मानें या ना मानें, लेकिन हर साल भारतीय ज्योतिषी एक भविष्यवाणी करते हैं जो हमेशा सही निकलती है.
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नई दिल्ली: मानें या ना मानें, लेकिन हर साल भारतीय ज्योतिषी एक भविष्यवाणी करते हैं जो हमेशा सही निकलती है. यह भविष्यवाणी ग्रीष्म ऋतु में विशेष दिनों में गर्मी, बारिश और आंधी की होती है. जिन दिनों की बात हम कर रहे हैं उसे नौतपा कहते हैं. नौतपा 9 दिन का होता है. जिस दिन से ये शुरू होता है उस दिन से गर्मी बड़ी तेज़ पड़ती है विशेषकर मध्य और उत्तर भारत में. फिर बीच में थोड़ी बारिश होती है. फिर उमस बढ़ती है, फिर आंधी आती है.
इस साल नौतपा 25 मई से शुरू हुआ है. भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रह नक्षत्रों की सूर्य के सापेक्ष पोजिशनिंग की गणना करने वाले ज्योतिष शास्त्री बिना मेट्रोलॉजी डिपार्टमेंट के ही बहुत पहले ही ये बता देते हैं कि कैसा मौसम होगा, कैसी बारिश होगी. 25 मई की गर्मी की भविष्यवाणी की तस्दीक अलग-अलग जगह के तापमान और लू चलने एवं तापमान के रिकॉर्ड टूटने की खबरों से हो जाती है.
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नौतपा और प्रचंड गर्मी
इस संदर्भ में पंडित अमर डिब्बावाला त्रिवेदी कहते हैं कि नौतपा में ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है और वृष राशि के 10-20 डिग्री के बीच रहता है. सूर्य का कृतिका नक्षत्र से रोहिणी में प्रवेश 24 मई की आधी रात को हो चुका है. रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा के अधीन होता है और चंद्रमा शीतलता का कारक होता है लेकिन सूर्य के उसके अंदर आ जाने से डिस्टरबेंस होता है और सूर्य की किरणें ज्यादा हीट पैदा कर देती है.
इस बार सूर्य का रोहिणी में परिभ्रमण 7 जून तक रहेगा, लेकिन नौतपा केवल 2 जून तक रहेगा. 1-2 जून को आंधी के साथ बारिश होगी. नौतपा में सूर्य, पृथ्वी के ज्यादा पास रहता है और उसकी किरणें लंबवत रूप से कर्क रेखा पर पड़ती हैं. इस दौरान पृथ्वी की चुंबकीय प्लेट सीधी सूर्य के संपर्क में रहती है, इससे हीटवेव पैदा होती है.
जितनी ज्यादा गर्मी नौतपा में होगी उतनी ज्यादा संभावना मानसून के मौसम में अच्छी बारिश की रहती है. नौतपा के बाद ही सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन की तरफ जाने के लिए तैयार होते हैं. चंद्रमा के आर्द्रा नक्षत्र में रहने पर 10 नक्षत्रों में परिभ्रमण पर भी नौतपा होता है.
इस बार के नौतपा में 31 मई को शुक्र ग्रह के तारे का अस्त हो रहा है. इससे बारिश की संभावना है, यह तारा 9 जून को उदय होगा. इस पूरी प्रोसेस से वर्षा चक्र तैयार होता है. पंडित डिब्बावाला के अनुसार अग्नि पुराण और मेदिनी ज्योतिष शास्त्र के आधार पर भारतीय ज्योतिष शास्त्री जलवायु और मौसम के बारे में बहुत सारे पूर्व अनुमान लगा लेते हैं.