ED Action Against Vivo Company: भारत को अंदर से खोखला करने के लिए चीन ने Vivo जैसी कंपनियों का कैसे किया इस्‍तेमाल? राज से उठा पर्दा
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ED Action Against Vivo Company: भारत को अंदर से खोखला करने के लिए चीन ने Vivo जैसी कंपनियों का कैसे किया इस्‍तेमाल? राज से उठा पर्दा

ED Action Against Vivo Company: भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए चीन लगातार साजिशें रचने में लगा है. उसने अब भारत को अंदर से खोखला करने के लिए कई कंपनियों को मोहरा बनाया है. उसकी इन साजिशों से अब पर्दा उठ गया है.

ED Action Against Vivo Company: भारत को अंदर से खोखला करने के लिए चीन ने Vivo जैसी कंपनियों का कैसे किया इस्‍तेमाल? राज से उठा पर्दा

ED Action Against Vivo Company: ED ने मनी लॉन्ड्रिंग कर हर महीने करोड़ों रुपये चीन भेजे जाने की सूचना मिलने पर चीनी (China) मोबाइल कंपनी विवो (VIVO) पर 5 जुलाई को छापेमारी की थी. इस रेड के बाद एजेंसी ने कंपनी के बैंक खातों पर रोक लगा दी थी. ED की इस कार्रवाई के विरोध में VIVO ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यह रोक हटवाने की मांग की है. एजेंसी की इस कार्रवाई पर चीन बौखला गया है और इसे बदले की कार्रवाई बता रहे है. आइए जानते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है.

8 जुलाई को हुई मामले में पहली सुनवाई

रिपोर्ट के मुताबिक VIVO कंपनी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने 8 जुलाई को मामले पर पहली सुनवाई की. विवो कंपनी की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा  ने दलील दी कि बैंक खातों पर रोक की वजह से कंपनी का रोजमर्रा का कामकाज ठप हो गया है. ये एक तरीके से कंपनी की कमर्शियल डेथ के समान है. इसकी वजह से कंपनी अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रही, जिन लोगों ने आर्डर कैंसल किए गए हैं, उन्हें रिफंड भी दिया जा पा रहा है. करोड़ो रुपयों के वैधानिक बकाये का भुगतान नहीं हो पा रहा है. विवो की तरफ से कहा गया कि अगर बैंक खातों पर लगी रोक को नहीं हटाया गया तो ऐसी सूरत में विवो कंपनी को मुकदमेबाजी झेलनी होगी.

HC ने ED को विवो के आग्रह पर विचार करने को कहा

कंपनी की याचिका का संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने ED से कहा है कि वो बैंक खातों पर लगी रोक को हटाने के अनुरोध पर विचार कर जल्द फैसला ले. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सुनवाई 13 जुलाई तक के लिए टाल दी थी. इसके बाद कोर्ट में 5 दिन बाद फिर 13 जुलाई को सुनवाई हुई. इस सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने ये देखते हुए कि ED ने विवो कंपनी (VIVO) के अनुरोध पर कोई फैसला नहीं लिया है, विवो को फौरी तौर पर राहत दे दी. कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ विवो को बैक खातों को ऑपेरट करने की इजाजत दे दी.

1200 करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला

चूंकि ED ने कोर्ट में कहा था कि विवो कंपनी (VIVO) के ठिकानों पर हुई छापेमारी में कुल 1200 करोड़ रुपये की हेराफेरी का पता चला. लिहाजा इतनी रकम को सुरक्षित रखा जाना चाहिए. इस लिहाज से दिल्ली हाईकोर्ट ने चाइनीज कंपनी विवो को 1 हफ्ते में 950 करोड़ की बैक गारंटी जमा कराने की सूरत में ही बैक खाते ऑपरेट करने की इजाजत दी. इसके साथ कोर्ट ने कंपनी को अपने बैंक खातों में 251 करोड़ रुपये का बैलेंस बरकरार रखने को कहा. कोर्ट ने कंपनी से कहा कि वो हर 48 घन्टे में इन बैंक खातों से भेजे जाने वाले पैसे की जानकारी ED को दे. इसके अलावा कोर्ट ने बैंक खाते फ्रीज करने की कार्रवाई पर ED को भी जवाब दाखिल करने को कहा.

'देश की संप्रभुता को चोट पहुंचाने की कोशिश'

कोर्ट के निर्देश के बाद ED ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में हलफनामा दायर कर कहा है कि उसकी ओर से विवो कंपनी (VIVO) के जिन खातों को फ्रीज किया गया, उनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया था. विवो के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस कोई सामान्य मामला नहीं है, बल्कि इसके जरिये देश के आर्थिक तंत्र को अस्थिर करने और राष्ट्र की सम्प्रभुता, अखंडता को चोट पहुंचाने की कोशिश हुई है. ये एक गम्भीर अपराध है.ओडिशा हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग को आर्थिक आतंकवाद करार दिया है और यह केस उसी श्रेणी में आता है.

'बिना नोटिस दिए भी हो सकती है कार्रवाई'

ED ने हलफनामें में विवो (VIVO) की इस दलील को खारिज कर दिया कि सर्च ऑपरेशन या बैक खातों को फ्रीज करने  से पहले नोटिस भेजने की जरूरत है. ED ने कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट का सेक्शन 17 उन्हें इस बात की इजाजत देता है कि वो बिना नोटिस दिए भी ये कार्रवाई कर सकती है. बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए जरूरी कानूनी प्रकिया का पालन हुआ है और इसे गैरकानूनी नहीं ठहराया जा सकता. ED ने कोर्ट (Delhi High Court) को बताया कि वो विवो से जुड़ी 22 कंपनियों के वित्तीय लेन देन की जांच कर रही है. इन कंपनियों के मालिक विदेशी नागरिक है. इन फर्मों ने चीन को भारी मात्रा में धन ट्रांसफर किया है. ये हस्तांतरण संदिग्ध है और ED इसकी जांच कर रही है.

GPICPL के डायरेक्टर देश छोड़कर भागे

ED ने हलफनामे में विवो (VIVO) की डिस्ट्रीब्यूटर कंपनी GPICPL के खिलाफ दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज  FIR का हवाला भी दिया है. ED ने कोर्ट को बताया कि FIR दर्ज होने के बाद से ही उसके चाइनीज डायरेक्टर जांच में सहयोग करने के बजाए देश छोड़कर भाग गए. ED का कहना  है कि GPICPL के खातों में कुल 1487 करोड़ रुपये जमा हुए. इसमे से 1200 करोड़ रुपये उसने विवो को ट्रांसफर कर दिए. ये लेनदेन साफ तौर पर दोनों कंपनियों के बीच के गठजोड़ को दर्शाता है.

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