Deep Fake Content: आर्टिफिशियल इंटेलिजेस और डीप फेक कंटेंट के गलत इस्तेमाल के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. हालांकि कोर्ट ने अपनी ओर से इस मसले पर कोई दिशानिर्देश जारी करने पर असमर्थता जताई है. कोर्ट ने कहा कि ये मसला बहुत जटिल है.
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Deep Fake Content: आर्टिफिशियल इंटेलिजेस और डीप फेक कंटेंट के गलत इस्तेमाल के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. हालांकि कोर्ट ने अपनी ओर से इस मसले पर कोई दिशानिर्देश जारी करने पर असमर्थता जताई है. कोर्ट ने कहा कि ये मसला बहुत जटिल है. कुछ क्षेत्र में इस तकनीक का फायदा भी मिलता रहा है. इस पर कोई भी फैसला लेने के लिए गहन विचार विमर्श की जरुरत है. सरकार ही अपने स्तर पर कोई फैसला ले सकती है. मामले पर सरकार ने भी कोर्ट में अपना पक्ष रखा है.
क्या है डीप फेक
डीप फेक वीडियो या फोटोग्राफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ऐसा इस्तेमाल है, जिसमें किसी शख्स की आवाज और फोटोग्राफ को इस तरह से एडिट किया जाता है कि वो असली लगे. यानी ये ऐसे वीडियो होते हैं, जिसमें किसी अन्य शख्स को वो बोलते या करते दिखाया जाता है, जो उस शख्स ने असल में किया या बोला ही नहीं. इसका इस्तेमाल मनोरंजन से लेकर धोखाधड़ी, गलत सूचनाएं फैलाने और लोगों की छवि धूमिल करने में किया जाता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले समय में जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी और ज्यादा सुलभ होगी, इसके गलत इस्तेमाल की आशंकाए भी बढ़ जाएगी. हाल ही में अभिनेत्री रश्मिका मंदाना भी डीप फेक का शिकार हुईं थीं.
कोर्ट में दायर याचिका में मांग
दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में कोर्ट से मांग की गई थी कि वो उन तमाम बेवसाइट को ब्लॉक करने का निर्देश दे, जिनके जरिये डीप फेक कंटेंट बनाया जा सकता है. इसके साथ ही याचिका में लोगों के मूल अधिकारों का हवाला देते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश बनाये जाने की मांग भी की गई थी. याचिकाकर्ता की ओर से वकील मनोहर लाल ने कहा कि जब तक सरकार कोई कानून लाती है, इस मामले में कोर्ट को कम से कम कुछ दिशानिर्देश जारी कर देने चाहिए. जिससे इसका गलत इस्तेमाल करने वालो को जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके.
कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई ने दौरान कोर्ट ने कहा कि जब टेक्नोलॉजी के चलते पूरी दुनिया एक परिवार में बदल गई है तो आप इंटरनेट में कैसे नियंत्रण रख सकते हैं.अगर ज्यादा सख्त कदम उठाएंगे तो इंटरनेट की आजादी ही खत्म हो जाएगी. ऐसे में एक ऐसे समाधान की जरुरत है ताकि सबके हितों की रक्षा हो सके. सरकार ही अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर कोई संतुलित फैसला ले सकती है. सरकार के पास डेटा है, मशीनरी है, वो बेहतर फैसला ले सकती है. ये कोई सरल मसला नहीं है, जटिल मसला है. कई जगह इसके सकारात्मक इस्तेमाल भी हो रहे हैं. मसलन वॉर फिल्म में.
सरकार ने बताया ऐक्शन प्लान
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से वकील अपूर्व कुमार ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सरकार इस मसले पर गंभीरता से विचार कर रही है. वकील ने कहा कि सरकार पहले ही इस पर गंभीर चिंता जताते हुए, इसके समाधान की जरूरत जाहिर कर चुकी है. ये सब बातें पहले से पब्लिक डोमेन में हैं. मुझे इस पर सरकार की ओर से निर्देश लेने के लिए वक्त चाहिए. कोर्ट ने इस आग्रह को स्वीकार करते हुए सुनवाई 8 जनवरी के लिए टाल दी.