हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन में 20 करोड़ का घोटाला? पूर्व क्रिकेटर्स के घर रेड, चौंका देगा ये मामला
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हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन में 20 करोड़ का घोटाला? पूर्व क्रिकेटर्स के घर रेड, चौंका देगा ये मामला

Hyderabad Cricket Association Scam: हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन में हुए 20 करोड़ के घोटाले मामले में ED ने तेलांगाना में नौ ठिकानों पर छापेमारी की. ये छापेमारी हैदराबाद किक्रेट एसोशियेशन के पूर्व अध्यक्ष गद्दम विनोद, उपाध्यक्ष शिवलाल यादव और सेक्रेटरी अरशद अयूब के ठिकानों पर की गई.

हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन में 20 करोड़ का घोटाला? पूर्व क्रिकेटर्स के घर रेड, चौंका देगा ये मामला

Hyderabad Cricket Association Scam: हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन में हुए 20 करोड़ के घोटाले मामले में ED ने तेलांगाना में नौ ठिकानों पर छापेमारी की. ये छापेमारी हैदराबाद किक्रेट एसोशियेशन के पूर्व अध्यक्ष गद्दम विनोद, उपाध्यक्ष शिवलाल यादव और सेक्रेटरी अरशद अयूब के ठिकानों पर की गई. इनके अलावा ED ने SS Consultants Pvt Ltd के MD सत्यानारायण के घर और ऑफिस में भी छापेमारी की. छापेमारी के दौरान एजेंसी ने आरोपियों के ठिकानों से 10.39 लाख नकद बरामद किये. 

एंटी करप्शन ब्यूरो ने दर्ज किए तीन मामले

एजेंसी ने ये मामला तेलांगाना पुलिस की एंटी करप्शन ब्यूरो(ACB) में दर्ज तीन मामलों के आधार पर दर्ज किया था. आरोप था कि हैदराबाद क्रिकेट एसोशियेशन के खातों में 20 करोड़ की हेराफेरी की गयी है. ये हेराफेरी हैदराबाद के उप्पल इलाके में राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम बनाने के दौरान की गयी जिसमें DG Sets, आग बुझाने का यंत्र की खरीदारी और कैनोपी लिये जाने थे. चार्जशीट के मुताबिक डेडलाइन खत्म हो जाने के बावजूद कई काम जानबूझ कर देरी से किये गये जिसकी वजह से बजट बढ़ा और क्रिकेट एसोशियेशन को नुकसान हुआ. इसके अलावा जांच में ये भी पता चला कि तत्लाकीन पदाधिकारियों ने निजी कंपनियों के लोगों से सांठ-गांठ कर बाजार से ऊंचे दामों पर काम दिये. टेंडर को देने के समय भी नियमों की अवहेलना की गयी. इसके अलावा काफी सारे ठेकेदारों को एडवांस पेमेंट की गयी जबकि उन्होने काम भी नहीं किया था.

आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी

इसी के बाद एजेंसी ने आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी जिसमें पता चला कि हैदराबाद क्रिकेट एसोशियेशन के पूर्व अध्यक्ष गद्दम विनोद के एक ठिकानों को उसका भाई गद्दम विवेकानंद अपने कंट्रोल वाली कंपनियों के दफ्तर के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. गद्दम विवेकानंद कांग्रेस पार्टी से पूर्व सासंद है और इस बार तेलांगना के चेन्नूर विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़ रहे है. छापेमारी के दौरान जो दस्तावेज मिले उससे पता चला गद्दम विवेकानंद कि कंपनी विसाका इंडस्ट्रीज और ग्रुप कंपनीज ज्यादातर कैश में काम करती है और रकम भी काफी बड़ी होती है. ये कैश ट्राजेंक्शन ज्यादातर रियल एस्टेट के कारोबार में ज्यादातर इस्तेमाल की जाती है. ठिकाने से एजेंसी को अलग-अलग लोगों से लिये गये कैश की रसीद भी बरामद हुयी है.

FEMA मामले में छापेमारी

इसी के बाद एजेंसी ने गद्दम विवेकानंद के ठिकानों पर भी छापेमारी की. हालांकि ये छापेमारी FEMA मामले में की गयी. एजेंसी ने गद्दम विवाकानंद के घर और दफ्तर में चार ठिकानों में छापेमारी की थी जिसमें विसाका इंडस्ट्रीज और विजिलेंस सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड शामिल है. इसके अलावा हैदराबाद के हिलटेक सिटी में एक घर में भी छापेमारी की जहां पर गद्दम विवेकानंद एजेंसी को मिले.

तेलंगना पुलिस से मिला इनपुट

एजेंसी का कहना है कि ये छापेमारी तेलंगना पुलिस से मिले इनपुट के आधार पर की गयी थी जिसमें डॉ गद्दम विवेकानंद ने अपनी कंपनी विजिलेंस सिक्योरिटी को 8 करोड़ ट्रांसफर किये थे. एजेंसी को अपनी जांच में पता चला कि विजिलेंस सिक्योरिटी का बैंक खाता डॉ गद्दम विवेकानंद और उनकी पत्नी के द्वारा सिर्फ पैसे घुमाने के लिये इस्तेमाल किया जा रहा है जबकि इसका असल में कोई कारोबार नहीं है. इस कंपनी ने अपनी बैलेंस शीट में सिर्फ 20 लाख का काम दिखाया था जबकि डॉ गद्दम विवेकानंद, उनकी पत्नी और विसाका कंपनी का विजिलेंस सिक्योरिटी के साथ करीब 100 करोड़ का ट्राजेंक्शन जांच के दौरान पकड़ में आया. एजेंसी के मुताबिक कंपनी की शुरूआत से लेकर अब तक करीब 200 करोड़ की ट्राजेक्शन हो चुकी है और डॉ गद्दम विवेकानंद का विजिलेंस सिक्योरिटी पर अघोषित कब्जा यानी अधिकार है.

बोगस कंपनी होने का शक

शुरूआती जांच में एजेंसी को FEMA के नियमों के उल्लंघन की जानकारी मिली जिसमें पता चला की विजेलेंस सिक्योरिटी और पेरेंट कंपनी यशवंत रियलटर के शेयर विदेशी नागरिक के पास है. जिससे पता चलता है कि डॉ गद्दम विवेकानंद ने Tax Heaven Country में कंपनी बनायी हुई है. यानी एजेंसी को इस छापेमारी के बाद जो सबूत मिले है उससे विजिलेंस सिक्योरिटी के बोगस कंपनी होने का शक है. इसके अलावा एजेंसी को दस्तावेज बरामद हुये है जिससे पता चलता है कि कई करोड़ का कैश में लेन देन होता रहा है और बिना किसी खास व्यापार के कंपनियों में भारी ट्राजेंक्शन होती रही है.

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