भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry Of India) ने इस बात का खुलासा किया है कि भारत विदेशी वैक्सीन कंपनियों (Foreign Vaccine Companies) की दादागिरी के आगे नहीं झुका. भारत (India) इन कंपनियों के झांसे में नहीं आया.
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नई दिल्ली: पहली बार स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) ने ये खुलासा किया है कि भारत में कभी विदेशी वैक्सीन (Foreign Vaccine) क्यों नहीं आ पाई. दरअसल इसकी वजह थी विदेशी वैक्सीन कंपनियों की दादागिरी. मॉडर्ना (Moderna) और फाइजर (Pfizer) की वैक्सीन भारत को एक बड़े बाजार के तौर पर देख रही थी और इन दोनों अमेरिकी कंपनियों (US Companies) को लगता था कि भारत कभी विदेशी वैक्सीन के बिना अपने देश की 136 करोड़ से ज्यादा आबादी को वैक्सीन नहीं लगा पाएगा. नवंबर 2021 में भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus) की पहली लहर पीक पर थी. रोजाना तकरीबन 1 लाख केस आ रहे थे और इसी वक्त मॉडर्ना और फाइजर भारत सरकार (Indian Government) से वैक्सीन खरीदने के लिए मोल भाव कर रही थी. बल्कि हमें ये कहना चाहिए कि भारत को ब्लैकमेल कर रही थी.
भारत के सामने इन विदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने ऐसी-ऐसी शर्तें रखीं कि उन्हें मानना आसान नहीं था. तब भारत ने ये फैसला किया कि वो मनमानी शर्तों के आगे नहीं झुकेगा. ये फैसले लेते वक्त भारत को बहुत मुश्किल आई और ये आलोचना भी झेलनी पड़ी कि भारत अपने लोगों को वैक्सीन (Vaccine) कभी नहीं दिलवा पाएगा. लेकिन भारत ने ना केवल अपनी खुद की वैक्सीन बना ली बल्कि कई देशों को भी वैक्सीन बांटी. भारत सरकार चाहती थी कि विदेशी वैक्सीन कंपनियां (Foreign Vaccine Companies) भारत के लिए वैक्सीन का निर्माण भारत में ही करें लेकिन ये किसी कंपनी को मंजूर नहीं था.
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दरअसल मौका एक किताब के लॉन्च (Book Launch) का था. 'A nation to protect - Leading India through the covid crisis' किताब लेखिका प्रियम गांधी मोदी (Priyam Gandhi Modi) ने लिखी है. किताब के लॉन्च के मौके पर ज़ी न्यूज़ के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी (Editor-in-Chief Sudhir Choudhary) मंच संचालन कर रहे थे. इस मौके पर सुधीर चौधरी ने सवाल किया कि विदेशी वैक्सीन भारत में क्यों नहीं आ पाई? अब तक सरकार इस सवाल के कूटनीतिक जवाब (Diplomatic Response) ही देती आई है लेकिन पहली बार स्वास्थ्य मंत्री ने साफ किया कि ये नया भारत है जो अपनी शर्तों पर चलता है और हमने विदेशी कंपनियों के सामने झुकना मंजूर नहीं किया. हमने अपनी वैक्सीन बना ली.
अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना (American Company Moderna) ने भारत सरकार के सामने शर्त रखी कि वो वैक्सीन बेचेगी और वो भी शर्तों के साथ. मॉडर्ना ने इंडेम्निटी अगेंस्ट लायबिलिटी क्लॉज (Indemnity Against Liability Clause) रखा. यानी वैक्सीन की वजह से कोई साइड इफेक्ट (Side Effect) हो जाए या वैक्सीन की वजह से किसी की मौत (Death) हो जाए तो कंपनी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. इसी तरह फाइजर कंपनी (Pfizer Company) की शर्त थी कि उन्हें सॉवरेन इम्यूनिटी वेवर (Sovereign Immunity Waiver) मिले. मोटे तौर पर इस Waiver का मतलब ये है कि भारत के कानून के तहत कंपनी पर कोई केस नहीं चलाया जा सकेगा.
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आज भारत में जो वैक्सीन बन रही हैं वो या तो पूरी तरह स्वदेशी हैं या भारत में ही बनाई जा रही हैं. कोवैक्सीन (Covaxin) भारत में ही बनी है और कोवीशील्ड (Covishield) भी भारत में ही बनाई जाती है. बता दें कि दो विदेशी वैक्सीन भारत में आई हैं. एक है रूस की स्पूतनिक (Russia's Sputnik) और दूसरी है जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson And Johnson) की सिंगल डोज वैक्सीन (Single Dose Vaccine). इन दोनों को भारत सरकार ने मंजूरी दे दी और ये दोनों भी भारतीय फार्मा कंपनियां (Indian Pharma Companies) ही बना रही हैं. यानी आज भारत में वही कंपनियां काम कर पा रही हैं जो भारत की शर्तों के हिसाब से चलीं वो कंपनियां नहीं जिन्होंने वैक्सीन बेचने के नाम पर भारत का खून चूसने की कोशिश की है.
इन कंपनियों ने वैक्सीन बेचने के नाम पर कई देशों का शोषण किया है. फाइजर कंपनी ने अर्जेंटीना की सरकार (Government of Argentina) से कहा था कि अगर उसे कोरोना की वैक्सीन चाहिए तो वो एक तो ऐसा इंश्योरेंस यानी बीमा खरीदे जो वैक्सीन (Vaccine) लगाने पर किसी व्यक्ति को हुए नुकसान (Loss) की स्थिति में कंपनी को बचाए. यानी अगर वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट होता है तो मरीज को कंपनी पैसा नहीं देगी बल्कि कंपनी बीमा देगी. जब सरकार ने कंपनी की बात मान ली थी तो फाइजर ने वैक्सीन के लिए नई शर्त रख दी और कहा था कि इंटरनेशनल बैंक (International Bank) में कंपनी के नाम से पैसा रिजर्व करे. देश की राजधानी में एक मिलिट्री बेस (Military Base) बनाए जिसमें दवा सुरक्षित (Medicine Safe) रखी जाए. एक दूतावास (Embassy) बनाया जाए जिसमें कंपनी के कर्मचारी रहें ताकि उन पर देश के कानून (Law) लागू न हों.
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ब्राजील (Brazil) के साथ भी फाइजर कंपनी (Pfizer Company) ने वैक्सीन के बदले ऐसी ही 3 मुश्किल शर्तें रखी थीं. पहली शर्त ये कि वैक्सीन (Vaccine) का पैसा बैंक के इंटरनेशनल अकाउंट में जमा करना होगा. दूसरी ये कि साइड इफेक्ट्स होने पर कंपनी के ऊपर मुकदमा नहीं चलेगा और तीसरी शर्त ये कि ब्राजील अपनी सरकारी संपत्तियां (Government Properties) कंपनी के पास गारंटी (Guarantee) की तरह रखेगी ताकि भविष्य में अगर वैक्सीन को लेकर कोई कानूनी विवाद (Legal Dispute) हो तो कंपनी इन संपत्तियों को बेचकर उसके लिए पैसा इकट्ठा कर सके.
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