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नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (New Agrucultrue Laws) और किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार (11 जनवरी) सुनवाई हुई. बता दें कि किसानों का प्रदर्शन 47 दिनों से जारी है और किसान लगातार कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इस बीच सरकार और किसान के बीच 8 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कृषि कानूनों को लेकर कोई समाधान नहीं निकल पाया है.
याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सरकार से कहा, 'आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं. नहीं तो हम लगा देंगे.' सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने एसए बोबडे नाराजगी व्यक्त की और कहा कि 'जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं. हमें पता नहीं कि सरकार कैसे मसले को डील कर रही? कानून बनाने से पहले किससे चर्चा की? कई बार से कह रहे हैं कि बात हो रही है. क्या बात हो रही है?'
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम एक्सपर्ट कमेटी बनाना चाहते हैं, तबतक सरकार इन कानूनों को रोके वरना हम एक्शन लेंगे.' याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सिर्फ कानून के विवादित हिस्सों पर रोक लगाइए. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, 'हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे. इसके बाद भी संगठन चाहें तो आंदोलन जारी रख सकते हैं, लेकिन क्या इसके बाद नागरिकों के लिए रास्ता छोड़ेंगे. हमें आशंका है कि किसी दिन वहां हिंसा भड़क सकती है.'
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कानून से पहले एक्सपर्ट कमिटी बनी. कई लोगों से चर्चा की. पहले की सरकारें भी इस दिशा में कोशिश कर रही हैं. CJI ने कहा कि यह दलील काम नहीं आएगी कि पहले की सरकार ने इसे शुरू किया था. CJI ने कहा कि आपने कोर्ट को बहुत अजीब स्थिति में डाल दिया है. लोग कह रहे हैं कि हमें क्या सुनना चाहिए, क्या नहीं. लेकिन हम अपना इरादा साफ कर देना चाहते हैं कि हल निकले. अगर आपमें समझ है तो कानून के अमल पर जोर मत दीजिए. फिर बात शुरू कीजिए. हमने भी रिसर्च किया है और एक कमिटी बनाना चाहते हैं.
चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट किसी भी नागरिक को ये आदेश नही दे सकता कि आप प्रदर्शन न करें. हां, ये जरूर कह सकता कि आप इस जगह प्रदर्शन करें. अगर कुछ घटित होता है तो उसके जिम्मेदार सब होंगे, हम नहीं चाहते कि हमारे हाथ रक्त रंजित न हो. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें लगता है कि जिस तरह से धरना प्रदर्शन पर हरकते (ढोल-नगाड़ा आदि) हो रही है, उसे देख कर लगता है एक दिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कुछ घटित हो सकता है. हम नहीं चाहते कि कोई घायल हो.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि स्थिति खराब हो रही है और किसान आत्महत्या कर रहे हैं. पानी की सुविधा नहीं है, बेसिक सुविधा नहीं है और सोशल डिस्टेंसिंग नहीं पालन किया जा रहा है. किसान संगठनों से पूछना चाहता हूं कि आखिर इस ठंड में महिलाएं और बूढ़े लोग प्रदर्शन में क्यों है?
किसान संगठन के वकील एपी सिंह ने कुछ कहने की कोशिश की. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठन के वकील एपी सिंह को फटकार लगाते हुए कहा की आपको विश्वास हो या नहीं हम सुप्रीम कोर्ट हैं.
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