पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने दावा किया है कि 2001 में संसद हमले और 26/11 मुंबई हमले के बाद भारतीय वायुसेना पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में मौजूद आतंकी कैम्पों को ध्वस्त करना चाहती थी, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने मंजूरी नहीं दी.
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नई दिल्ली: पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने दावा किया है कि 2001 में संसद हमले और 26/11 मुंबई हमले के बाद भारतीय वायुसेना पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में मौजूद आतंकी कैम्पों को ध्वस्त करना चाहती थी, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने मंजूरी नहीं दी. धनोवा ने कहा कि भारतीय वायुसेना को पता था कि आतंकी कैंप कहां हैं और वायुसेना पूरी तरह से तैयार भी थी. टेक्नॉवानजा में वीजेटीआई के वार्षिक उत्सव में उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए यह बात कही.
बीएस धनोआ 31 दिसंबर 2016 से 30 सितंबर 2019 तक वायुसेना प्रमुख रहे हैं. ये (स्ट्राइक) प्रस्ताव सरकार के पास दो बार भेजा गया था. पहली बार ये प्रस्ताव 2001 के संसद हमले के बाद सरकार के सामने रखा गया था और दूसरी बार मुंबई हमले के बाद फिर से इस प्रस्ताव को पेश किया गया था. तत्कालीन एयरफोर्स चीफ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद आतंकी ट्रेनिंग कैंप पर हमले के लिए तैयार थे.
2001 में संसद हमले के बाद सब कुछ हमारे पक्ष में था और 2008 में भी ऐसे ही हालात थे सब कुछ हमारे पक्ष में था. उस वक्त इंडियन एयरफोर्स ने कहा था कि हमारे पास क्षमता है और राजनीतिक निर्णय होता, राष्ट्रीय नेतृत्व को इस पर फैसला लेना था.
उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि शांति आती है तो पाकिस्तान अपने कई विशेषाधिकार खो देगा. पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा कि वह कश्मीर के मुद्दे को हमेशा हवा देता रहेगा. भारतीय वायुसेना के पास छोटे और तेज युद्ध लड़ने की क्षमता है, इस बात को उजागर करते हुए उन्होंने कहा, "पाकिस्तान प्रोपेगेंडा की लड़ाई लड़ता आया है और वह यह करना जारी रखेगा."
हालांकि, उन्होंने इस बात पर चिंता जाहिर की कि भारत के दो पड़ोसी देशों के पास परमाणु हथिायर है. बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा कि इस हमले ने पाकिस्तान को चौंका कर रख दिया था और वह इससे पूरी तरह अनजान था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के रक्षा बलों के बीच संयुक्त योजना की कमी है और उनका मनोबल गिरा हुआ है.