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नई दिल्ली: भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के काफिले पर शुक्रवार को अलवर में हुए हमले के बाद कार्रवाई लगातार जारी है. हमले में शामिल मुख्य आरोपी कुलदीप यादव (Kuldeep yadav) सहित 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इस बीच आज गाजीपुर बॉर्डर पर हमले को लेकर महापंचायत बुलाई गई है. महापंचायत में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन (Farmers Protest) को तेज करने सहित टिकैत पर हुए हमले पर चर्चा संभावित है.
राजस्थान में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) पर हमले की घटना के बाद भाकियू (BKU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत (Naresh Tikait) ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की महापंचायत का ऐलान किया है. इस पंचायत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसान हिस्सा लेंगे. नरेश टिकैत आज दोपहर यूपी गेट पर किसानों की महापंचायत में कई खापों के चौधरियों के साथ पहुंचेंगे.
बीकेयू (BKU) की तरफ से किसानों को यूपी गेट पर आंदोलन स्थल पहुंचने का संदेश दिया गया है. वहीं शनिवार को किसानों को समर्थन देने के लिए कर्नाटक और तमिलनाडु से भी कुछ किसान पहुंचे. पंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kuasan Morcha) के तहत सभी किसान संगठन भी शामिल होंगे.
अलवर जिले के ततारपुर थाना अंतर्गत ततारपुर चौराहे पर शुक्रवार को किशनगढ़ बास (Kishangarhbas) के हरसौली गांव में किसान आंदोलन के समर्थन में सभा कर बानसूर जाते समय ततारपुर चौराहे पर मत्स्य यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कुलदीप यादव के नेतृत्व में करीब 30-40 युवाओं नें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की गाड़ी पर हमला बोला और मुर्दाबाद के नारे लगाए थे. हमले के राकेश टिकैट ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया. बीकेयू की तरफ से राकेश टिकैत के लिए सुरक्षा की मांग की गई है.
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन के 128 दिन बीत चुके हैं. गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में अब सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा पूर्व सैनिक संभाल रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन के मुताबिक, 'पूर्व सैनिक आंदोलन में पहले दिन से शामिल हैं. हाल ही में बॉर्डर पर कुछ ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिससे आंदोलन को आसानी से बदनाम किया जा सके.' उन्होंने कहा, 'पूर्व सैनिकों ने भी हमसे गुजारिश की थी हमें कुछ करने का मौका दिया जाए. जिसके बाद ये तय किया गया कि आंदोलन की सुरक्षा व्यवस्था पूर्व सैनिकों को दी जाए. आंदोलन के वॉलंटियर भी अब पूर्व सैनिकों के निर्देश पर काम करेंगे. वहीं उनको ट्रेनिंग देने का काम भी किया जाएगा.'
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