इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा कि मानव अंतरिक्षयान से लेकर ग्रहों की खोज और संयुक्त प्रयोगों तक में सहयोग से लेकर साझेदारी की गई है.
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चेन्नई: इसरो (ISRO) प्रमुख के सिवन (Dr. K. Sivan) ने मंगलवार को कहा कि भारत ने 59 देशों के साथ 250 दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं, ये भारत की क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए और अन्य अंतरिक्ष-इच्छुक देशों की मदद करने के लिए भी हैं. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत का प्रमुख सहयोग रूस, अमेरिका, फ्रांस जापान और इजरायल के साथ चल रहा है और भविष्य की परियोजनाओं पर विस्तार से चर्चा चल रही है. वह इंटरनेशनल ऑस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस (IAC) 2020 के पूर्ण सत्र में बोल रहे थे.
विदेशी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ साझेदारी
विदेशी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ काम पर विस्तार से बात करते हुए के सिवन ने कहा कि मानव अंतरिक्षयान से लेकर ग्रहों की खोज और संयुक्त प्रयोगों तक में सहयोग से लेकर साझेदारी की गई है. उन्होंने कहा, 'हमारे पास नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार निसार उपग्रह है और हम उपग्रह डेटा साझा करने के लिए संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के साथ भी काम कर रहे हैं. फ्रांस एक प्रमुख साझेदार है और हमने दो संयुक्त उपग्रह मेघा ट्रॉपिक और सराल लॉन्च किए हैं और रिटायर्ड मिशन चल रहा है.'
उन्होंने आगे बताया, 'इसरो संयुक्त चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन के निर्माण के लिए जापानी अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के साथ साझेदारी कर रहा है. जर्मन एजेंसी डीएलआर के साथ हमारा सहयोग रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर है. इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम और डीप स्पेस नेटवर्क एंटीना सपोर्ट के क्षेत्र में हम इजरायल स्पेस एजेंसी (ISA) के साथ काम कर रहे हैं.'
इस साल लॉन्च होने वाले रॉकेट
इस साल लॉन्च होने वाले रॉकेट के बारे में पूछे जाने पर डॉक्टर सिवन ने कहा, 'एजेंसी (ISRO) नवंबर में पीएसएलवी रॉकेट (PSLV Rocket) लॉन्च करने की योजना बना रही है. यह इस साल का पहला प्रक्षेपण भी होगा, क्योंकि कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से इसरो के प्रक्षेपण प्रभावित हुए थे. भारत की अंतरिक्ष गतिविधियां देश के विभिन्न हिस्सों के केंद्रों पर फैली हुई हैं, इस कारण अधिकारियों और वैज्ञानिकों के लिए यात्रा करना बंद हो गया था और काम को पूरा करना चुनौतीपूर्ण हो गया था.' उन्होंने कहा, 'हम PSLV C-49 को नवंबर के पहले सप्ताह में लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं. इसके बाद, सभी मिशनों की योजना बनाई जाएगी.'
गगनयान के लॉन्चिंग में करना होगा बदलाव
के सिवन के अनुसार, भारत का मानव अंतरिक्षयान कार्यक्रम (Space Program) मजबूत हो रहा है, जिसमें रूस द्वारा अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित किया गया है और फ्रांस द्वारा प्रदान की गई महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रौद्योगिकियां हैं. हालांकि कोविड-19 के कारण गगनयान (Gaganyaan) परियोजना में थोड़ी देरी हो सकती है. उन्होंने कहा, "गगनयान के लिए हमने शुरू में अगस्त 2022 तक लॉन्च का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब लक्ष्य में थोड़ा बदलाव करना होगा. हम चीजों को हासिल करने के लिए अन्य अंतरिक्ष-उत्पादक देशों की मदद लेने की कोशिश कर रहे हैं.
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