देख लीजिए पंचायत समिति का हाल, चेयरमैन की गाड़ी के तेल का बिल 5 साल में आया 21 लाख रुपये
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देख लीजिए पंचायत समिति का हाल, चेयरमैन की गाड़ी के तेल का बिल 5 साल में आया 21 लाख रुपये

पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर के चंडीपुर से पूर्व पंचयात समिति की चेयरमैन अपर्णा भट्टाचार्य के सरकारी गाड़ी के तेल का खर्चा देखकर कई लोगों की आंखे फटी की फटी रह गई.

देख लीजिए पंचायत समिति का हाल, चेयरमैन की गाड़ी के तेल का बिल 5 साल में आया 21 लाख रुपये

तृणमूल नेता अपर्णा भट्टाचार्य ने पंचायत समिति में चेयरमैन पद पर रहते हुए 5 साल में अपनी गाड़ी के तेल पर 21 लाख रुपये खर्च किए थे. पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर के चंडीपुर से पूर्व पंचयात समिति की चेयरमैन अपर्णा भट्टाचार्य के सरकारी गाड़ी के तेल का खर्चा देखकर कई लोगों की आंखे फटी की फटी रह गई. हाल ही में चंडीपुर के रहने वाले सुप्रभात पात्रा ने एक आईटीआई (RTI) दाखिल किया था, जिसमे उन्होंने पूछा था कि साल 2018 से 2023 तक पंचायत समिति के सभापति के कार्यकाल के दौरान कितने रुपये का तेल खर्च हुआ था. इस पर ब्लॉक प्रशासन ने जवाब में बताया कि गाड़ी के तेल का खर्च 21,45,720 रुपये हुआ है, जिसके दस्तावेज पंचायत समिती के कैश सेक्शन में रखा है.

सुप्रभात पात्रा ने बताया कि एक पंचायत समिति अध्यक्ष ने गाड़ी पर साढ़े 21 लाख रुपये 5 साल में खर्च कर दिए, जिस समय कोरोना काल चल रहा था. यानी हर साल गाड़ी में 4 लाख 30 हजार रुपये सरकारी फंड से खर्च हुए हैं. गाड़ी के तेल पर हुए इस भारी खर्चे को लेकर जिला प्रशासन को जांच करनी चाहिए.

5 साल में खर्च हुए 21 लाख रुपये?

मई के महीने में पहली चिट्ठी देने के बाद जिसमें 21,45,720 रुपये के खर्च का जिक्र था, उसे ठीक करते हुए दोबारा से 8 जुलाई को जॉइंट BDO ने एक चिट्ठी सुप्रभात को भेजी, जिसमें 21 लाख नहीं बल्कि 20 लाख 68 हजार 464 रुपये गाड़ी के बिल के तौर पर खर्च किए जाने का उल्लेख था. लेकिन, केवल अध्यक्ष महोदया के गाड़ी पर 7 लाख 27 हजार 628 रुपये ही खर्च हुए हैं. बाकी लगभग 12 लाख रुपये का तेल अन्य गाड़ियों में भरा गया है और वो पैसा अध्यक्ष महोदया की गाड़ी पर खर्च हो भी सकते हैं और नहीं भी. यह बात उस चिट्ठी में उल्लेख थी, जिसे पढ़ने के बाद सुप्रभात बाबू के मन में यही सवाल आया कि गाड़ी का बिल इशू हो रहा है चेयरमैन के नाम पर तो क्या कोई और भी उस गाड़ी का इस्तेमाल कर रहा है? प्रशासनिक बैठकों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी गाड़ी के बिल और बिजली के खर्च पर लगाम लगाने कि बात कही है. और इसके बावजूद सरकारी दफ्तरों में इसकी अनदेखी कि जा रही है.

RTI डालने वाले सुप्रभात पात्रा ने बताया कि साल 2008 से चंडीपुर पंचायत समिति तृणमूल चला रही है. हम सब भी तृणमूल से जुड़े हैं , हमने अपना जीवन तृणमूल को दे दिया , लेकिन दुर्भाग्य की बात है की साल 2018 में इस को महिला पंचायत समिति का पदभार दिया गया, जिसमें 2023 तक चेयरमैन का काम किया. उनको लेकर के तृणमूल के ही लोग ज्यादातर बात किया करते थे, मुझे भी चीजें जानने के बारे में जिज्ञासा रहती है तो जानने के लिए मैंने भी RTI डाला, जिसमें मैंने जानने की कोशिश की कि साल 2018 से 2023 तक उस वक्त की पंचायत समिति की चेयरमैन की गाड़ी में कितने रुपये का तेल डाला गया है. उस बिल के एवज में उन्होंने कितने पैसे लिए तो मुझे जवाब मिला की 21 लाख कुछ रुपये उन्होंने तेल में खर्च किए, जिसे जानकार मुझे बहुत अजीब लगा. एक गाड़ी जिसका इस्तेमाल वो घर से ऑफिस और ब्लॉक इलाके में ही घूमने के लिए इस्तेमाल करेंगी या सरकारी अनुष्ठान में खर्च हो ही सकता है, लेकिन एक एम्बेस्डर गाड़ी में 5 सालों में इतने पैसे खर्च नहीं हो सकते हैं.

उन्होंने आगे कहा, 'उस दौरान भारत में लॉकडाउन के चलते इतने रुपये का तेल कैसे कोई खर्च कर सकता है. ऐसे फिर तो भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कितने का तेल डलवाते होंगे. क्या सच में तेल भरवाया गया या तेल भरवाने के नाम पैसे हड़पे गए? यही सवाल मैंने उठाया है और प्रशासन से जांच की मांग की है.

अपर्णा भट्टाचार्य ने दी सफाई

इस मामले पर अपर्णा भट्टाचार्य ने अपनी सफाई में बताया कि गाड़ी के तेल का खर्च 14 से 15 हजार महीना ही हुआ था.कोरोना काल में हमें भागा-दौड़ी ज़्यादा करनी पड़ी. हम बैठे तो नहीं रह सकते ना? गाड़ी के लॉगबुक में तेल के खर्च का हिसाब लिखा हुआ है. प्रतिदिन 3-4 लीटर तेल ही भरवाया जाता था. जो हिसाब दिखाया जा रहा है, उसमें कुछ गड़बड़ है. इसके अलावा विभिन्न कामों के लिए हल्दिया से कोलकाता भी जाना पड़ता था.

इलाके के तृणमूल नेता पार्थसारथी माइती ने बताया की उस वक़्त कोरोनाकाल चल रहा था और ज़्यादातर उन्हें यहां से वहां जाना पड़ता था. कई बार मरीज़ को लेके भी जाना पड़ता था. उसके लिए तो बिल बन ही सकता है, लेकिन इस बारे में सही जानकारी उचित विभाग ही दे पाएगा, लेकिन तृणमूल हमेशा जनता के साथ है.

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