सुप्रीम कोर्ट ने समझा यौन कर्मियों का दर्द, जारी किए ये जरूरी निर्देश
Advertisement
trendingNow11067573

सुप्रीम कोर्ट ने समझा यौन कर्मियों का दर्द, जारी किए ये जरूरी निर्देश

कई यौनकर्मियों को नाको के पास मौजूद लिस्ट से बाहर रखा गया है. इसकी वजह यह है कि योजना के अनुसार समुदाय में न्यूनतम 1,000 यौनकर्मी होने चाहिए जिसके आधार पर नाको लिस्ट तैयार करेगा.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने यह उल्लेखित करते हुए कि बड़ी संख्या में यौनकर्मियों को राशन कार्ड जारी नहीं किया जाता है, सोमवार को कहा कि उनकी पहचान का आधार राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) द्वारा प्रदान की गई सूची तक सीमित नहीं रहना चाहिए. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने समुदाय आधारित संगठनों से अपने क्षेत्रों में यौनकर्मियों की एक सूची तैयार करने को कहा, जिसे संबंधित जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण या राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा सत्यापित किया जाएगा. 

  1. यौनकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत
  2. बनेगा राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र
  3. यौनकर्मियों की पहचान की प्रक्रिया जारी

गोपनीयता के साथ बनेगी यौनकर्मियों की लिस्ट

शीर्ष अदालत ने कहा कि सत्यापन होने पर, सूची सक्षम प्राधिकारी को भेजी जाएगी. शीर्ष अदालत ने राज्य के अधिकारियों को ऐसे करते हुए मामले में गोपनीयता बनाए रखने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यौनकर्मियों को मतदाता कार्ड या राशन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया को पूरा करने का भी निर्देश दिया. 

जारी होगा राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र

पीठ ने कहा, ‘राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को राशन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया को पूरा करने और दो सप्ताह के भीतर इस अदालत को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया जाता है. यौनकर्मियों की पहचान के आधार को नाको द्वारा प्रदान की गई सूची तक सीमित करने की आवश्यकता नहीं है. समुदाय आधारित संगठन यौनकर्मियों की एक सूची प्रस्तुत करेंगे, जिसे संबंधित जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण या राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा सत्यापित किया जाएगा.’

यौनकर्मियों की पहचान की प्रक्रिया जारी

जिन राज्यों ने स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं की है, उनके वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि मतदाता पहचान पत्र या राशन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया चल रही है और इस अदालत द्वारा जारी निर्देश को लागू किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली में, सरकार द्वारा एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई है और 86 केंद्रों पर निवास प्रमाणपत्र पर जोर दिए बिना राशन वितरित किया जा रहा है. पीठ ने कहा कि जहां तक ​​चंडीगढ़ का संबंध है, उन यौनकर्मियों के खातों में पैसा भेजा जा रहा है जिनकी पहचान की गई है.

इसलिए आ रही यौनकर्मियों को दिक्कत

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने कहा कि बड़ी संख्या में यौनकर्मियों को नाको के पास उपलब्ध सूचियों से बाहर रखा गया है क्योंकि उनकी योजना के अनुसार समुदाय में न्यूनतम 1,000 यौनकर्मी होने चाहिए जिसके आधार पर नाको द्वारा तैयार सूची में समावेशन किया जाता है. उन्होंने कहा कि यदि किसी समुदाय में एक हजार से कम यौनकर्मी हैं तो ऐसे समुदाय के सदस्यों का नाम सूची में नहीं है, जिससे उन्हें राशन कार्ड या राशन जारी नहीं किया गया है. 

मामले में चार हफ्ते बाद होगी सुनवाई

ग्रोवर ने यह भी कहा कि इस अदालत द्वारा पारित आदेश के बावजूद, राज्य सरकार द्वारा यौनकर्मियों को केवल बीच-बीच में राशन उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सभी यौनकर्मियों को राशन कार्ड के माध्यम से राशन का पात्र बनाया जाए. इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने कहा कि राज्यों को किसी भी कारण से यौनकर्मियों को राशन वितरण करना बंद नहीं किया जाना चाहिए. मामले की सुनवाई अब चार हफ्ते बाद होगी.

LIVE TV

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news