कोरोना को लेकर केंद्र सरकार ने देश के 170 जिलों को रेड जोन की सूची में शामिल किया है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) से निपटने के लिए सरकार ने देश के सभी जिलों को तीन जोन में बांटा है. ये हैं रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन. जहां सबसे ज्यादा कोरोना के केस हैं उन्हें रेड जोन में रखा गया और जहां कोरोना के मामले ना के बराबर हैं ऐसे जिलों को ग्रीन जोन में रखा गया है. ऐसे में 20 अप्रैल के बाद ग्रीन जोन में आने वाले जिलों को संभावित रूप से लॉकडाउन में छूट मिल सकती है.
जी हां, क्योंकि प्रधानमंत्री अपने भाषण में कह चुके हैं कि 20 अप्रैल तक ऐसे जिलों का तमाम कसौटियों पर आकलन किया जाएगा और जहां के हालात जैसे होंगे वहां पर छूट दी जाएगी.
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क्या है रेड जोन
कोरोना को लेकर केंद्र सरकार ने देश के 170 जिलों को रेड जोन की सूची में शामिल किया है. इन जिलों में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. रेड जोन के तहत इनको हॉटस्पॉट घोषित किया गया है. 170 जिलों में से कुछ ऐसे जिले भी हैं जहां कोरोना का आउटब्रेक हुआ है. ऐसे 123 जिले हैं.
रेड जोन वाले इलाकों में घर-घर कोरोना के संदिग्ध मरीजों की जांच की जाती है और जिले के प्रभावित इलाके को सील कर दिया जाता है. किसी को आने-जाने की इजाजत नहीं होती है. लेकिन बफर जोन में जरूरी सेवाओं की छूट होती है. बफर जोन में सर्दी-खांसी, जुकाम और बुखार की शिकायत वाले लोगों की कोरोना जांच की जाती है. बफर जोन प्रभावित इलाके से नजदीकी इलाके को कहते हैं. यानि जिन जिलों को रेड जोन में शामिल किया गया है उन जिलों के कोरोना प्रभावित इलाकों में कड़ी पाबंदी रहेगी लेकिन जिले के बाकी इलाकों में थोड़ी बहुत छूट मिल सकेगी. लेकिन स्थिति को देखते हुए स्थानीय प्रशासन पर निर्भर करता है कि लोगों को क्या-क्या राहत मिलेगी.
ऑरेंज जोन क्या है
ऑरेंज जोन उन इलाकों की श्रेणी में हैं जहां न तो क्लस्टर है और न ही कोरोना का आउटब्रेक हुआ है. हां यहां पर कोरोना के कुछ केस जरूर पाए गए हैं. ऑरेंज जोन में वो इलाके हैं जहां पर कोरोना के एक या दो मामले सामने आ रहे हैं यानी बड़े पैमाने पर उन इलाकों में संक्रमण नहीं है.
ग्रीन जोन का मतलब
ग्रीन जोन की सूची में वो जिले या इलाके हैं जो संक्रमण मुक्त हैं. सरकार की कोशिश है कि जो जिले या इलाके ग्रीन जोन में हैं वहां संक्रमण न फैले. देश में कुल 736 जिले हैं इनमें से 400 जिले में संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं. उनमें से जिन जिलों में आउटब्रेक हुआ है उनको रेड जोन में शामिल किया जा चुका है और उनकी संख्या 170 है.
कब होते हैं रेड से ऑरेंज और ग्रीन?
रेड जोन वाले जिले ऑरेंज जोन की सूची में तब दर्ज किए जाते हैं जब उसमें 14 दिनों में कोई नया केस न आया हो. उसी तरह ऑरेंज जोन ग्रीन में तब तब्दील होता है जब वहां पर 14 दिन में कोई नया केस न दर्ज हुआ हो. इसका मतलब यह है कि रेड जोन को ग्रीन में बदलने में 28 दिन का वक्त लग सकता है.
ग्रीन जोन को मिल सकती है लॉकडाउन से राहत!
जो जिले ग्रीन जोन में हैं यानी जहां कोरोना का एक भी केस दर्ज नहीं हुआ है और वहां कोई केस नहीं आया तो उन्हें 20 अप्रैल के बाद छूट दी जा सकती है. लेकिन ये छूट शर्तों के आधार पर होगी जिसमें स्थानीय प्रशासन का अहम रोल होगा. आपको यह भी बता दें कि केंद्र सरकार की एजेंसियां राज्यों के साथ तालमेल बनाकर इन तमाम जिलों का लगातार आकलन कर रही हैं और यदि ग्रीन जोन के जिलों में आगे कोई मामला नहीं सामने आता है तो इन इलाकों को लॉकडाउन से बड़ी राहत मिल सकती है.