DNA Analysis: गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे का क्या होगा असर? कांग्रेस के सामने ये सबसे बड़ी चुनौती
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DNA Analysis: गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे का क्या होगा असर? कांग्रेस के सामने ये सबसे बड़ी चुनौती

DNA Analysis: साल 2014 के बाद से कांग्रेस पार्टी में बड़े नेताओं की Entry थम सी गई है और Exit गेट लगातार खुला ही हुआ है. 2014 के बाद से पार्टी छोड़कर गए कुछ बड़े नेताओं की लिस्ट देखी जाए तो इसमें सबसे नया नाम गुलाम नबी आजाद का है, जो करीब 50 साल से पार्टी से जुड़े रहे हैं. 

DNA Analysis: गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे का क्या होगा असर? कांग्रेस के सामने ये सबसे बड़ी चुनौती

DNA Analysis: वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस पार्टी को छोड़ना पार्टी के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि कांग्रेस का कहना है कि गुलाम नबी आजाद के जाने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा. वैसे अभी तक कांग्रेस के जितने दिग्गज नेता पार्टी छोड़कर गए हैं उसका खामियाजा काफी हद तक कांग्रेस को भुगतना पड़ा है. चाहे वो पंजाब में अमरिंदर सिंह का छोड़ना हो या असम में हिमंता विस्वा सरमा का, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया का जाना हो या उत्तर प्रदेश में जितिन प्रसाद का. कांग्रेस लगातार ऐसे नेताओं को छोड़ने की वजह से कमजोर होती गई है. ऐसे में आज आपको ये समझना चाहिए कि गुलाम नबी आजाद के जाने से कांग्रेस पर क्या असर होगा.

कांग्रेस होगी और कमजोर?

गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता है. ऐसे में जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस पार्टी कमजोर हो सकती है और इसका सीधा फायदा दूसरी पार्टियों को होगा. गुलाब नबी आजाद कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के गुट G23 के नेता रहे हैं. इस गुट के एक और नेता कपिल सिब्बल पार्टी छोड़ चुके हैं. ऐसे में बाकी असंतुष्ट नेता भी कांग्रेस पार्टी छोड़ने का मन बना सकते हैं. गुलाम नबी आजाद राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी नेताओं में वरिष्ठ और सर्वमान्य नेता हैं. बीजेपी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन बनाने में एक अहम सूत्रधार रहे हैं, फिलहाल के लिए तो ये खत्म हो चुका है.

आज से 63 साल पहले एक फिल्म आई थी इसका नाम था कागज के फूल. उसका एक गाना काफी मशहूर हुआ, जिसके बोल थे, 'ये खेल है कब से जारी, बिछड़े सभी बारी-बारी...' आज कांग्रेस के लिए गाने के ये बोल बिल्कुल सटीक लग रहे हैं. बीते कुछ वर्षों में कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी को अलविदा कर चुके हैं और यह पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी है. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2014 और 2021 के बीच हुए चुनावों के दौरान 222 उम्मीदवारों ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी. इसी दौरान 177 सांसदों और विधायकों ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया.

पार्टी छोड़ने वालों की लंबी लिस्ट

आजादी के बाद से ही कांग्रेस पार्टी से नेताओं का जाना और आना लगातार जारी रहा है. लेकिन बीते 2014 के बाद से कांग्रेस पार्टी में बड़े नेताओं की Entry थम सी गई है और Exit गेट लगातार खुला ही हुआ है. 2014 के बाद से पार्टी छोड़कर गए कुछ बड़े नेताओं की लिस्ट देखी जाए तो इसमें सबसे नया नाम गुलाम नबी आजाद का है, जो करीब 50 साल से पार्टी से जुड़े रहे हैं. ये कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शामिल रहे हैं. इसके अलावा कपिल सिब्बल, कांग्रेस को छोड़कर समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सदस्य हैं. इसके अलावा अमरिंदर सिंह ने अपनी नई पार्टी बना ली है और बीजेपी के साथ उनका गठबंधन है. RPN सिंह बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया जो कभी राहुल गांधी के बेहद करीबी थे, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और अभी केंद्रीय मंत्री हैं.

इसी तरह हिमंता विस्वा सरमा बीजेपी में हैं और अभी असम के मुख्यमंत्री हैं. उत्तर प्रदेश के बड़े नेता जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में मंत्री हैं. हार्दिक पटेल इसी साल कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में आ चुके हैं और अश्विनी कुमार ने भी इसी साल कांग्रेस को अलविदा कहा है. कांग्रेस, बीजेपी के बाद अकेली ऐसी पार्टी है जिसका संगठन पूरे हिंदुस्तान में सक्रिय है. लेकिन इस पार्टी से छोड़ने वाले नेता भी पूरे हिंदुस्तान से हैं.

दूसरों दलों में सबको मिला सम्मान

अभी हमने आपको कांग्रेस छोड़ने वाले कुछ बड़े नेताओं के बारे में बताया. अब हम आपको कुछ ऐसे कांग्रेसी नेता के बार में बताते हैं, जो पार्टी के पहचान रहे हैं, लेकिन उन्होंने भी कांग्रेस के EXIT गेट को चुना. इसी हफ्ते कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कांग्रेस पार्टी छोड़ी. पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी कांग्रेस को अलविदा कर दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. मनमोहन सरकार में मंत्री रही जयंती नटराजन कांग्रेस छोड़ चुकी है. महाराष्ट्र के बड़े नेता नारायण राणे भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं. प्रणव मुखर्जी के बेटे और कांग्रेस के पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी भी कांग्रेस छोड़ चुके हैं. कांग्रेस की प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी भी कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल हो चुकी हैं, वो अब शिवसेना से सांसद हैं.

वैसे आम जिंदगी में जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी से इस्तीफा देता है, तो ये बताता हैं वो उस कंपनी को छोड़कर क्यों जा रहा है. वो कोशिश करता है कि अच्छी यादों के साथ जाए. इसलिए अक्सर इसका bye-bye letter या तो positive होता है या फिर neutral होता है. वैसे राजनीति में संन्यास लेने की परंपरा तो नहीं है लेकिन पार्टी को छोड़ना और नई पार्टी से जुड़ना लगा रहता है. कांग्रेस छोड़ने वाले नेता पार्टी छोड़ने का जो कारण बताते हैं, वो आज हम आपको बताना चाहते हैं.

क्यों कांग्रेस छोड़ रहे नेता?

गुलाम नबी आजाद की बात करें तो उन्होंने पार्टी छोड़ने का कारण यही बताया है कि पार्टी वरिष्ठ नेता नहीं बल्कि चापलूस लोग चला रहे हैं. हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ते वक्त कहा था कि कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति की वजह से पार्टी छोड़ रहा हूं. असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा ने कांग्रेस छोड़ते वक्त कहा था कि वो राहुल गांधी के काम करने के तरीके की वजह से पार्टी छोड़ रहे हैं. पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी कांग्रेस छोड़ते वक्त कहा कि वो हाईकमान वाली राजनीति से परेशान थे. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ते समय कहा था कि वो कांग्रेस में रहते हुए लोगों की सेवा नहीं कर पा रहे थे. अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस को छोड़कर जब नई पार्टी बनाई थी, तब उनका कहना था कि वो राहुल गांधी के काम करने के तरीके की वजह से पार्टी छोड़ रहे हैं.

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