भारत ने शुक्रवार को एक ही दिन में 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाकर World record बना दिया. इस उपलब्धि की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है.
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नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को ऐसा World record बना दिया. जिसने एक दिन में ही भारत की छवि को बदलकर रख दिया.
इस रिकॉर्ड के बाद विपक्ष में शुक्रवार को बिल्कुल सन्नाटा छाया रहा. इसकी दो वजह रही. एक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन और दूसरी, भारत ने एक दिन में 2 करोड़ 24 लाख वैक्सीन (Corona Vaccination) लगा कर World Record बना दिया. यानी भारत ने एक दिन में ऑस्ट्रेलिया जैसे देश की पूरी आबादी को कोरोना की वैक्सीन लगा दी.
अब तक ये Record चीन के नाम था. चीन का दावा है कि उसने इस साल 28 जून को एक दिन में दो करोड़ 24 लाख वैक्सीन लगाई थी. वैसे तो चीन के दावे पर यकीन नहीं किया जा सकता. अगर चीन ने ऐसा कोई Record बनाया भी था तो उसे भारत ने शुक्रवार को उसे तोड़ (Corona Vaccination World Record) दिया.
भारत में औसतन हर घंटे 17 लाख, हर मिनट 28 हज़ार और हर सेकेंड 478 लोगों को वैक्सीन लगाई गई. ये संख्या थोड़ी ऊपर नीचे भी हो सकती है क्योंकि वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) का मीटर लगातार चल रहा था. देश में रात 9 बजे तक देश में 2 करोड़ 24 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी थी, जो कि एक World Record है.
कोरोना वैक्सीनेशन के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है. भारत में अब तक लोगों को 78 करोड़ डोज लग चुकी हैं. जबकि पहले नंबर पर 210 करोड़ डोज़ लगाकर चीन है. इस सूची में तीसरे स्थान पर अमेरिका हैं, जहां अब तक 38 करोड़ डोज लगी हैं.
भारत में वैक्सीन की एक डोज़ लगवाने वालों लोगों की संख्या 59 करोड़ हैं. वहीं दोनों डोज लगवा चुके लोगों की संख्या 19 करोड़ है
चुनाव आयोग के मुताबिक़ भारत मे वर्ष 2019 के चुनाव में 91 करोड़ वोटर थे, जिनकी उम्र 18 साल से ज्यादा थी. इस लिहाज़ से देखें तो भारत में 18 साल से ऊपर के 65 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज़ लग चुकी है. हालांकि इसे पूरी तरह सही नम्बर नहीं कहा जा सकता है. हां, इससे आप एक अनुमान ज़रूर लगा सकते हैं.
शुक्रवार की उपलब्धि पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मिठाई खिला कर जश्न मनाया. वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी, उनकी बहन प्रियंका गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, NCP प्रमुख शरद पवार और दूसरे बड़े विपक्षी नेताओं ने इस उपलब्धि (Corona Vaccination World Record) के लिए देश के लोगों को कोई बधाई नहीं दी है.
ये सभी विपक्षी नेता देश में वैक्सीन की कमी होने पर कुछ समय पहले तक सुबह उठते ही सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखना शुरू कर देते थे. साथ ही मीडिया में बयान देकर प्रधानमंत्री से पूछते थे कि हमारे देश के लोगों की वैक्सीन कहां गईं. अब सवाल ये है कि वे इस World Record के बनने पर कहां हैं?
यहां एक Point ये भी है कि अगर इस रफ़्तार से पिछली सरकारों ने पोलियो और Smallpox यानी चेचक का टीका लोगों को लगाया होता तो इन बीमारियों को जड़ से खत्म करने में भारत को कई दशक नहीं लगते.
उदाहरण के लिए भारत में पोलिया का वैक्सीनेशन वर्ष 1964 में मुम्बई से शुरू हुआ था. पोलियो की बीमारी को पूरी तरह से हराने में हमारे देश को 50 साल लग गए. हैरानी की बात ये है कि भारत पोलिया से मुक्त होने वाला दुनिया का सबसे आख़िरी देश था. इस मामले में बांग्लादेश, श्रीलंका, और नेपाल जैसे छोटे और पड़ोसी देश भी हमसे काफ़ी आगे थे.
