पैसे कमाने की मशीन बन गए हैं अस्पताल, बेहतर होगा ऐसे हॉस्पिटल बंद कर दिए जाएं: Supreme Court
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पैसे कमाने की मशीन बन गए हैं अस्पताल, बेहतर होगा ऐसे हॉस्पिटल बंद कर दिए जाएं: Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार को कड़ी फटकार लगाई. साथ ही कहा कि हॉस्पिटल बड़े उद्योग बन गए हैं. अस्पताल आजकल पैसा कमाने की मशीन बन गए हैं, जिन्हें राज्य सरकार को बंद कर देना चाहिए. 

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो).

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि अस्पताल बड़े उद्योग बन गए हैं, और यह सब मानव जीवन को संकट में डालकर हो रहा है. प्राइवेट अस्पतालों (Private Hospitals) को छोटे आवासीय भवनों से संचालित करने की अनुमति देने के बजाय राज्य सरकारें बेहतर अस्पताल प्रदान कर सकती हैं. 

  1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पैसा कमाने की मशीन बन गए हैं अस्पताल
  2. सरकार को जगह देने की बजाय बंद कर देने चाहिए ऐसे हॉस्पिटल
  3. आगजनी मामले में SC ने गुजरात सरकार को लगाई फटकार

'ऐसे अस्पतालों को बंद कर देना चाहिए'

जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एम.आर. शाह की पीठ ने कहा कि, 'अस्पताल बड़े उद्योग बन गए हैं. हम उन्हें जीवन की कीमत पर समृद्ध नहीं होने दे सकते. बेहतर होगा ऐसे अस्पतालों को बंद कर दिया जाए.' पीठ ने भवन उपयोग अनुमति के संबंध में अस्पतालों के लिए समय सीमा बढ़ाने के लिए गुजरात सरकार (Gujarat Govt) की खिंचाई की. 

SC ने गुजरात सरकार को लगाई फटकार

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट गुजरात के अस्पतालों में आगजनी के मामले पर सुनवाई कर रहा था. अदालत ने भवन उपयोग अनुमति के संबंध में अस्पतालों के लिए समय सीमा जून, 2022 तक बढ़ाने को लेकर गुजरात सरकार की जमकर खिंचाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार से अस्पतालों को छूट देने वाली इस अधिसूचना को वापस लेने को कहा. पीठ ने कहा कि एक मरीज जो कोविड से ठीक हो गया था और उसे अगले दिन छुट्टी दी जानी थी, परंतु आग लगने से उसकी मौत हो गई और दो नर्सें भी जिंदा जल गईं. पीठ ने कहा कि ये मानवीय त्रासदी हैं, जो हमारी आंखों के सामने हुआ. फिर भी हम इन अस्पतालों के लिए समय बढ़ाते हैं.

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पैसा कमाने की मशीन बने अस्पताल: SC

कोर्ट ने कहा कि अस्पताल एक रियल एस्टेट उद्योग बन गए हैं, और संकट में मरीजों को सहायता प्रदान करने के बजाय यह व्यापक रूप से महसूस किया गया कि वे पैसे कमाने की मशीन बन गए हैं. जज चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि नर्सिंग होम की खामियों को माफ करने का कोई मतलब नहीं है. एक सरकारी अधिसूचना का उल्लेख करते हुए कि अस्पतालों को जून 2022 तक गाइडलाइन का पालन नहीं करना है, पीठ ने कहा कि एक बार जब परमादेश जारी कर दिया गया हो तो उसे इस तरह की एक कार्यकारी अधिसूचना द्वारा ओवरराइड नहीं किया जा सकता है. आपका कहना है कि अस्पतालों को जून, 2022 तक आदेश का पालन नहीं करना है और तब तक लोग मरते और जलते रहेंगे.

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जब कोर्ट ने पूछा- क्या ये कोई परमाणु रहस्य है

शीर्ष अदालत ने अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के मुद्दे पर एक आयोग की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में दायर करने पर भी नाराजगी जताई. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सीलबंद लिफाफे में आयोग की यह कौन सी रिपोर्ट है? यह कोई परमाणु रहस्य नहीं है. पिछले साल दिसंबर में, अदालत ने केंद्र को अस्पतालों में किए गए अग्नि सुरक्षा ऑडिट पर सभी राज्यों से डेटा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. 

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दो हफ्ते बाद होगी आगे की सुनवाई

अदालत ने उल्लेख किया कि हालांकि विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने उपाय किए हैं और निरीक्षण किए हैं, मगर फिर भी आगे के ऑडिट की आवश्यकता है और राज्य सरकार को प्रत्येक जिले में महीने में कम से कम एक बार प्रत्येक कोविड अस्पताल का अग्नि ऑडिट करने के लिए एक समिति गठित करने के लिए कहा. पीठ ने मामले को दो सप्ताह बाद आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. न्यायालय राजकोट और अहमदाबाद में हुई आगजनी की घटनाओं के बाद देश भर के कोविड-19 अस्पतालों में आग की त्रासदियों से संबंधित एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रहा था.

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