‘असहिष्णुता’ के खिलाफ इतिहासकार हुए विरोध में शामिल; मोदी सरकार पर साधा निशाना, भार्गव लौटाएंगे पद्म पुरस्कार
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‘असहिष्णुता’ के खिलाफ इतिहासकार हुए विरोध में शामिल; मोदी सरकार पर साधा निशाना, भार्गव लौटाएंगे पद्म पुरस्कार

‘असहिष्णुता के माहौल’ के खिलाफ बढ़ते विरोध में इतिहासकार भी लेखकों, फिल्मकारों और वैज्ञानिकों के साथ शामिल हो गए। इस कड़ी में शीर्ष वैज्ञानिक पीएम भार्गव ने कहा कि वह अपना पद्म भूषण पुरस्कार लौटाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार भारत को एक ‘हिन्दू धार्मिक निरंकुश तंत्र’ में बदलने की कोशिश कर रही है। बुद्धिजीवियों के विरोध प्रदर्शनों की लहर में वैज्ञानिकों के दूसरे समूह के शामिल होने के बीच रोमिला थापर, इरफान हबीब, केएन पन्निकर और मृदुला मुखर्जी सहित 53 इतिहासकारों ने देश में ‘अत्यंत खराब माहौल’ से उत्पन्न चिंताओं पर कोई ‘आश्वासनकारी बयान’ न देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला।

‘असहिष्णुता’ के खिलाफ इतिहासकार हुए विरोध में शामिल; मोदी सरकार पर साधा निशाना, भार्गव लौटाएंगे पद्म पुरस्कार

नई दिल्ली : ‘असहिष्णुता के माहौल’ के खिलाफ बढ़ते विरोध में इतिहासकार भी लेखकों, फिल्मकारों और वैज्ञानिकों के साथ शामिल हो गए। इस कड़ी में शीर्ष वैज्ञानिक पीएम भार्गव ने कहा कि वह अपना पद्म भूषण पुरस्कार लौटाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार भारत को एक ‘हिन्दू धार्मिक निरंकुश तंत्र’ में बदलने की कोशिश कर रही है। बुद्धिजीवियों के विरोध प्रदर्शनों की लहर में वैज्ञानिकों के दूसरे समूह के शामिल होने के बीच रोमिला थापर, इरफान हबीब, केएन पन्निकर और मृदुला मुखर्जी सहित 53 इतिहासकारों ने देश में ‘अत्यंत खराब माहौल’ से उत्पन्न चिंताओं पर कोई ‘आश्वासनकारी बयान’ न देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला।

इतिहासकारों ने अपने बयान में दादरी घटना और मुंबई में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम को लेकर सुधींद्र कुलकर्णी पर स्याही फेंके जाने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि वैचारिक मतभेदों पर शारीरिक हिंसा का सहारा लिया जा रहा है । तर्कों का जवाब तर्क से नहीं दिया जा रहा, बल्कि गोलियों से दिया जा रहा है। इसमें कहा गया कि जब एक के बाद एक लेखक विरोध में अपने पुरस्कार लौटा रहे हैं, ऐसे में उन स्थितियों के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की जा रही जिनके चलते विरोध की नौबत आई, इसके स्थान पर मंत्री इसे कागजी क्रांति कहते हैं और लेखकों को लिखना बंद करने की सलाह देते हैं । यह तो यह कहने के समान हो गया कि यदि बुद्धिजीवियों ने विरोध किया तो उन्हें चुप करा दिया जाएगा।

हैदराबाद में कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मोलिक्यूलर बायोलॉजी) की स्थापना करने वाले भार्गव ने कहा कि 1986 में मिले अपने पुरस्कार को वह लौटाएंगे क्योंकि उन्हें महसूस हो रहा है कि देश में ‘डर का माहौल’ है और यह तर्कवाद, तार्किकता और वैज्ञानिक सोच के खिलाफ है। भार्गव ने कहा कि मैंने पुरस्कार लौटाने का निर्णय लिया है। इसका कारण यह है कि वर्तमान सरकार लोकतंत्र के रास्ते से दूर जा रही है और देश को पाकिस्तान की तरह हिंदू धार्मिक निरंकुशतंत्र में बदलने की ओर अग्रसर है। यह स्वीकार्य नहीं है, मैं इसे अस्वीकार्य मानता हूं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई पदों पर उन लोगों की नियुक्ति की गई, जिनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई न कोई संबंध था।

भार्गव ने मोदी सरकार पर वादे पूरे नहीं करने का भी आरोप लगाया और कहा कि एक वैज्ञानिक के तौर पर मैं सिर्फ पुरस्कार ही लौटा सकता हूं। उन्होंने कहा कि भाजपा संघ का राजनीतिक मुखौटा है, स्वामी संघ ही है। वहां सीएसआईआर के निदेशकों की एक बैठक थी और उसमें संघ के लोग शामिल हुए। सीएसआईआर के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। मैं अपना पुरस्कार अगले हफ्ते लौटाउंगा। भार्गव का निर्णय ऐसे समय में आया है जब वह उन वैज्ञानिकों के दूसरे समूह में शामिल हो गए जिन्होंने देश में ‘असहिष्णुता के माहौल’ को लेकर ऑनलाइन बयान में चिंता जताई। भार्गव समेत अन्य पद्म भूषण पुरस्कार प्राप्त अशोक सेन, पी बलराम, एम रघुनाथन और पद्मश्री प्राप्त डी बालसुब्रमण्यन सहित वैज्ञानिकों और अकादिमकों ने कहा कि असहिष्णुता और तर्क के निरादर का माहौल उसी तरह का है जिसकी वजह से दादरी में मोहम्मद अखलाक सैफी को भीड़ ने मार डाला, प्रोफेसर कलबुर्गी, डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर और श्री गोविंद पनसारे की हत्या हुई।

उन्होंने सरकार के ‘महत्वपूर्ण पदाधिकारियों’ द्वारा अतार्किक और सांप्रदायिक सोच’’ को ‘बढ़ावा देने’ का विरोध किया। हालांकि केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने पुरस्कार लौटाने वालों पर जवाबी हमला करते हुए कहा कि पुरस्कार लौटाने वालों में अधिकतर ‘कट्टर भाजपा विरोधी तत्व’ हैं।’ उन्होंने इसे ‘सोचा समझा विरोध’ करार दिया। पटना में जेटली ने कहा कि आप उनके ट्वीट और विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर रूख को देखें। आप उनके भीतर काफी हद तक कट्टर भाजपा विरोधी तत्व पाएंगे। उन्होंने कहा कि मैं पहले ही इसे सोचा समझा विरोध बता चुका हूं। मैं अपनी बात पर कायम हूं। मेरा मानना है कि जिस तरह से यह सब खुलासे हो रहे हैं, यह इस बात की ओर इशारा करते हैं कि इस तरह के विरोध का निर्माण तेज गति से चल रहा है।

 

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