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नई दिल्ली: सुरक्षा एजेंसियां जैसे-जैसे ड्रग्स का काला कारोबार करने वालों पर नकेल कसती है, तो ड्रग्स तस्कर भी उनसे बचने के लिए अलग-अलग तरीके खोज लेते हैं. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (Narcotics Control Bureau) के एक ऑपेरशन के बाद जो खुलासा हुआ उसने सबको हैरान कर दिया.
दरसअल NCB ने शनिवार को ड्रग्स की तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत डार्कनेट पर चल रहे नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 8 लोगों की गिरफ्तार किया है. ये गिरोह डार्कनेट और इंटरनेट फार्मेसी रूट का उपयोग करके नशीले पदार्थों की तस्करी कर रहा था. एनसीबी ने ड्रग्स की तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत डार्कनेट पर चल रहे तस्करी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया.
एनसीबी डिप्टी डायरेक्टर ऑपरेशन केपीएस मल्होत्रा ने ज़ी न्यूज को बताया कि गिरोह ने इंटरनेट फार्मेसी को भी तस्करी के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, जिसमें 9 वेबसाइटें भारत के बाहर पंजीकृत हैं. सिंडिकेट भारत में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में फैला हुआ है और संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और फिलीपींस में इसका जाल है. खेप मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप और अन्य देशों में आती है. ड्रग्स तस्करी की डीलिंग क्रिप्टो करेंसी और बिटकॉइन में होती थी. भारत से बाहर के बैंक खाते जांच के दायरे में हैं.
एनसीबी ने गिरफ्तार किए गए आरोपियों की निशानदेही पर कुल 37 बरामदगी की हैं जिसमें 22 लाख साइकोट्रोपिक गोलियां जैसे ट्रामाडोल, 70000 कोडीन बेस्ड कफ सिरप (CBCS) और 245 किलोग्राम साइकोट्रोपिक दवाएं जब्त की हैं, इस नेटवर्क में हरिद्वार की एक दवा कंपनी शामिल थी.
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जांच एजेंसियों से बचने के लिए ये गिरोह ड्रग्स को हर्बल सप्लीमेंट के पैकेट में छिपा देते थे, डिजिटल फोरेंसिक तरीके से ये मॉड्यूल एक लाख के ऑर्डर को पहले ही भेज चुका है. उस एक लाख के ऑर्डर का भी पता चला है. एनसीबी ने इस मामले में दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी की है. एनसीबी अब इनके जरिए डार्कनेट और इंटरनेट के जरिये ड्रग्स को दुनिया भर में बेचने वाले दूसरे गिरोह के बारे में भी जानने की कोशिश कर रही है.
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