विदेशी हस्तियों के ट्वीट पर विदेश मंत्री S. Jaishankar का बयान, टूलकिट से बहुत कुछ सामने आया
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विदेशी हस्तियों के ट्वीट पर विदेश मंत्री S. Jaishankar का बयान, टूलकिट से बहुत कुछ सामने आया

किसान आंदोलन के नाम पर भारत को बदनाम करने की साजिश पर अपनी प्रक्रिया देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि टूलकिट केस से कई खुलासे हुए हैं. उसकी जांच जारी है. साथ ही लोगों से अपील है कि वो अनजान मुद्दों पर टिप्पणियां करने से बचें.

विदेशी हस्तियों के ट्वीट पर विदेश मंत्री S. Jaishankar का बयान, टूलकिट से बहुत कुछ सामने आया

नई दिल्ली: किसान आंदोलन (Farmers Protest) के नाम पर 'प्रोपेगेंडा' फैलाकर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की साजिश पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, 'टूलकिट केस ने काफी कुछ उजागर किया है और दिल्ली पुलिस इसकी जांच कर रही है. हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या सामने आता है.'

उन्होंने कहा कि मुद्दे की जानकारी के बिना कुछ सिलेब्रिटीज ने ट्वीट किया है. ये लोग स्पष्ट तौर पर भारत सरकार की कोशिशों के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं. इसीलिए मेरी अपील है कि ऐसे मामलों पर टिप्पणी से पहले तथ्यों को जांच लें और मुद्दों की उचित जानकारी हासिल कर लें. सिर्फ इंटरनेट पर ट्रेंडिंग हैशटैग को देख कमेंट करना उचित नहीं है और न ही जिम्मेदारीपूर्ण. इसलिए विषय की समझ होने पर ही अपनी राय रखें. 

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ग्रेटा थनबर्ग ने किया था ट्वीट

गौरतलब है कि पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) ने किसान आंदोलन (Farmers Protest) से जुड़ा जो डॉक्यूमेंट ट्वीट पर शेयर किया था, उसको पोएटिक फॉर जस्टिस (Poetic for Justice) ग्रुप ने तैयार किया था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पोएटिक फॉर जस्टिस के को-फाउंडर मो धालीवाल भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नजर में है. जानकारों के मुताबिक मो धालीवाल खालिस्तान समर्थक है और भारत के खिलाफ कई प्रदर्शन में शामिल हो चुका है.

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क्या होता है टूलकिट?

किसी भी आंदोलन को शुरू करने और फिर उसका दायरा बढ़ाने के लिए कुछ एक्‍शन पॉइंट्स तैयार किए जाते हैं. इन एक्‍शन पॉइंट्स को जिस दस्तावेज में दर्ज किया जाता है, उसे Tool Kit कहते हैं. यानी Tool Kit किसी भी आंदोलन की रणनीति का हिस्सा होता है, जिसे उन्हीं लोगों के बीच शेयर किया जाता है जिनकी मौजूदगी से आंदोलन का असर बढ़ाने में मदद मिल सकती है. करीब 15-20 साल पहले देश में जब कोई रैली, हड़ताल या फिर आंदोलन होता था, तब दीवारों पर पोस्टर चिपकाए जाते थे. उस वक्त पोस्टर ही Tool Kit की तरह काम करते थे. लेकिन अब वक्त बदल गया है. अब सोशल मीडिया पर हैशटैग के जरिए आंदोलन को पॉपुलर किया जाता है. Tool Kit में ये बताया जाता है कि लोग क्या लिख सकते हैं. कौन से हैशटैग यूज कर सकते हैं. किस दिन, किस वक्त ट्वीट्स या पोस्‍ट्स से फायदा होगा. कौन सी बात ट्वीट करनी है और क्या फेसबुक पर पोस्‍ट करना है, ये सब ToolKit में समझाया जाता है. उन्हें बताया जाता है कि कैसे प्रदर्शन करना है. 

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