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नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 4 महीने से ज्यादा समय से चल रहा है. इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को इस बात का डर सता रहा है कि सरकार प्रदर्शन कर रहे किसानों (Farmers Protest) के साथ शाहीन बाग जैसा बर्ताव ना करें. बता दें कि कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को शाहीन बाग से हटा दिया था.
राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने बुधवार को कहा कि सरकार को किसान आंदोलन के साथ उस तरह का बर्ताव नहीं करना चाहिए, जैसा कि पिछले साल दिल्ली के शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन के दौरान किया गया था. उन्होंने कहा, 'प्रदर्शनकारी घर तभी लौटेंगे, जब नए कृषि कानून वापस ले लिए जाएंगे. भले ही हमें 2023 तक विरोध जारी रखना पड़े, हम इसके लिए भी तैयार हैं. जब तक इन कानूनों को रद्द नहीं किया जाता और एमएसपी पर कानून नहीं बनाया जाता, तब तक किसान घर वापस नहीं जाएंगे.'
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राकेश टिकैत ने कहा, 'आंदोलन कर रहे किसान, कोविड-19 के सभी नियमों का पालन करेंगे. सरकार कोरोना वायरस की बात करती है, लेकिन हमने सरकार से कहा है कि वे इस आंदोलन के साथ शाहीन बाग की तरह व्यवहार न करें. यह आंदोलन समाप्त नहीं होगा. हम कोरोनो वायरस के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे और यह आंदोलन जारी रखेंगे.'
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नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 26 नवंबर को शुरू हुआ था, जो अब भी जारी है. किसान दिल्ली की सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. इस दौरान सरकार के साथ किसानों की कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक सहमति नहीं बन पाई है. किसान संगठन कानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार कानूनों की खामियों वाले बिंदुओं पर चर्चा कर संशोधन के लिए तैयार है. इसके साथ ही किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी दी जाए.
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बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शन दिसंबर 2019 में शुरू हुआ था और 100 से ज्यादा दिन तक धरना-प्रदर्शन चला था. इस दौरान लोगों ने सड़क को ब्लॉक कर दिया था, लेकिन पिछले साल मार्च में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली में लगाए गए धारा 144 के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटा दिया. शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने और सड़क को खोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में भी अपील की गई थी, क्योंकि इस कारण लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजिनक स्थानों को ब्लॉक नहीं कर सकता है.