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नई दिल्ली: भारत के लोगों की हर सुबह WhatsApp पर Good Morning का Message भेजने की आदत पूरी दुनिया में इंटरनेट को स्लो कर देती है. दुनियाभर के IT एक्सपर्ट्स ये पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि एक खास समय में दुनिया में इंटरनेट स्लो क्यों हो जाता है. इस दौरान उन्हें पता चला कि इसके पीछे भारत के करोड़ों लोगों की सुबह Good Morning और सुप्रभात कहने की आदत है.
आज सुबह उठते ही जब आपने भी अपना मोबाइल फोन उठाया होगा और WhatsApp चेक किया होगा तो आपको भी किसी न किसी फैमिली या दोस्तों के ग्रुप में Good Morning के मैसेज आए होंगे या आपने भी दूसरों को ऐसे ही मैसेज भेजे होंगे जिसमें कभी फूल पत्तियों के बीच, कभी किसी मुस्कुराते हुए छोटे बच्चे के साथ या किसी प्रेरणादायी सुविचार के साथ Good Morning का संदेश लिखा होगा. भारत में हर दिन करोड़ों लोग अलग-अलग तरीकों से WhatsApp पर एक-दूसरे को ऐसे ही Good Morning मैसेज भेजते हैं.
लेकिन क्या आपको पता है कि Good Morning के ये अनगिनत Messages इंटरनेट को जाम कर देते हैं. आपने गौर किया होगा कि आप अपने मोबाइल फोन पर जब इंटरनेट चलाते हैं तो कई बार इंटरनेट की स्पीड स्लो हो जाती है और जो आप सर्च कर रहे हैं उसे लोड होने में बहुत समय लगता है. ये पूरी दुनिया के लोगों के साथ होता है. दुनिया भर के IT एक्सपर्ट्स इस पहेली को सुलझाते-सुलझाते थक गए थे. लेकिन आखिरकार पता चला कि इसके लिए एक दूसरे को Good Morning मैसेज भेजने वाले करोड़ों भारतीय जिम्मेदार हैं.
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भारत में करीब 40 करोड़ लोग Whatsapp का इस्तेमाल करते हैं और जब ये करोड़ों लोग सुबह-सुबह एक दूसरे को Good Morning मैसेज भेजते हैं तो इन मैसेज की बाढ़ आ जाती है और पूरी दुनिया में इंटरनेट की बैडविथ कम पड़ने लगती है यानी दुनिया का इंटरनेट भारतीयों के दिए हुए इस बोझ को नहीं झेल पाता.
भारत में पिछले 5 वर्षों में Good Morning मैसेज की तस्वीरों को इंटरनेट पर ढूंढने वालों की संख्या 10 गुना बढ़ गई है और इन्हें डाउनलोड करने वालों की संख्या 9 गुना ज्यादा हो गई है. ये सारी तस्वीरें आपके मोबाइल फोन में डाउनलोड होती हैं और आपके मोबाइल फोन की स्टोरेज भी फुल हो जाती है.
इस समस्या ये बचने का एक उपाय तो ये है कि आप ऐसे Apps का इस्तेमाल करें जो आपके मोबाइल फोन में मौजूद अनचाही तस्वीरों और Messages को एक बार में डिलीट कर देते हैं. दूसरा तरीका ये है कि आप इस समस्या की गहराई में जाएं.
भारत में Good Morning के ये मैसेज अक्सर बड़ी उम्र के लोग भेजते हैं..ये लोग कई बार अकेलापन महसूस करते हैं और इनके लिए Social Media बाहर की दुनिया से जुड़ने का एक मात्र रास्ता बन जाता है और इसमें सबसे पहले ये Good Morning के मैसेज ही काम आते हैं.
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कई बार घर के बड़े बुजुर्ग खराब स्वास्थ्य की वजह से बाहर नहीं निकल पाते या फिर कई बार उनका परिवार उनसे बहुत दूर होता है. ऐसे में इंटरनेट और सोशल मीडिया ही उनका साथ देता है. ये लोग इंटरनेट पर कोई मैसेज ढूंढते हैं फिर उन्हें कई लोगों को फॉर्वर्ड करते हैं और फिर जिन्हें ये मैसेज मिलते हैं वो भी इन्हें आगे फॉर्वर्ड कर देते हैं यानी एक मैसेज फॉर्वर्ड होते-होते लाखों करोड़ों मैसेज में बदल जाता है. कई बार तो ऐसा भी होता है कि एक ही परिवार में रहने वाले लोग एक दूसरे से बात तक नहीं करते लेकिन Family Group पर एक दूसरे को Good Morning Message जरूर भेजते हैं.
Message भेजने की ये महामारी कई बार फेक न्यूज फैलाने का माध्यम भी बन जाती है. इसी के जरिए प्रोपगेंडा वीडियो भी फैलाए जाते हैं और कई बार नफरत भी. ये तरह-तरह के मैसेज मिलकर समाज में कड़वाटहट पैदा करते हैं और इंटरनेट पर ट्रैफिक जाम की वजह भी बन जाते हैं.
