G20 Summit: चीन के मंत्री से पीयूष गोयल ने पूछा कि जिस कीमत पर आप सामान सप्लाई करते हैं. यहां सारे मंत्री जानना चाहते हैं कि आप कच्चे माल से भी सस्ता सामान कैसे सप्लाई करते हैं. इस सवाल का चीन के मंत्री के पास कोई जवाब नहीं था.
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India-China Trade: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के एक सवाल पर चीन के मंत्री पर सन्नाटा छा गया. शुक्रवार को दिल्ली में G20 देशों के वाणिज्य मंत्रियों के बीच सवाल-जवाब का दौर चल रहा था. इसी दौरान मंच पर बैठे केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ऐसा सवाल पूछ लिया जिसका चीन के वाणिज्य मंत्री वांग शूवेन के पास कोई जवाब नहीं था. गोयल ने पूछा कि आखिर चीन लागत से भी इतना सस्ता माल कैसे बेचता है. गोयल ने पूछा, जिस कीमत पर आप सामान सप्लाई करते हैं. यहां सारे मंत्री जानना चाहते हैं कि आप कच्चे माल से भी सस्ता सामान कैसे सप्लाई करते हैं.
चीनी मंत्री करने लगे गोयल की तारीफ
इस सवाल को सुनकर चीन के मंत्री बगले झांकने लगे और सीधा जवाब न देकर पीयूष गोयल की ही तारीफ करने लगे. चीन के वाणिज्य मंत्री वांग शूवेन ने कहा, मैं आपको बधाई देना चाहता हूं कि आप भारत के बहुत कामयाब व्यापार मंत्री हैं. भले ही आप अपने हर ट्रेड पार्टनर के साथ व्यापार को बैलेंस नहीं कर पाए लेकिन अपने देश के लिए ओवरऑल ग्लोबल ट्रेड बैलेंस बनाने में काफी सफल रहे हैं. दरअसल पीयूष गोयल हल्के-फुल्के अंदाज में चीन की खिंचाई कर रहे थे, क्योंकि सबको पता है कि चीन के सस्ते माल की क्वॉलिटी कैसी होती है.
बता दें कि गोयल ने शोउवेन से पूछा कि क्या चीन को भारत के आरसीईपी का हिस्सा न बनने का अफसोस है. इस पर चीन के मंत्री ने कहा कि अगर भारत इस समझौते का हिस्सा बना होता तो दोनों देशों के बीच व्यापार संभावनाएं और भी बढ़ी होतीं जिससे दोनों देशों को फायदा होता.
'भारत के लिए RCRP के दरवाजे हमेशा खुले'
इसके साथ ही शोउवेन ने कहा, यह फैसला आपको ही करना है कि आप आरसीईपी का हिस्सा बनेंगे या नहीं. लेकिन भारत के लिए आरसीईपी के दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे.
इस पर गोयल ने कहा, द्विपक्षीय व्यापार बढ़ा रहता लेकिन उसके साथ व्यापार घाटा भी बढ़ जाता. हम पहले से ही चीन के साथ 130 अरब डॉलर का व्यापार चीन के पक्ष में झुके होने को लेकर हम पहले से ही चिंतित हैं. भारतीय उद्योग जगत का मानना है कि आरसीईपी का हिस्सा बनने की स्थिति में व्यापार बढ़ने के साथ घाटा भी बढ़ जाता. चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 83 अरब डॉलर का है जबकि अमेरिका के साथ भारत 28 अरब डॉलर के व्यापार सरप्लस में है.