मोदी के दुबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद सेना को भरोसा है कि अगले पांच साल में उन्हें सरकार से हर ज़रूरत का हल मिलेगा.
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नई दिल्ली: पिछले पांच साल में बीजेपी सरकार में सुरक्षा बल लगातार चर्चा का केंद्र रहे. चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदराज़ इलाक़ों में जाकर सैनिकों के साथ त्यौहार मनाना हो या खुलकर जवाबी कार्रवाई के लिए सुरक्षा बलों को छूट देना, चाहे चुनाव प्रचार में सुरक्षा बलों की कामयाबी की प्रशंसा. मोदी के दुबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद सेना को भरोसा है कि अगले पांच साल में उन्हें सरकार से हर ज़रूरत का हल मिलेगा. यूपीए के दोनों कार्यकालों में सेनाओं को आधुनिक बनाने के काम में भारी देरी हुई और ज्यादातर अच्छे हथियारों के सौदे लटके रहे. तीनों ही सेनाओं को खुद को चीन और पाकिस्तान दोनों ही मोर्चों पर तैयार रहने के लिए कई बेहद ज़रूरी हथियारों की ज़रूरत हैं. सेनाओं को उम्मीद है कि नई सरकार में इनकी कमी जल्द ही दूर होगी.
सेना को आधुनिक तकनीक से लैस होने के लिए नई INFANTRY COMBAT VEHICLE (ICV ) यानि बख्तरबंद गाड़ियों की ज़रूरत है. भारतीय सेना अभी लगभग 1200 रूसी BMP बख्तरबंद गाड़ियों का इस्तेमाल करती है, जिनका आना 1987 में शुरू हुआ था यानि तीन दशक पहले. भारतीय सेना FUTURE INFANTRY COMBAT VEHICLE (FICV) का पिछले दशक से इंतज़ार कर रही है. उम्मीद है कि नई सरकार इस मामले में तेज़ी लाएगी.
इसी तरह सेना के आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों के लिए साढ़े तीन लाख से ज्यादा कार्बाइनों की ज़रूरत है और लगभग 36000 लाइट मशीनगनों की. सीमाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाली सरकार के आने से ये हथियार जल्द आने की उम्मीद है. पिछले दो साल में तोपों की भारी कमी को पूर्ति शुरू हुई है जिससे सेना की उम्मीद बढ़ी है.
इस बार के चुनाव में वायुसेना के बालाकोट पर हुए हमलों और फ़ाइटर जेट राफेल की सबसे ज्यादा चर्चा हुई है. वायुसेना को फ़ाइटर एय़रक्राफ्ट की सबसे ज्यादा ज़रूरत है ताकि वो दो मोर्चों पर एक साथ सुरक्षा संभाल सके. वायुसेना को इसके लिए 42 फ़ाइटर जेट स्क्वाड्रन चाहिए, जबकि अभी उसके पास केवल 31 स्क्वाड्रन बचे हैं. एक स्क्वाड्रन में 16 से 18 फ़ाइटर जेट्स होते हैं. वायुसेना ने यूपीए सरकार में 126 फ़ाइटर जेट ख़रीदने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन वो कभी पूरी नहीं हो पाई.
सीधी ख़रीदी के तहत लाए जा रहे 36 राफेल जेट्स से ये कमी कुछ हद तक की पूरी हो पाएगी. वायुसेना ने 114 फ़ाइटर जेट्स ख़रीदने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन इसे तेज़ी से पूरी करना ज़रूरी है.
सबमरीन बेड़े की ताकत और बढ़ानी होगी
नौसेना को पिछले कुछ सालों में कई आधुनिक जंगी जहाज़ मिले हैं. लेकिन भारतीय नौसेना की सबसे अहम ज़रूरत सबमरीन की है. नौसेना के पास अभी रूस से लीज़ पर ली गई न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस चक्र और स्वदेशी न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस अरिहंत के अलावा 9 सिंधु क्लास, 9 शिशुमार क्लास की सबमरीन हैं. देश में बनी कलवरी क्लास की पहली सबमरीन आईएनएस कलवरी भी कुछ समय पहले नौसेना में शामिल हो गई है. लेकिन चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों से निबटने के लिए सबमरीन बेड़े की ताक़त और बढ़ानी होगी.
नौसेना ने 24 सबमरीन का लक्ष्य रखा
नौसेना ने 2030 तक 24 नई सबमरीनों का लक्ष्य रखा था, जिनमें से अभी तक केवल कलवरी ही नौसेना में शामिल हो पाई हैं. इसमें 6 कलवरी क्लास सबमरीन के अलावा विदेशी सहयोग यानि STRATEGIC PARTNERSHIP MODEL से बनने वाली 6 आधुनिक डीज़ल-इलेक्ट्रिक, 6 न्यूक्लियर अटैक सबमरीन और 6 बैलेस्टिक न्यूक्लियर सबमरीन की योजना थी. पूरी योजना ही काफ़ी देर से चल रही है. इसके अलावा नौसेना को पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के लिए फ़ाइटर जेट्स की ज़रूरत है. विक्रांत के दो साल में नौसेना में शामिल होने की संभावना है, लेकिन अब नौसेना को उसके लिए फ़ाइटर जेट्स का इंतज़ार है.