केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) को भुनाने के लिए कांग्रेस पूरा जोर लगाए हुए है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने इस आंदोलन की तुलना चंपारण सत्याग्रह (Champaran Satyagraha) से करते हुए कहा है कि हरेक मजदूर-किसान अपना हक लेकर रहेगा.
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नोएडा: केन्द्र सरकार के नए कृषि कानूनों (New Farm Law) के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) रविवार को भी जारी रहा. कड़कड़ाती ठंड और बारिश के बीच किसान अपना विरोध जताने के लिए दिल्ली की सीमा पर डटे रहे.
चिल्ला बॉर्डर पर जमे किसानों (Farmers Protest) ने रविवार सुबह बारिश से बचने के लिए टेंट और ट्रॉलियों के नीचे शरण ली. दलित प्रेरणा स्थल पर अपने साथियों के साथ धरने पर बैठे भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मास्टर श्योराज सिंह ने कहा कि सरकार और मौसम चाहे किसानों पर जितना भी सितम ढा ले, उनका हौसला डिगने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक नए कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा.
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन की तुलना अंग्रेजों के शासन में हुए चंपारण आंदोलन (Champaran Satyagraha) से की. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि आंदोलन में भाग ले रहा हरेक किसान और श्रमिक सत्याग्रही है. वे अपना अधिकार लेकर ही रहेंगे.
राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा, ‘देश एक बार फिर चंपारण जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है. तब अंग्रेज कंपनी बहादुर था, अब मोदी-मित्र कंपनी बहादुर हैं. लेकिन आंदोलन में भाग ले रहा हर एक किसान-मजदूर सत्याग्रही है, जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा.'
देश एक बार फिर चंपारन जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है।
तब अंग्रेज कम्पनी बहादुर था, अब मोदी-मित्र कम्पनी बहादुर हैं।
लेकिन आंदोलन का हर एक किसान-मज़दूर सत्याग्रही है जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 3, 2021
बता दें कि महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण सत्याग्रह (Champaran Satyagraha) का नेतृत्व किया था. इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक आंदोलन माना जाता है. उस वक्त किसानों ने अंग्रेजों के नील की खेती करने संबंधी आदेश और इसके लिए कम भुगतान के विरोध में बिहार के चंपारण में यह आंदोलन किया था.
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सरकार और किसानों के बीच बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता में बिजली के दामों में कमी करने और पराली जलाने पर जुर्माना हटाने के मुद्दों पर सहमति बनी है. लेकिन कृषि कानूनों को वापस लेने और MSP की लिखित गारंटी की मांग पर अब भी गतिरोध बना हुआ है. इन मांगों को लेकर देश भर के हजारों किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद एक महीने से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर बैठकर प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं.
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