ये है एशिया का सबसे बड़ा गांव, जहां हर घर में पैदा होते हैं वतन के रखवाले
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ये है एशिया का सबसे बड़ा गांव, जहां हर घर में पैदा होते हैं वतन के रखवाले

आज हम आपको एशिया के सबसे बड़े गांव के बारे में बताने जा रहे हैं. इस गांव की आबादी करीब डेढ़ लाख है. इस गांव को फौजिओं का गांव (village of army man) भी कहा जाता है, क्योंकि यहां के लगभग हर घर का एक सदस्य सेना से जुड़ा है.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. भारत कृषि प्रधान देश है. यहां की करीब 70 प्रतिशत आबादी गांव में रहती है. आज हम देश के सबसे बड़े गांव के बारे में बताएंगे. ये गांव केवल भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा गांव है. इस गांव को फौजिओं का गांव (village of army man) भी कहा जाता है, क्योंकि यहां के लगभग हर घर का एक सदस्य सेना से जुड़ा है.

  1. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में बसा है गांव
  2. गांव की आबादी है करीब डेढ़ लाख
  3. हर घर में है कोई न कोई सैनिक

1.50 लाख है गांव की आबादी

इस गांव को नाम है गहमर. ये उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में बसा हुआ है. ये गांव लगभग 8 वर्ग मील में फैला हुआ है. गाजीपुर से ये गांव करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है. इस गांव में रेलवे स्टेशन भी है, जो जो पटना और पं दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन से जुड़ा है. इस गांव की आबादी (Gahmar Population) करीब डेढ़ लाख है. गहमर 22 पट्टियों यानी टोलों में बंटा हुआ है. ऐतिहासिक दस्तावेज के अनुसार, वर्ष 1530 में सकरा डीह नामक स्थान पर कुसुम देव राव ने गहमर गांव बसाया था. प्रसिद्ध कामाख्या देवी मंदिर भी गहमर में ही है, जो पूर्वी यूपी व बिहार के लोगों के लिए आस्था का बड़ा केन्द्र है.

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फौजी बनना गांव की परम्परा बन चुकी है

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस गांव मे कई पीढ़ियों से देश सेवा के लिए फौजी बनना एक परम्परा बन चुकी है. गांव के 12 हजार से ज्यादा लोग भारतीय सेना में सैनिक से लेकर कर्नल तक के पदों पर तैनात हैं, जबकि 15 हजार से ज्यादा रिटायर्ड सैनिक यहां रहते हैं. गांववालों का कहना है कि गहमर गांव में देश सेवा की ये परम्परा प्रथम विश्व युद्ध से शुरू हुई थी, जो अब तक जारी है. गांव में कई ऐसे परिवार भी हैं, जिसमें दादा रिटायर्ड सैनिक हैं तो बेटा सेना का जवान. वहीं, पोता सैनिक बनने की जी तोड़ कोशिश में लगा है.

विश्वयुद्ध में भी गांव के सैनिकों ने लिया था भाग

प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध हो या 1965, 1971 का युद्ध या कारगिल की लड़ाई, इस गांव के फौजियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. विश्वयुद्ध के समय में अंग्रेजों की फौज में गहमर के 228 सैनिक शामिल थे. इनमें से 21 मारे गए थे. इनकी याद में गांव में एक शिलालेख भी लगा है. गहमर के रिटायर्ड सैनिकों ने 'पूर्व सैनिक सेवा समिति' नाम की एक संस्था बनाई है. गांव के युवक कुछ दूरी पर गंगा तट पर सुबह-शाम सेना की तैयारी करते नजर जाते हैं.

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गांव में हैं सारी सुविधाएं

आपको बचा दें, गहमर गांव में स्कूल-कॉलेज से लेकर तमाम तरह की सुविधायें उपलब्ध हैं. यहां डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज, उच्च विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय और हॉस्पिटल है. गहमर रेलवे स्टेशन पर कई ट्रेनें रुकती हैं, जिनसे रोजाना फौजी चढ़ते-उतरते हैं. पर्व-त्योहारों के मौके पर गांव में फौजियों की भारी संख्या को देखकर छावनी जैसा माहौल बन जाता है.

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