DNA Analysis: डॉ राजेंद्र प्रसाद को पसंद नहीं करते थे नेहरू? इस शख्सियत को बनाना चाहते थे भारत का पहला राष्ट्रपति
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DNA Analysis: डॉ राजेंद्र प्रसाद को पसंद नहीं करते थे नेहरू? इस शख्सियत को बनाना चाहते थे भारत का पहला राष्ट्रपति

History of First President of India: क्या जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्रता आंदोलन के नेता डॉ राजेंद्र प्रसाद को देश का पहला राष्ट्रपति नहीं बनाना चाहते थे. उनकी जगह उनकी राष्ट्रपति पद की पसंद कौन थे. इस बारे में अहम खुलासा हुआ है. 

DNA Analysis: डॉ राजेंद्र प्रसाद को पसंद नहीं करते थे नेहरू? इस शख्सियत को बनाना चाहते थे भारत का पहला राष्ट्रपति

History of First President of India: ओडिशा के साधारण आदिवासी समाज से आने वाली द्रोपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बनने जा रही हैं. ऐसे में आज हम भारत के पहले राष्ट्रपति चुनाव की कहानी भी बताना चाहते हैं. इस कहानी की मदद से आप ये समझ पाएंगे कि भारत में राजनीतिक परम्पराएं अब कैसे बदल गई हैं. ये बात तो आप सब जानते हैं कि डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad) भारत के पहले राष्ट्रपति थे. लेकिन क्या आपको पता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति बनाने के खिलाफ थे.

खुद को 'लिबरल' दिखाना चाहते थे नेहरू

असल में जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) पश्चिमी देशों से काफी प्रभावित थे. वो खुद को एक लिबरल यानी उदारवादी नेता के रूप में देखते थे. जबकि डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की छवि एक हिन्दू नेता की थी. उन्होंने बाद में हिन्दू कोड बिल और सोमनाथ मन्दिर के पुननिर्माण के मुद्दे पर जवाहर लाल नेहरू का ज़बरदस्त विरोध भी किया था. नेहरू इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि अगर डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad) देश के पहले राष्ट्रपति बन गए तो वो उनके रबर स्टैम्प कभी नहीं बनेंगे. इसलिए नेहरू ने तय किया कि वो सी. राजगोपालाचारी (C Rajagopalachari) को भारत का पहला राष्ट्रपति बनाएंगे. 

इसके दो बड़े कारण थे. पहला सी. राजगोपालाचारी उस समय भारत के पहले Governor-General के रूप में काम कर रहे थे. दूसरा उनके सैद्धांतिक विचार भी नेहरू से काफी मिलते थे. हालांकि कांग्रेस के नेताओं में उन्हें लेकर राय बंटी हुई थी. कुछ नेता तो सीधे तौर पर उनका विरोध कर रहे थे.

सी. राजगोपालाचारी को पहला राष्ट्रपति बनाने की चाहत

उनका कहना था कि सी. राजगोपालाचारी (C Rajagopalachari) ने ब्रिटिश हुकूमत के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लिए भारत छोड़ो आन्दोलन को बीच में ही छोड़ दिया था, इसलिए उन्हें आजाद भारत का पहला राष्ट्रपति नहीं बनाना चाहिए. लेकिन नेहरू इस बात पर अड़े हुए थे कि सी. राजगोपालाचारी ही देश के पहले राष्ट्रपति बनने चाहिए. जबकि देश के पहले गृह मंत्री सरदार सरदार वल्लभभाई पटेल डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad) को राष्ट्रपति बनाना चाहते थे.

भारत के पूर्व Intelligence Officer आर.एन.पी सिंह ने एक पुस्तक लिखी थी, जिसका शीर्षक है, Nehru A Troubled Legacy . इसमें बताया गया है कि नेहरू ने राष्ट्रपति चुनाव से पहले 10 सितम्बर 1949 को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को एक चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को ये कहा था कि नेहरू और सरदार पटेल के बीच बातचीत हो गई है और राष्ट्रपति पद के लिए सी. राजगोपालाचारी (C Rajagopalachari) का नाम तय हुआ है.

अपनी ख्वाहिश पूरी करने के लिए लेटर में लिखा झूठ

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad) ने जब ये चिट्ठी सरदार वल्लभभाई पटेल को भेजी तो ये खुलासा हुआ कि सी. राजगोपालाचारी को राष्ट्रपति बनाने के लिए नेहरू और सरदार पटेल के बीच कभी कोई बातचीत हुई ही नहीं थी. यानी इस पुस्तक के मुताबिक ऐसा दावा किया जाता है कि नेहरू ने तब अपनी चिट्ठी में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को झूठ बोला था. जब इस झूठ से पर्दा उठा तो नेहरू (Jawaharlal Nehru) को मजबूरन बैकफुट पर आना पड़ा और इस तरह डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का नाम भारत के पहले राष्ट्रपति के लिए फाइनल हुआ.

सी. राजगोपालाचारी (C Rajagopalachari) भले नेहरू की पसन्द होते हुए भी देश के पहले राष्ट्रपति नहीं बने लेकिन उनसे जुड़ी एक दिलचस्प जानकारी ये है कि वो भारत के पहले ऐसा नेता थे, जो Governor-General नियुक्त होकर राष्ट्रपति भवन में रहने के लिए गए थे.

भारत के पहले गवर्नर जनरल थे राजगोपालाचारी

उन्हें वर्ष 1948 में देश का पहला Governor-General नियुक्त किया गया था. इस पद को सम्भालने के बाद उन्हें मौजूदा राष्ट्रपति भवन में जाकर रहना था. जब वो राष्ट्रपति भवन में रहने के लिए आए और उन्हें ये बताया गया कि अब से वो इस भवन के उस कमरे में रहेंगे, जहां ब्रिटिश Viceroy रहते थे तो वो काफ़ी घबरा गए. दरअसल राष्ट्रपति भवन का ये कमरा बहुत भव्य और आलीशान था और सी. राजगोपालाचारी (C Rajagopalachari) बहुत साधारण तरीके से रहना पसंद करते थे.

इसलिए उन्हें लगा कि वो इस कमरे में कैसे रह सकते हैं. उन्होंने इस कमरे की जगह राष्ट्रपति भवन के एक दूसरे छोटे कमरे में रहने का फैसला किया. उनके बाद से इस भवन में जितने भी राष्ट्रपति रहने के लिए आए, उन्होंने कभी उस आलीशान कमरे में शिफ्ट होने की इच्छा नहीं जताई. आज वायसराय के उस भव्य कमरे का इस्तेमाल Guest Room के तौर पर होता है, जहां दूसरे देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भारत दौरे के दौरान रुकते हैं.

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