वर्ष 2006 में पोलिया की बीमारी सिर्फ़ दुनिया के चार देशों में रह गई थी. इनमें भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया थे. कुछ साल पहले तक भारत की गिनती किन देशों के साथ होती थी. ये आप इससे बेहतर समझ सकते हैं.
ये स्थिति भी तब थी, जब पोलिया की वैक्सीन वर्ष 1955 में ही आ गई थी और इस पर किसी तरह का कोई Patent नहीं था. यानी दुनिया के सभी देश अपने यहां इस वैक्सीन को बना सकते थे और लोगों को लगा भी सकते थे.
इसी तरह ब्रिटेन के महान वैज्ञानिक Edward Jenner ने Smallpox की वैक्सीन वर्ष 1796 में तैयार कर ली थी. इसके बावजूद 15 अगस्त 1947 को जब भारत आज़ाद हुआ, तब चेचक के सबसे ज़्यादा मामले पूरी दुनिया में भारत में थे. यही नहीं देश की पहली पंडित जवाहर लाल नेहरु सरकार को चेचक का देशव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू करने में 15 साल लग गए. वर्ष 1962 में ये वैक्सीनेशन शुरू हुआ.
नेहरु ने वर्ष 1965 तक देश की पूरी आबादी को चेचक की वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा था. ये काम इसके 10 साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया. 1970 आते आते तो ये स्थिति हो गई कि बिहार और बंगाल में चेचक की महामारी तेज़ी से फैलने लगी. कुछ राज्यों में वैक्सीन की कमी का संकट भी देखा गया. वर्ष 1979 में भारत को चेचक मुक्त किया गया. यानी जो काम, कई दशकों पहले ही हो जाना चाहिए था, उस पर पिछली सरकारों ने गंभीरता नहीं दिखाई.
इसे देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आज़ादी के बाद नेहरु को ये तो याद था कि वर्ष 1956 में UNESCO कॉन्फ्रेंस के लिए दिल्ली में एक पांच सितारा होटेल होना चाहिए. जिसे हम और आप अशोका होटेल के नाम से जानते हैं, लेकिन उन्हें ये याद नहीं रहा कि भारत उनके कार्यकाल में चेचक से प्रभावित दुनिया का सबसे बड़ा देश था.
दुनिया के 136 देश ऐसे हैं, जिनकी आबादी दो करोड़ या उससे कम है. इसे ऐसे समझिए कि अगर आज वैक्सीन लगवाने वाले ये लोग इन देशों के नागरिक होते तो वहां पूर्ण बहुमत से सरकार बनवा देते. भारत में 18 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों की आबादी दो करोड़ से कम है.
अगर ये दो करोड़ लोग एक साथ सड़क पर आ जाएं और वैक्सीन पर जागरुकता फैलाने के लिए कोई रैली निकालें तो ये दुनिया का सबसे बड़ा गैर धार्मिक जमावड़ा होगा. भारत में Twitter के कुल Users की संख्या भी 1 करोड़ 75 लाख है. यानी ये दो करोड़ लोग Twitter से भी बड़ा एक मंच बना सकते हैं
भारत के इस विश्व रिकॉर्ड की चर्चा सिर्फ ज़मीन पर ही नहीं बल्कि आसमान में भी हुई. ये रिकॉर्ड बनने के बाद एक भारतीय Airline ने अपनी In Flight Anouncement के दौरान इस बारे में यात्रियों को जानकारी दी.
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ये एक बहुत बड़ी कामयाबी है. इसलिए देश में हर व्यक्ति हर नागरिक के लिए चाहे वो किसी भी पार्टी का हो किसी भी विचार धारा का हो, किसी प्रोफेशन का हो, किसी धर्म जाति और राज्य का हो. उसके लिए ये गर्व की बात है.
अब दुनिया के बड़े बड़े देश चाहे तो वो भारत से वैक्सिनेशन Out Source कर सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की आबादी को तो भारत एक ही दिन में वैक्सीन लगा सकता है. इसलिए आप भारत की इस सफलता (Corona Vaccination World Record) पर गर्व कर सकते हैं.
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