Stubble Burning: पराली के धुएं से दिल्ली में कितना हो रहा प्रदूषण? देख लीजिए आंकड़े
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Stubble Burning: पराली के धुएं से दिल्ली में कितना हो रहा प्रदूषण? देख लीजिए आंकड़े

Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का एक बड़ा कारण खेतों में पराली जलाना माना जाता है. हालांकि आंकड़े बताते हैं कि  पंजाब और हरियाण में पिछले चार वर्षों में पराली जलाने के सबसे कम आंकड़े दर्ज किए गए. 

Stubble Burning:  पराली के धुएं से दिल्ली में कितना हो रहा प्रदूषण? देख लीजिए आंकड़े

Stubble Burning: दिल्ली में सोमवार शाम और मंगलवार सुबह हुई बारिश ने जहरीली हवा को कुछ हद तक साफ किया है. इस बीच एक और राहत की खबर यह आ रही है कि पराली जलाने की घटनाएं भी कम हो रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब और हरियाणा में खेतों में आग लगने की दैनिक घटनाएं अब 100 से नीचे बनी हुई हैं. दोनों राज्यों में पिछले चार वर्षों में पराली जलाने के सबसे कम आंकड़े दर्ज किए गए, वहीं उत्तर प्रदेश में वृद्धि हुई.

पंजाब में 26% की गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक सैटेलाइट्स ने 2023 में 15 सितंबर से 27 नवंबर के बीच पंजाब में धान के अवशेष जलाने की 36,614 घटनाओं का पता लगाया, जबकि इसी अवधि में 2022 में 49,888, 2021 में 71,286 और 2020 में 82,842 घटनाएं हुईं.

ये आंकड़े इस वर्ष खेतों में आग लगने की घटनाओं में 26% की गिरावट दर्शाते हैं और यह बताते हैं कि इस सर्दी में पराली जलाने के सबसे बुरे दिन ख़त्म हो गए हैं.

हरियाणा में 37%  की गिरावट दर्ज
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा अधिसूचित मानक प्रोटोकॉल का पालन करने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में 15 सितंबर से 27 नवंबर तक 2,285 फसल अवशेष जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं,  जबकि 2022 में 3,629, 2021 में 6,946 और 2020 में 4,063 घटनाएं दर्ज हुई थीं. यह 2022 की तुलना में 2023 में पराली जलाने में 37% की गिरावट दर्शाता है. हालांकि, यूपी में 2022 में 2,677 के मुकाबले इसी अवधि में 3,748 खेत में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की कार्यकारी निदेशक, अनुसंधान और वकालत, अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि हालांकि पिछले कुछ वर्षों में ऐसी घटनाओं की संख्या में कमी आई है, लेकिन ‘दिल्ली में हवा पर पराली जलाने के गंभीर प्रभाव को कम करने के लिए इसमें और कमी, लगभग उन्मूलन की आवश्यकता है.’

आईएआरआई में अंतरिक्ष प्रयोगशाला से कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग के प्रमुख वैज्ञानिक और प्रभारी प्रोफेसर विनय सहगल ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का मौसम समाप्त हो गया है और गेहूं की बुआई पहले ही हो चुकी है. उन्होंने कहा, ‘पश्चिमी यूपी में खेत की आग लगभग खत्म हो गई है, लेकिन पूर्वी यूपी में यह 20 दिसंबर तक जारी रहेगी.’

पराली जलाने पर 66 मामले दर्ज
लुधियाना में जिला प्रशासन ने पराली जलाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ 66 मामले दर्ज किए हैं. मामले पर मुख्य सचिव, उपायुक्त और डीजीपी ने कार्रवाई की है. रिपोर्ट के मुताबिक मोगा और बठिंडा में सबसे ज्यादा मामले सामने आए. इसके अलावा अमृतसर और संगरूर में भी एयर एक्ट के तहत मामले दर्ज किए गए. प्रशासन और पुलिस ने फसल अवशेष जलाने पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है और अपराधियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं.

पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए पंजाब ऊर्जा एजेंसी ने गेल से हाथ मिलाया है. पराली जलाने पर अंकुश लगाने के लिए, पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (पेडा) ने 10 संपीड़ित बायोगैस परियोजनाएं स्थापित करने के लिए गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. समझौते का लक्ष्य प्रति वर्ष पांच लाख टन धान के भूसे का प्रबंधन करना और स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करना है. पंजाब की व्यापार-अनुकूल नीतियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों को राज्य में उद्योग स्थापित करने में सुविधा प्रदान करेंगी. इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से तीन लाख टन धान की पराली को जलने से रोका जा सकेगा.

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