ब्रिटिश पार्लियामेंट्री ग्रुप और पाकिस्तान के गहरे रिश्ते, पूर्व राजदूत ने किया दावा
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ब्रिटिश पार्लियामेंट्री ग्रुप और पाकिस्तान के गहरे रिश्ते, पूर्व राजदूत ने किया दावा

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के दौरे के लिए ब्रिटिश सांसदों के दल को पाकिस्तान सरकार द्वारा 30 लाख रुपए दिए जाने की खबरों के बीच ब्रिटेन में भारत की राजदूत रह चुकीं रुचि घनश्याम ने कहा है कि ये पाकिस्तान सरकार और ब्रिटिश पार्लियामेंट्री पैनल के बीचे के रिश्ते को प्रमाणित करता है.

इमरान खान | फाइल फोटो

नई दिल्ली: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के दौरे के लिए ब्रिटिश सांसदों के दल को पाकिस्तान (Pakistan) सरकार द्वारा 30 लाख रुपए दिए जाने की खबरों के बीच ब्रिटेन में भारत की राजदूत रह चुकीं रुचि घनश्याम ने कहा है कि ये पाकिस्तान सरकार और ब्रिटिश पार्लियामेंट्री पैनल के बीचे के रिश्ते को प्रमाणित करता है.

ब्रिटिश पार्लियामेंट्री पैनल- ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप ने लेबर पार्टी की सांसद डेबी अब्राहम्स की अगुवाई में फरवरी में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का दौरा किया था. इस दौरे से पहले डेबी अब्राहम्स फ्लाइट से दिल्ली उतरी थीं लेकिन उनके पास मान्य वीजा नहीं था इसीलिए उनको वहीं से दिल्ली छोड़ने के लिए बोल दिया गया था.

रुचि घनश्याम जो मई तक ब्रिटेन में भारत की राजदूत थीं, उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा देखा है कि ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप कश्मीर पर पक्षपाती और पूर्वाग्रह से ग्रसित रहा है. इस्लामाबाद से जो उनके रिश्ते जो सामने आए हैं उससे उनकी पीओके की स्थिति के बारे में पाकिस्तानी के नजरिए को बिना आलोचना के स्वीकार करना समझ आता है.’

वो आगे कहती हैं, ‘कश्मीर में ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप के दौरे पर ही सवाल खड़ा होता है. एमपी डेबी अब्राहम्स बिना वीजा के भारत जाती हैं और वापस लौट जाती हैं क्योंकि यूके के साथ समझौते में  ‘वीजा ऑन अराइवल’ का प्रावधान ही नहीं है. दुर्भाग्य से ये सब एक झूठा विवाद खड़ा करने के लिए किया गया था.’    

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ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप का रजिस्टर बताता है कि 18 से 22 फरवरी के बीच पीओके दौरे के लिए पाकिस्तान सरकार से 31501 पाउंड से लेकर 33000 पाउंड तक लिए गए. भारत ने डेबी को ई-बिजनेस वीजा 7 अक्टूबर 2019 को जारी किया था लेकिन 14 फरवरी 2020 को इसलिए रद्द कर दिया क्योंकि उनकी गतिविधियां भारत के राष्ट्रीय हित के खिलाफ जा रही थीं.

ई-बिजनेस वीजा को रद्द करना ही डेबी के लिए अपने आप में इशारा काफी था लेकिन इसके कुछ दिन बाद ही भारत आकर वो कुछ और आगे बढ़ गईं और सरकार को डेबी को निर्वासित करना पड़ गया.\

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