S Jaishankar: क्या ये मान लिया जाए कि विदेश मंत्री के रूप में एस जयशंकर पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध विकसित करने में विफल रहे हैं. अब कई पड़ोसी देश भारत के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं, इसलिए यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ है.
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Neighbouring Allies: देश में पीएम मोदी नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तीसरी बार सरकार है. पिछली बार के विदेश मंत्री एसजयशंकर को इस बार भी विदेश मंत्री बनाया गया. उन्हें तेज तर्रार कूटनीतिक कहा गया. फिर इसी बीच हाल ही में जब बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ तो ये संयोग कहें या पहले से प्रायोजित कहें शेख हसीना का नेतृत्व धाराशयी हो गया और पीएम मोदी ने एक विश्वासपात्र काउंटर पार्ट खो दिया. सिर्फ बांग्लादेश ही नहीं अगर भारत के अन्य पड़ोसी देशों की राजनीतिक स्थिति देखें तो एक बात समझ में आएगी कि धीरे-धोरे ही सही भारत के पड़ोसी देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय संबंध बिगड़ते जा रहे हैं.
असल में कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि बतौर विदेशमंत्री एस जयशंकर के पिछले पांच वर्षों में भारत ने अपने पांच सहयोगियों को खो दिया है. बांग्लादेश में तो तनावपूर्ण हालात हैं जिससे भारत को बड़ा झटका लगा है. अगर हालात ऐसे ही रहे तो बांग्लादेश भी भारत के लिए नासूर बन सकता है. चिंता है कि पाकिस्तान की तरह ही बांग्लादेश भी आतंकियों की पनाहगाह बन सकता है और उत्तर-पूर्वी राज्यों में घुसपैठ की समस्या पैदा हो सकती है.
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने से भारत के लिए कई परेशानियां खड़ी हो जाएंगी. दोनों देशों के बीच व्यापार पर भी असर पड़ेगा. भारत और पाकिस्तान के रिश्ते शुरू से ही अच्छे नहीं रहे हैं. द्वीपीय देश श्रीलंका के साथ भी रिश्ते ऐसे ही हो सकते हैं. मालदीव के साथ जो रिश्ते कुछ महीने पहले ही अच्छे थे वो भी खराब हो गए हैं. नेपाल के साथ रिश्ते उतने अच्छे नहीं हैं जितने शुरुआत में थे. फिर उधर अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद उस देश के साथ संबंधों पर भी असर पड़ा है.
भारत फिलहाल भूटान के साथ काफी अच्छे संबंध हैं लेकिन बाकी अन्य एक-एक करके अपने सहयोगियों को खोता जा रहा है. अपने सहयोगियों को खोते जा रहे भारत के लिए निकट भविष्य में मुश्किलें बढ़ना तय है. जिन मित्र राष्ट्रों के भारत के साथ अच्छे संबंध थे, वे अब देश के साथ टकराव में हैं. सबसे खतरनाक बात ये है कि ये देश चीन के करीब आ रहे हैं जिससे भारत के लिए बड़ी चिंता पैदा हो रही है. अगले कुछ दिनों में जो होगा वह बहुत ही महत्वपूर्ण है.
सवाल ये है कि अगर ये सभी देश चीन के साथ मिलकर भारत पर किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाना चाहें तो क्या होगा. क्या ये मान लिया जाए कि विदेश मंत्री के रूप में एस जयशंकर पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध विकसित करने में विफल रहे हैं. चूंकि अब कई पड़ोसी देश भारत के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं, इसलिए यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि अन्य देश भारत को कैसा सहयोग देना शुरू करेंगे, ये बड़ा सवाल है.