पीएम मोदी के फैसले ने बदली 2 करोड़ लोगों की जिंदगी, वरदान साबित हुआ ये कानून
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पीएम मोदी के फैसले ने बदली 2 करोड़ लोगों की जिंदगी, वरदान साबित हुआ ये कानून

Citizenship Amendment Act: पाकिस्तान से आए शरणार्थी बताते हैं कि पाकिस्तान में पक्का मकान था लेकिन सुरक्षित नहीं थे. यहां झोपड़ी में रहते लेकिन फिर भी अपने आपको सेफ समझते हैं.

नागरिकता संशोधन कानून.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के इस फैसले से उन शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता की ताकत दी है, जिन्हें पड़ोसी देश पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और अफगानिस्तान (Afghanistan) में अल्पसंख्यक होने की सजा मिली, जिन पर गैर-मुस्लिम होने की वजह से अत्याचार हुए और जो लोग अपना घर, अपना मुल्क छोड़कर भारत आने के लिए मजबूर हो गए.

  1. भारत में बहू-बेटियों की इज्जत महफूज- पाकिस्तानी शरणार्थी
  2. 10 जनवरी 2020 को प्रभावी हुआ सीएए कानून
  3. पासपोर्ट रिन्यू कराने में हो रही परेशानी- पाकिस्तानी शरणार्थी

पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार

इन दिनों भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के मामले काफी बढ़े हैं. आपने भी ऐसी खबरें देखी होंगी या पढ़ी होंगी. ये सब देखकर लोगों को CAA की याद आ रही है. CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून उन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देता है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए थे. ये वो लोग हैं, जिन्हें उनके धर्म की वजह से निशाना बनाया गया.

2 करोड़ शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता

माना जाता है कि इस कानून से भारत में रह रहे करीब 2 करोड़ शरणार्थियों को यहां की नागरिकता मिल जाएगी. ये कानून 10 जनवरी 2020 से प्रभावी हुआ है. CAA का उद्देश्य बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के 6 अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देना है.

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वरदान साबित हुआ नागरिकता संशोधन कानून

लागू राम, भागचंद, रानी, आचार और भूरालाल जैसे पाकिस्तान से आए लाखों शरणार्थियों के लिए CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून वरदान साबित हुआ है. राजस्थान के जोधपुर की इन झोपड़ियों में रहने वाले कई परिवार ऐसे हैं, जो वर्ष 2014 से पहले भारत आए लेकिन अब तक नागरिकता नहीं मिली. लोग बताते हैं पाकिस्तान में पक्का मकान तो था लेकिन सुरक्षा नहीं थी. यहां झोपड़ी ही है लेकिन जीवन सुरक्षित है और अब तो भारत की नागरिकता भी मिलने वाली है.

पाकिस्तान से आए शरणार्थी आचार दास बताते हैं कि वहां की स्थिति ये थी कि रहते तो थे हम लेकिन वो किसी और की जमीन थी. उधर हम सेफ नहीं थे. वहां पक्के मकान थे यहां तो झुग्गी झोपड़ी में हैं लेकिन फिर भी खुद को सेफ समझते हैं. बहू-बेटियों की इज्जत महफूज नहीं थी. खेती करते थे उसका हिसाब नहीं मिलता था. पीएम मोदी ने जो कानून पास किया है उससे कम से कम ये है कि 2014 से पहले जितने लोग आए उन्हें नागरिकता मिलेगी. वीजा आसान कर लें ताकि जो लोग हमारे पीछे बैठे हैं वो भी आ पाएं.

शरणार्थी रानी ने कहा कि पाकिस्तान में घर बैठे रहते थे. पुरुष खेती करते थे. वहां के हालात सही नहीं थे, इसलिए हम यहां आए. लेडीज सेफ नहीं थीं. यहां खुलकर लेडीज जी सकती है. 14 साल से रह रहे हैं. अभी नागरिकता नहीं मिली है. बोल रहे हैं कि मिलने वाली है.

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ये लोग पाकिस्तान छोड़कर सिर्फ इसलिए भारत आए क्योंकि वहां उन्हें हिंदू होने की सजा दी जाती थी. अत्याचार किया जाता था. हमले किए जाते थे. हिंदू महिलाओं का या तो जबरन धर्म परिवर्तन कर दिया जाता या फिर धमकी दी जाती है. CAA ऐसे ही लोगों को नई जिंदगी देने के लिए तो बना है.

ये भागचंद हैं, समाजसेवी हैं. 7 साल पहले कराची में कट्टरपंथियों ने इनके मेडिकल सेंटर पर हमला किया था. इन्हें दो गोलियां लगी थीं. उसके बाद ये जान बचाकर वहां से जोधपुर आ गए. अब भारत की नागरिकता मिलने का इंतजार कर रहे हैं.

भागचंद ने कहा कि जब से सीएए लागू हुआ है. तब से सही है. जल्द से जल्द कानून लागू हो जाए. 1955 के एक्ट के हिसाब से जो नागरिकता मिली है एक 7 साल का ड्यूरेशन, एक 12 साल का ड्यूरेशन है तो लोगों को नागरिकता मिल रही है. अगले महीने कैंप लगने जा रहा है. जैसे मैं 2014 में आया तो काफी लोगों को राहत मिलेगी.

इनमें से कई शरणार्थी ऐसे भी हैं जिन्हें पुराने कानून के मुताबिक ही भारत की नागरिकता मिल चुकी है. भूरा लाल ने बताया कि हम वर्ष 2011 में आए हैं. मुझे नागरिकता भी मिली है.

शरणार्थियों की कई समस्याएं भी हैं. जो वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाना चाहते हैं. शरणार्थी शीतल ने बताया कि पासपोर्ट रिन्यू कराने के लिए लोग बहुत परेशान हो रहे हैं. लोग पासपोर्ट रिन्यू कराने जाते हैं तो पाकिस्तान एंबेसी बोलता है कि पाकिस्तान जाओगे तो रिन्यू नहीं कराएंगे. हम छोटे-छोटे बच्चे जो 7-8 साल की उम्र में मम्मी-पापा के साथ आए थे. एनआरसी नहीं होने की वजह से हमारा नाम अलग नहीं हो पाता.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर CAA कानून दिसंबर 2019 में बना और 10 जनवरी 2020 से प्रभावी हुआ. लेकिन इस दौरान देश में काफी विरोध-प्रदर्शन भी हुए. दरअसल विपक्षी दलों ने अफवाह फैलाई कि CAA मुस्लिम विरोधी कानून है. अफवाह पर भरोसा करने वाले लोग सड़कों पर उतरे. दिल्ली के शाहीनबाग में CAA के खिलाफ 100 दिनों से ज्यादा लंबा विरोध प्रदर्शन चला था. पूरी सड़क को प्रदर्शनकारियों ने बंधक बना लिया था. मीडिया के एक खास वर्ग की ही वहां एंट्री थी.

प्रदर्शनकारियों के काफी दबाव के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी CAA के फैसले पर अड़े रहे. प्रधानमंत्री मोदी के निर्णय का परिणाम ये हुआ कि देश में 2 करोड़ शरणार्थियों की उम्मीद बंध गई कि वो भी अब भारत के नागरिक कहलाएंगे.

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