किसान आंदोलन एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है. एक तरह राकेश टिकैत अपने साथियों की रिहाई कराने के लिए टोहाना पहुंच गए, जो वहीं दूसरी ओर जींद में किसानों ने नए कृषि कानून की प्रतियां जला दीं. इसके बाद उन्होंने विधायक-नेताओं के घरों का भी घेराव किया.
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टोहाना: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के बीच किसान का आंदोलन एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है. शनिवार को किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) और गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Singh Chaduni) अपने समर्थकों के साथ हरियाणा के फतेहाबाद जिले के टोहाना सदर पुलिस थाने पहुंचे गए और अपने साथी किसानों को रिहा करने की मांग की.
इस दौरान उन्होंने स्थानीय जजपा विधायक देवेंद्र बबली पर कथित रूप से दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की मांग भी की. टिकैत और चढूनी अन्य प्रदर्शनकारी किसानों के साथ सबसे पहले यहां की अनाज मंडी में एकत्र हुए और वहां से गिरफ्तारी देने के लिए पुलिस थाने तक मार्च किया. इसके मद्देनजर थाने पर भारी संख्या में पुलिसबल की तैनाती की गई थी. प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दो साथी किसानों की रिहाई की मांग की, जिन्हें जजपा विधायक देवेंद्र बबली के आवास का घेराव करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. किसान नेता चढूनी ने कहा कि किसानों के खिलाफ दर्ज ‘फर्जी’ मामलों को भी वापस लिया जाना चाहिए और बबली पर उनके साथ दुव्यर्वहार करने का मामला दर्ज किया जाना चाहिए.
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उल्लेखनीय है कि एक जून को जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायक के खिलाफ किसानों के एक समूह ने प्रदर्शन किया था, और उनके खिलाफ नारेबाजी करने के साथ-साथ काले झंडे दिखाए थे. बबली ने आरोप लगाया था कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उनकी एसयूवी कार के सामने के शीशे को तोड़ दिया. हालांकि, किसानों का आरोप है कि बबली ने सार्वजनिक रूप से किसानों के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और उन्हें धमकी दी. टोहाना सदर पुलिस थाने के सामने शनिवार को प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा कि उन्होंने पुलिस से कहा कि या तो उनके लोगों को छोड़ दिया जाए या फिर उन्हें भी जेल में डाल दिया जाए.
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इससे पहले अनाज मंड़ी में जुटी भीड़ को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि उनका प्रदर्शन तबतक जारी रहेगा जबतक कृषि कानून वापस नहीं हो जाते. कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी वाला कानून लागू नहीं हो जाता. उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार को इन काले कानूनों को वापस लेना ही होगा. चाहे वह वर्ष 2022 में ले या 2023 में. वर्ष 2024 में ये कानून वापस हो जाएंगे, यह निश्चित है.’ टिकैत ने जोर देकर कहा कि किसानों का आंदोलन 2024 तक जारी रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा नेता योगेंद्र यादव ने कृषि कानूनों को कथित रूप से पिछले दरवाजे से लाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की.
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