का दर्द ठीक हो जाता हैं. आवाज़ में बुलंदी आती है. शरीर को गरमाहट मिलती है.  

गुवाहाटी में इवेंट फर्म में काम करने वाली मणिपुरी महिला निक्की लाइजोम का कहना हैं की मणिपुर में ठण्ड जब बहुत बढ़ जाती है, तो ठंड से बचने के लिए भी हमलोग कुत्तों का मीट खाते हैं. इसे खाने से शरीर में तुरंत गर्माहट मिलती है.    

मणिपुरी युवा थोइबा मैतेई बताते हैं कि मणिपुर में कुत्ते का मीट खाने का कोई रिवाज या परंपरा नहीं है. लोग सस्ते में या फ्री में मिल जाने के कारण डॉग मीट खाते हैं. नगालैंड में शादियों में बारातियों के सम्मान के लिए कुत्ते का मीट खिलाने की परंपरा है. पहली बार दामाद जब ससुराल आता है तो काली चमड़ी का कुत्ते का मीट  खिलाया जाता है. ये मीट खिलाने से दामाद की इज़्ज़त उसके समाज में दुगुनी होने के कारण भी डॉग मीट खिलाया जाता है.

आपको बता दें कि त्रिपुरा और असम से हो रही कुत्तों की तस्करी पर वन्य प्रेमियों ने दुःख प्रकट करते हुए असम सरकार और त्रिपुरा सरकार और दोनों प्रदेशों की पुलिस से कुत्तों की तस्करी रोक लगाने की मांग की है. पशु सेवा एनजीओ चलाने वाले मोसिफ अहमद असम और त्रिपुरा सरकार से गुहार लगाते हुए कहते हैं अगर सड़क पर घूमते कुत्ते इसी तरह नदारद होते रहे तो स्थानीय कुत्तों का अस्तित्व ही खत्‍म हो जाएगा.

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