वैसे ये मजे की बात है कि दुनिया के बड़े-बड़े हैकर्स को इंटरनेट को स्लो करने के लिए बहुत दिमाग लगाना पड़ता है, नॉर्थ कोरिया और रूस जैसे देशों के हैकर्स इसके लिए दिन रात मेहनत करते हैं. लेकिन भारत के लोग सिर्फ Good Morning मैसेज भेजकर इंटरनेट का चक्का जाम कर देते हैं.
सोशल मीडिया और इंटरनेट की ये लत घर के बच्चों से लेकर बड़ों तक को लग चुकी है. घर के जो बड़े बुजुर्ग त्योहारों पर उपवास बड़ी आसानी से रख लेते हैं लेकिन डिजिटल उपवास नहीं कर पाते यानी ज्यादातर लोग कुछ घंटों के लिए भी अपने मोबाइल फोन या डिजिटल गैजेट्स से दूर नहीं रह पाते.
कभी आपने सोचा है कि उपवास के दौरान जीभ पर काबू रखना तो आसान है लेकिन आज के जमाने में स्मार्टफोन पर चलने वाली उंगलियों पर काबू रखना आसान क्यों नहीं है? इसके पीछे है Dopamine (डोपामीन). ये मस्तिष्क में बनने वाला वो केमिकल है जो आपको खुशी का अहसास देता है. जब आप स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं या कोई Video Game खेलते हैं तो आपका मस्तिष्क Dopamine (डोपामीन) को रिलीज करता है. अब क्योंकि Dopamine से आपको खुशी का एहसास होता है इसलिए आप अपने मोबाइल फोन का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने लगते हैं.
Dopamine ही वो केमिकल है जो आपके मन में कोई मनपसंद वस्तु खरीदने, कुछ मनपसंद खाने या किसी मन पसंद जगह पर घूमने जाने की इच्छा पैदा करता है. यानी यही वो केमिकल है जिसकी वजह से आप जीवन भर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए दौड़ते रहते हैं.
सोशल मीडिया पर बस एक प्रोफाइल और चेक कर लूं, कुछ तस्वीरें और देख लूं, एक वीडियो और देख लिया जाए और बस वेब सीरीज का ये आखिरी एपिसोड और देख लूं. ये कभी ना खत्म होने वाली इच्छाएं Dopamine से ही पैदा होती हैं. लेकिन जब आप ये सब कर लेते हैं तो भी अंदर का खालीपन नहीं भरता और आप फिर से ऐसा ही करने लगते हैं. फिर खुशी ना ढूंढ पाने की ये निराशा, तनाव, डिप्रेशन और अवसाद में बदल जाती है. आप डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक के पास जाते हैं तो वो आपको कुछ दवाएं लिखकर दे देता है. लेकिन ये दवाएं भी Dopamine नाम के इस शासक को पूरी तरह कंट्रोल नहीं कर पाती और डिजिटल संसार की माया आपको उलझाती चली जाती है.
अब दुनिया भर के मनोवैज्ञानिक ये मानने लगे हैं कि इससे बचने का उपाय है. Dopamine Detox या Dopamine Fast. इसके तहत उन सभी चीजों से दूरी बनानी होती है जो Dopamine के लिए जिम्मेदार है. इस उपवास के दौरान इच्छाएं आपको नियंत्रित नहीं करती बल्कि आप इच्छाओं को नियंत्रित करते हैं.
इसके लिए आपको सबसे पहले उन चीजों की एक लिस्ट बनानी होगी जिनका लोभ या जिनकी लालसा आपको सबसे ज्यादा परेशान करती है. ये आपका स्मार्टफोन भी हो सकता है, आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स भी हो सकते हैं. खाने-पीने की कोई ऐसी चीज भी हो सकती है जो आपके लिए हानिकारक है लेकिन फिर भी आप बार-बार इन्हें खाते या पीते हैं, इसके अलावा अश्लील फिल्में देखने और जरूरत से ज्यादा शॉपिंग करने की आदत को भी आप इस लिस्ट में डाल सकते हैं.
इसके बाद आपको इन सब चीजों से कुछ समय के लिए दूरी बनानी होती है. आप इसे डिजिटल संन्यास भी कह सकते हैं. बस फर्क ये है कि संन्यासी बहुत कम मौकों पर अपना संन्यास तोड़ते हैं लेकिन आप अपनी आदतों को नियंत्रित करने के बाद ज्यादा सजग होकर डिजिटल दुनिया में वापस लौट सकते हैं और ऐसा करने पर आप पाएंगे कि अब आपका मोबाइल फोन आपका मालिक नहीं है बल्कि आप मोबाइल फोन के मालिक हैं. आपने गौर किया होगा कि हिंदू धर्म में संन्यासियों को स्वामी कहकर बुलाया जाता है. स्वामी का अर्थ होता है मालिक. जब कोई व्यक्ति संन्यासी बन जाता है तो भौतिक वस्तुएं उसका ध्यान नहीं भटकाती बल्कि एक संन्यासी अपनी इच्छाओं का मालिक होता है.
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